कटनी में नव पदस्थ डीपीसी प्रेम नारायण तिवारी से उम्मीदें शिक्षा सुधार की ओर एक नई पहल
ढीमरखेड़ा | कटनी जिले के शिक्षा जगत में एक नया अध्याय उस समय प्रारंभ हुआ जब मंगलवार को प्रेम नारायण तिवारी ने जिला शिक्षा केन्द्र में जिला परियोजना समन्वयक (DPC) के रूप में अपना कार्यभार संभाला। इस अवसर पर जिला शिक्षा केन्द्र कटनी के समस्त सहायक परियोजना समन्वयक (APCs), प्रोग्रामर और कार्यालयीन स्टाफ उपस्थित रहा। यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक नई उम्मीदों, अपेक्षाओं और बदलावों की दस्तक भी थी। जिले में लंबे समय से रुकी पड़ी समस्याएं और शिकायतें, अब समाधान की राह देख रही हैं। प्रेम नारायण तिवारी एक अनुभवी शैक्षिक प्रशासक हैं, जो इसके पूर्व जबलपुर जिला शिक्षा केन्द्र में एपीसी मोबिलाइज़र के पद पर कार्यरत थे। उनके पास विभिन्न शैक्षिक योजनाओं के क्रियान्वयन का अनुभव है। वे विशेष रूप से शासकीय योजनाओं की मॉनिटरिंग, छात्रों की उपस्थिति, छात्रवृत्ति वितरण, और बालक - बालिका छात्रावासों के संचालन से जुड़े विषयों में दक्षता रखते हैं।
*कार्यभार ग्रहण का अवसर संवाद और योजना*
कार्यभार ग्रहण करने के बाद श्री तिवारी ने सबसे पहले अपने सहकर्मियों से परिचय प्राप्त किया और उनके कार्य क्षेत्र, चुनौतियों तथा कार्यशैली को समझने का प्रयास किया। उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि वे संवाद और समन्वय के ज़रिये कार्य करना पसंद करते हैं। बुधवार को दोपहर 2 बजे सभी विकासखंड स्त्रोत समन्वयकों की बैठक आहूत की गई है, जिसमें शिक्षा से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
*छात्रावास अधीक्षकों की स्थिति एक प्रमुख मुद्दा*
कटनी जिले के शिक्षा तंत्र में छात्रावास अधीक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। परंतु यह भी एक कटु सत्य है कि कई छात्रावास अधीक्षक नियम विरुद्ध वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि इससे छात्रावासों में भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी का वातावरण भी बनता है। कुछ छात्रावासों में यह पाया गया है कि अधीक्षक छात्राओं/छात्रों की मूलभूत आवश्यकताओं की उपेक्षा करते हैं, भोजन की गुणवत्ता खराब होती है, नियमित उपस्थिति का अभाव है, और छात्रों के साथ व्यवहार भी अपमानजनक रहता है। इन सबके पीछे वर्षों से एक ही स्थान पर टिके रहने की मानसिकता और स्थानीय दबाव है।
*स्थानांतरण नीति का पालन क्यों ज़रूरी है?*
सरकारी सेवा में स्थानांतरण नीति का पालन न केवल प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है। एक ही स्थान पर वर्षों तक बने रहने से व्यक्ति में अधिकार की भावना पैदा हो जाती है और वह अपने कार्यक्षेत्र को निजी संपत्ति की तरह देखने लगता है। इससे शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र का पतन होना स्वाभाविक है।
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