पागल कर दे इंसान को जो पैसे की अजब कहानी है ढीमरखेड़ा | है लोभ बढ़ गया दुनिया में, मैं जो बात करूं नादानी है।पागल कर दे इंसान को जो,पैसे की अजब कहानी है।जहां रुतबा पहले ज्ञान का था,प्रश्न आत्म सम्मान का था। इज्जत इंसान की होती थी,राज धर्म ईमान का था।आज की पीढ़ी इन सब से,एकदम ही अनजानी है।पागल कर दे इंसान को जो,पैसे की अजब कहानी है।पैसा है तो सब कुछ है,ये बात सिखाई जाती है।दूर करे इंसान से जो, वो किताब पढ़ाई जाती है।है रिश्तेदारी पैसे की,प्यार कहां रूहानी है।पागल कर दे इंसान को जो,पैसे की अजब कहानी है।गरीब को मिलता न्याय कहां,कानून तो अभी अंधा है।पैसों से मिलता न्याय यहां,जुर्म बन गया धंधा है।अन्याय देख खामोश है सब,खून बन गया पानी है।पागल कर दे इंसान को जो,पैसे की अजब कहानी है।घर बड़े और दिल अब छोटे हैं,इंसान नीयत के खोटे हैं।भ्रष्ट हो रहे हैं अब सब,नौकरियों के कोटे हैं।हो कैसे उन्नति देश की,सबके मन में बेइमानी है।पागल कर दे इंसान को जो पैसे की अजब कहानी है।राहुल पैसा राखियो, बिन पैसे सब बेकार पैसे बिन तो जम न पाए गद्दी पर सरकार। जीत उसी की होती जिस पर पैसा विकट अपार, बिन पैसे के ख...