आयुष्मान आरोग्य मंदिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ढीमरखेड़ा में डॉक्टर की अनुपस्थिति, आम जनता की उपेक्षा, मरीज़ों की त्रासदी
आयुष्मान आरोग्य मंदिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ढीमरखेड़ा में डॉक्टर की अनुपस्थिति, आम जनता की उपेक्षा, मरीज़ों की त्रासदी
ढीमरखेड़ा | भारत सरकार ने "आयुष्मान भारत" योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने हेतु "आयुष्मान आरोग्य मंदिर" की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य था कि हर नागरिक को प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं सहजता से उपलब्ध हों। लेकिन जब इन स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर ही न हों, तो यह योजना कागज़ी साबित होकर रह जाती है। ऐसा ही एक दर्दनाक उदाहरण है ढीमरखेड़ा का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जहाँ डॉक्टर की अनुपस्थिति ने आम जनता को गहरे संकट में डाल दिया है। ढीमरखेड़ा, जो कि मध्यप्रदेश के कटनी जिले का एक जनपद है, प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण लेकिन प्रशासनिक अनदेखी का शिकार इलाका है। यहाँ का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों के लिए एकमात्र उम्मीद है। लेकिन पिछले कई महीनों से यहां पर स्थायी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो पाई है। कभी - कभार एक संविदा डॉक्टर आकर खानापूर्ति कर चला जाता है, लेकिन नियमित इलाज, महिला स्वास्थ्य सेवाएं, प्रसव सुविधा, टीकाकरण, आपातकालीन सेवाएं सब कुछ ठप पड़ा है।
*मरीजों को रेफर किया जाता है*
साधारण बुखार, उल्टी-दस्त से लेकर गंभीर बीमारियों तक के लिए मरीजों को 20 से 50 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल भेजा जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण ऑटो या जीप का किराया तक नहीं दे पाते।
*गर्भवती महिलाओं के लिए संकट*
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव की कोई सुविधा नहीं है। कई महिलाएं रास्ते में या घर पर प्रसव करने को मजबूर होती हैं, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान जोखिम में रहती है।
*बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित*
बुजुर्गों को हाई ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों के लिए नियमित दवा की ज़रूरत होती है, लेकिन डॉक्टर की अनुपस्थिति के चलते दवा नहीं मिल पाती। वहीं बच्चों को समय पर टीके नहीं लग पाते, जिससे टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है।
*आपातकाल में कोई मदद नहीं*
साँप काटने, एक्सीडेंट या अचानक तबीयत बिगड़ने जैसी स्थिति में मरीजों को झोलाछाप डॉक्टर या ओझा-गुनी के भरोसे छोड़ दिया जाता है।
*स्वास्थ्य केंद्र की हालत*
स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग ज़रूर बनी है, लेकिन उसके भीतर ना तो पर्याप्त स्टाफ है, ना दवाइयां, और ना ही सफाई व्यवस्था। कई बार तो स्वास्थ्य केंद्र बंद ही रहता है। ग्रामीणों ने शिकायतें भी की हैं, लेकिन न तो जनपद प्रशासन ने ध्यान दिया और न ही स्वास्थ्य विभाग ने।
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