सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बिना नज़राना के नहीं होता कोई कार्य, नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण ढीमरखेड़ा तहसील की सहायक ग्रेड 3 गीता झारिया, नज़राना दो तभी काम होगा" जैसी भ्रष्ट मानसिकता प्रशासन की रीढ़ को तोड़ देगी

 बिना नज़राना के नहीं होता कोई कार्य, नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण ढीमरखेड़ा तहसील की सहायक ग्रेड 3 गीता झारिया, नज़राना दो तभी काम होगा" जैसी भ्रष्ट मानसिकता प्रशासन की रीढ़ को तोड़ देगी



ढीमरखेड़ा |  लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में नियमों और प्रक्रियाओं का पालन सर्वोच्च माना जाता है। सरकारी नौकरियों में नियुक्ति से लेकर कार्यान्वयन तक एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और योग्यता सुनिश्चित करना होता है। किंतु जब इन नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं, तब यह न केवल शासन की साख को चोट पहुँचाता है, बल्कि आम जनता का विश्वास भी टूटता है। मध्यप्रदेश के कटनी जिले की तहसील ढीमरखेड़ा में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 गीता झारिया का मामला इसी तरह का गंभीर उदाहरण है।

*नियमों की अवहेलना तीन संतान होने का मामला*

राज्य शासन द्वारा यह स्पष्ट निर्देश है कि वर्ष 2001 के बाद जिन शासकीय सेवकों के तीन या उससे अधिक संतानें हैं, उन्हें शासकीय सेवा में नियुक्त नहीं किया जा सकता। यह नीति जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से लागू की गई थी और सभी सरकारी सेवाओं में इसका पालन अनिवार्य है। लेकिन गीता झारिया इस नियम की सीधी अवहेलना करती पाई गईं। उनके तीन संतानें होने के बावजूद उन्हें सहायक ग्रेड 3 के पद पर नियुक्त किया गया, और वह वर्षों से इस पद पर कार्यरत हैं। यह नियुक्ति प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह की नियुक्ति संभव नहीं हो सकती। सवाल यह उठता है कि जब नियम इतने स्पष्ट हैं, तो फिर इनका उल्लंघन कैसे हुआ?

*अनिवार्य सीपीसीटी प्रमाण पत्र की अनुपस्थिति*

राज्य शासन ने सभी सहायक ग्रेड 3 पदों के लिए CPCT (Computer Proficiency Certification Test) अनिवार्य कर दिया है। यह परीक्षा यह सुनिश्चित करती है कि उम्मीदवार कंप्यूटर पर कार्य करने में सक्षम है और प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल तरीके से कर सकता है।लेकिन गीता झारिया के पास यह अनिवार्य प्रमाणपत्र नहीं है। ऐसे में उनकी नियुक्ति पूर्णतः अवैध मानी जानी चाहिए। बिना सीपीसीटी पास किए नियुक्ति केवल भ्रष्टाचार और पक्षपात के दम पर ही संभव हो सकती है। यह प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाता है।

*औचक निरीक्षण और सेवा समाप्ति का आदेश*

जब यह मामला वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में आया, तब तत्कालीन अपर कलेक्टर ने औचक निरीक्षण के दौरान सभी दस्तावेजों और नियमों की जाँच की। निरीक्षण के बाद उन्होंने स्पष्ट रूप से यह आदेश दिया कि गीता झारिया की सेवा नियमों के अनुसार समाप्त की जाए। यह आदेश यह दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर अनियमितता की पुष्टि हो चुकी थी। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आदेश दिए जाने के महीनों बाद भी गीता झारिया के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह प्रशासनिक उदासीनता का जीवंत उदाहरण है।

*भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का जाल*

ढीमरखेड़ा तहसील में यह आम चर्चा का विषय बन चुका है कि गीता झारिया बिना नज़राना लिए किसी भी कार्य को आगे नहीं बढ़ातीं। जमीन नामांतरण से लेकर हर फाइल पर पैसे लिए जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार हर पेशी पर ₹500 की मांग की जाती है, और यदि कोई व्यक्ति पैसे नहीं देता तो उसका कार्य जानबूझकर लटकाया जाता है या फाइल गायब कर दी जाती है। यह व्यवहार न केवल गैरकानूनी है, बल्कि नैतिक रूप से भी निंदनीय है। तहसील कार्यालय में कार्यरत अन्य कर्मचारी भी इस व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं, और पूरा सिस्टम एक भ्रष्टाचार के जाल में फँस चुका है। ऐसे में आम आदमी को न्याय मिलना लगभग असंभव हो गया है।

 *आम जनता की पीड़ा और विश्वास का ह्रास*

ढीमरखेड़ा तहसील के निवासी इस भ्रष्टाचार से बुरी तरह त्रस्त हैं। उनका कहना है कि अब तो सरकारी कार्यालयों में बिना पैसे दिए कोई कार्य नहीं होता। लोगों ने कई बार शिकायतें कीं, लेकिन जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो उन्होंने अब चुप्पी साध ली है। यह चुप्पी सिस्टम के प्रति अविश्वास का परिणाम है। यदि शासन इस ओर ध्यान नहीं देता, तो यह धीरे-धीरे पूरे प्रशासन को खोखला कर देगा।

टिप्पणियाँ

popular post

झाड़ियों में मिला नवजात शिशु, रंडीबाजी की चुप्पी और नवजात की चीख

 झाड़ियों में मिला नवजात शिशु, रंडीबाजी की चुप्पी और नवजात की चीख ढीमरखेड़ा |  मध्यप्रदेश के कटनी जिले के ढीमरखेड़ा जनपद की ग्राम पंचायत भटगवां के आश्रित ग्राम भसेड़ा में एक हृदयविदारक घटना सामने आई। गांव के बाहरी हिस्से में स्थित घनी झाड़ियों में एक नवजात शिशु लावारिस अवस्था में पड़ा मिला। उसकी किलकारियों ने वहां से गुजर रहे ग्रामीणों का ध्यान खींचा और जल्द ही यह खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। आनन-फानन में सरपंच अशोक दाहिया ने अपनी सक्रियता दिखाई और नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है।यह घटना केवल एक बच्चे के मिलने भर की नहीं है; यह उस सामाजिक विडंबना की ओर इशारा करती है जहां अनैतिक संबंधों, देह व्यापार और सामाजिक डर के कारण नवजातों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया जाता है। ग्राम भसेड़ा में सुबह के समय कुछ ग्रामीण लकड़ी बीनने निकले थे। तभी उन्हें झाड़ियों से किसी नवजात की रोने की आवाज सुनाई दी। पहले तो उन्हें भ्रम हुआ, पर जब वे पास पहुंचे तो वहां एक नवजात शिशु खून और माटी से सना हुआ पड़ा मिला। उसे देखकर सबके रोंगटे खड़े हो गए...

तीसरी संतान होने पर गई महिला शिक्षक की नौकरी, मध्यप्रदेश के शिक्षकों में मचा हड़कंप लेकिन ढीमरखेड़ा में कार्रवाई से क्यों बच रहे हैं दोषी? ढीमरखेड़ा तहसील के एक बाबू पर बहुत जल्द गिरेगी तीन संतान पर गाज

 तीसरी संतान होने पर गई महिला शिक्षक की नौकरी, मध्यप्रदेश के शिक्षकों में मचा हड़कंप लेकिन ढीमरखेड़ा में कार्रवाई से क्यों बच रहे हैं दोषी? ढीमरखेड़ा तहसील के एक बाबू पर बहुत जल्द गिरेगी तीन संतान पर गाज  ढीमरखेड़ा |  मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से आई एक खबर ने पूरे राज्य के सरकारी शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा दिया है। छतरपुर के धमौरा स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की महिला शिक्षक रंजीता साहू को सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने तीसरी संतान होने की बात को छिपाया था। ये घटना ना सिर्फ नियमों के उल्लंघन का प्रतीक है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि कुछ जिलों में सख्त प्रशासनिक रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि कुछ स्थानों पर, जैसे ढीमरखेड़ा विकासखंड में, ऐसे नियमों को पूरी तरह नज़रअंदाज किया जा रहा है। रंजीता साहू, जो कि छतरपुर जिले के धमौरा क्षेत्र में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ थीं, उन पर 2022 में यह आरोप लगा कि उन्होंने तीसरी संतान होने के बावजूद यह जानकारी विभाग से छुपाई और अपनी नौकरी जारी रखी। जबकि 2001 में राज्य सरकार द्वारा यह नियम लागू कि...

अग्निवीर में चयनित हुए रवि चौरसिया का उमरिया पान पुलिस द्वारा किया गया उत्साहवर्धन

 अग्निवीर में चयनित हुए रवि चौरसिया का उमरिया पान पुलिस द्वारा किया गया उत्साहवर्धन ढीमरखेड़ा |  देश की सेवा करने का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए भारतीय सेना में भर्ती होना एक गर्व की बात होती है। जब कोई युवा कड़ी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है, तो उसका सम्मान किया जाना न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात होती है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण उमरिया पान निवासी रवि चौरसिया का है, जिनका चयन अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में हुआ है। रवि चौरसिया, जो लालू राम चौरसिया के पुत्र हैं, अपनी मेहनत, संघर्ष और देशभक्ति की भावना के चलते अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए हैं। उनकी इस उपलब्धि पर थाना उमरिया पान पुलिस ने उनका सम्मान कर उत्साहवर्धन किया, जिससे न केवल रवि बल्कि क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी प्रेरणा मिली है। *अग्निवीर योजना युवाओं के लिए सुनहरा अवसर* भारत सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत युवाओं को चार वर्ष की अवधि के लिए भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना में भर्ती होने का अवसर दिया जाता है। इस योजना के तहत चयनित ज...