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पेट्रोल डालकर की गई शालिनी गौतम की हत्या, शालिनी की हत्या करने वाले अपराधियों को होना चाहिए फांसी नहीं तो होगा उग्र - प्रदर्शन

 पेट्रोल डालकर की गई शालिनी गौतम की हत्या, शालिनी की हत्या करने वाले अपराधियों को होना चाहिए फांसी नहीं तो होगा उग्र -  प्रदर्शन  ढीमरखेड़ा | मध्य प्रदेश के उमरिया जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की क्रूर सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया। यह घटना एक नवविवाहिता युवती, शालिनी गौतम, की निर्मम हत्या से जुड़ी है, जिसे उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज की मांग पूरी न होने पर बर्बरता से मार डाला। इसके बाद भी उन दरिंदों का दिल नहीं भरा, तो उन्होंने शालिनी के शव को पेट्रोल डालकर जला दिया। यह दर्दनाक घटना उमरिया जिले के चंदिया थाना क्षेत्र के ग्राम घोघरी में घटित हुई, जहां पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। चंदिया थाना क्षेत्र के ग्राम घोघरी में हुई, जब शालिनी गौतम की हत्या की खबर सामने आई। शालिनी का विवाह कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ था। शालिनी एक पढ़ी-लिखी, शान्त और सुलझे स्वभाव की लड़की थी, जो अपने ससुराल में अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत कर रही थी। परंतु यह विवाह उसके लिए दमनकारी साबित हुआ, क्योंकि उसके ससुराल वाले लगातार

शाहडार जमीन संबंधी मामले की जांच के लिए कलेक्टर ने एसडीएम को दिए जांच के निर्देश

 शाहडार जमीन संबंधी मामले की जांच के लिए कलेक्टर ने एसडीएम को दिए जांच के निर्देश  ढीमरखेड़ा | शाहडार गांव में भूमि विवाद से जुड़ा यह मामला वर्तमान समय में आदिवासी समाज और बाहरी लोगों के बीच बड़े तनाव का कारण बना हुआ है। तहसील क्षेत्र के ग्राम शाहडार में कई आदिवासियों की जमीन पर गैर-आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा गलत तरीके से कब्जा किए जाने और अभिलेखों में हेरफेर कर अपने नाम दर्ज कराने का आरोप लगाया गया है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर अवि प्रसाद से सीधा संपर्क किया और न्याय की मांग की। शाहडार गांव के आदिवासी निवासियों ने लंबे समय से यह दावा किया है कि उनकी जमीनें बाहरी लोगों द्वारा हड़प ली गई हैं, और इस प्रक्रिया में राजस्व अभिलेखों में भी अनियमितताएँ की गई हैं। ग्रामीणों की इस शिकायत को कलेक्टर अवि प्रसाद ने गंभीरता से लिया और उन्होंने तत्काल एसडीएम विंकी सिंहमारे को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। कलेक्टर ने यह सुनिश्चित किया कि मामले की जांच पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो, और सभी संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा की जाए। *जांच प्रक्रिया और एसडीएम का निर्देश

ऋषभ ब्यौहार उमरियापान के बहुचर्चित नाम समाजसेवा के कार्यों में रहते हैं आगे इनका नाम बस नही काम बोलता है, नवयुवकों में सबसे चर्चित चेहरा ऋषभ ब्यौहार जो कि हर समय मदद के लिए रहते हैं तैयार

 ऋषभ ब्यौहार उमरियापान के बहुचर्चित नाम समाजसेवा के कार्यों में रहते हैं आगे इनका नाम बस नही काम बोलता है, नवयुवकों में सबसे चर्चित चेहरा ऋषभ ब्यौहार जो कि हर समय मदद के लिए रहते हैं तैयार  ढीमरखेड़ा | ऋषभ ब्यौहार उमरियापान के एक बहुचर्चित नाम हैं, जिनका व्यक्तित्व और कार्य उनकी पहचान बन चुके हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में उनका योगदान उनकी पहचान को और भी मज़बूत करता है। ऋषभ का मानना है कि समाज की सेवा और सहायता ही जीवन का सच्चा उद्देश्य है, और इसी सिद्धांत के तहत वे हर समय लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। उनके कार्य न केवल उमरियापान बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी उनकी ख्याति को बढ़ाते हैं, और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। ऋषभ ब्यौहार का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन बचपन से ही उनमें समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता देखने को मिलती थी। उन्होंने अपने माता-पिता से सेवा और समर्पण के मूल्य सीखे, जो उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गए। किशोरावस्था में ही उन्होंने देखा कि समाज में गरीब और वंचित लोगों को मदद की कितनी जरूरत होती है, और यह बात उनके दिल को छू गई। यही वो समय था

सवर्ण समाज परेशान होकर अपनी पीड़ा की ज़ाहिर, सवर्णों की मांग कि एक अलग प्रदेश का गठन करके सरकार हमको दे ताकि सभी सवर्ण समाज एक साथ रह सकें

 सवर्ण समाज परेशान होकर अपनी पीड़ा की ज़ाहिर, सवर्णों की मांग कि एक अलग प्रदेश का गठन करके सरकार हमको दे ताकि सभी सवर्ण समाज एक साथ रह सकें ढीमरखेड़ा |  भारत का सवर्ण समाज सामान्यतः उन जातियों से संबद्ध होता है, जिन्हें पारंपरिक रूप से ऊंची जातियों के रूप में देखा जाता है। इनमें प्रमुखतः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और अन्य कुछ उच्च जातियां शामिल हैं। इतिहास में सवर्ण जातियों ने समाज के प्रमुख क्षेत्रों जैसे राजनीति, शिक्षा, धर्म, और शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये जातियां सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी मजबूत आधार रखती हैं। हालाँकि, स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में, समाजिक संरचनाओं में हुए बदलावों और आरक्षण नीति जैसी सरकारी योजनाओं ने सवर्ण समाज को अपनी पहचान और अधिकारों की सुरक्षा के प्रति चिंतित किया है। भारत में कई बार जातीय और सांस्कृतिक आधारों पर अलग राज्य की मांगें उठी हैं, जैसे तेलंगाना, झारखंड, और उत्तराखंड के मामले। इन राज्यों की मांगों के पीछे क्षेत्रीय और सांस्कृतिक असमानताएं थीं। लेकिन सवर्ण समाज की मांग इससे अलग है। सवर्ण समाज की मांग सामाजिक संरचना के आधार पर

ग्राम खमतरा निवासी राजा सिंह ने लगाई फांसी, ढीमरखेड़ा पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है देवरी मारवाड़ी के जंगलों में मिली लाश

 ग्राम खमतरा निवासी राजा सिंह ने लगाई फांसी, ढीमरखेड़ा पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है देवरी मारवाड़ी के जंगलों में मिली लाश ढीमरखेड़ा | ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम खमतरा के निवासी राजा सिंह द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई हैं। 19 सितंबर 2024 को, जब राजा सिंह रात को अपने घर वापस नहीं लौटे, तो उनके परिवार के सदस्य चिंतित हो गए और उन्होंने उनकी तलाश शुरू की। कई घंटों तक राजा सिंह का कोई सुराग न मिलने पर, परिवार और गांव के लोगों ने आस-पास के इलाकों और जंगलों में खोजबीन शुरू की। आखिरकार, देवरी मारवाड़ी के घने जंगलों में एक दर्दनाक दृश्य सामने आया, राजा सिंह की लाश पेड़ से फांसी के फंदे में लटकी हुई मिली। इस घटना से पूरे गांव में शोक और आश्चर्य की लहर दौड़ गई। राजा सिंह की उम्र लगभग 17 वर्ष थी, एक साधारण और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके परिवार और आस-पड़ोस के लोग उन्हें एक मेहनती और जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में जानते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए खेतिहर मजदूरी किया करते थे और उन्होंने कभी किसी से किसी प्रकार का मनमुटाव नह

नौकरी पाने में दिख रही भाई-भतीजावाद की नीति , पद खाली, लेकिन भर्तियां नहीं लंबी प्रक्रिया तोड़ रही बेरोजगारों की कमर हर विभाग के हैं पद खाली लेकिन नहीं निकल रही भर्ती युवाओं की नज़र बनी भर्ती पर, कुछ भर्तियां निकलती हैं और हों जाती हैं भ्रष्टाचार का शिकार जिनके हैं ऊपर संबंध उनका बालक हों जाता हैं नौकरी में, किसान का बेटा बैठा हैं बेरोजगार

  नौकरी पाने में दिख रही भाई-भतीजावाद की नीति , पद खाली, लेकिन भर्तियां नहीं लंबी प्रक्रिया तोड़ रही बेरोजगारों की कमर हर विभाग के हैं पद खाली लेकिन नहीं निकल रही भर्ती युवाओं की नज़र बनी भर्ती पर, कुछ भर्तियां निकलती हैं और हों जाती हैं भ्रष्टाचार का शिकार जिनके हैं ऊपर संबंध उनका बालक हों जाता हैं नौकरी में, किसान का बेटा बैठा हैं बेरोजगार ढीमरखेड़ा | भारत में बेरोजगारी की समस्या पिछले कुछ वर्षों से विकट होती जा रही है। खासकर तब जब केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में लाखों पद खाली पड़े हों और योग्य उम्मीदवार नौकरी की आस लगाए बैठे हों। 8 लाख से अधिक सरकारी नौकरियों की उपलब्धता होने के बावजूद, भर्ती प्रक्रियाएं इतनी लंबी और जटिल हैं कि बेरोजगार युवाओं की उम्मीदें टूटती जा रही हैं। किसान, जो कड़ी मेहनत कर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, इस उम्मीद में कि उन्हें सरकारी नौकरी मिलेगी, वे भी अपने बच्चों के बेरोजगार रहने से निराश हैं।देश के विभिन्न सरकारी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद भर्तियां नहीं हो रही हैं। यह स्थिति न केवल बेरोजगारी को बढ़ा रही है, बल्कि सरकारी तंत्र की

कृषक क्लब की राशि हड़पने की फिराक में आई.डी.बी.आई बैंक और लक्ष्य एनजीओ आई.डी.बी.आई. शाखा घंटाघर कटनी की सांठगांठ के कारण किसानों को नहीं मिल रही राशि खाता बंद होने का बहाना बनाकर एनजीओ को राशि देने की तैयारी

  कृषक क्लब की राशि हड़पने की फिराक में आई.डी.बी.आई बैंक और लक्ष्य एनजीओ आई.डी.बी.आई. शाखा घंटाघर कटनी की सांठगांठ के कारण किसानों को नहीं मिल रही राशि खाता बंद होने का बहाना बनाकर एनजीओ को राशि देने की तैयारी  ढीमरखेड़ा | राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास नाबार्ड के द्वारा हर विकासखडों में कृषक दल का गठन किया गया था। गठन का उद्देश्य किसानों को जागरूक करना एवं अन्य किसानों को नाबार्ड के माध्यम से योजनाओं का लाभ प्रदान करना था। जिसमें शासन के द्वारा कृषक दल में शामिल सदस्यों को भी राशि दी जाती थी। इसी बीच काफी समय से लेन-देन नहीं होने के कारण आई.डी.आई.बी. बैंक के द्वारा सदस्यों के खाते निष्क्रिय कर दिये गये और उन्हें पैसा देने से मना कर दिया गया है। इसी बीच बैंक के द्वारा लक्ष्य एनजीओ से सांठगांठ करके उनसे भुगतान के लिये लेटर मांगा गया है। लक्ष्य एनजीओ के द्वारा भुगतान के लिये अपना लेटर बैंक को सौंपा जा चुका है। ऐसी स्थिति में यदि एनजीओ के खाते में भुगतान कर दिया जाता है तो किसानों को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ेगा । मंगलवार को कलेक्टर जनसुनवाई में किसानों के द्वारा इस संबंध में अपनी पीड़ा स