सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी, दोस्ती की मिसाल, जिसने बचाई सौरभ मिश्रा की जान, मुंबई में आया सौरभ मिश्रा को अटैक अब हैं सुरक्षित, तुझे कैसे कुछ हों सकता हैं मेरे भाई तेरे ऊपर करोड़ो लोगो की दुआएं हैं काल भी उसका क्या बिगाड़े जिसकी रक्षा महाकाल करते हों
सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी, दोस्ती की मिसाल, जिसने बचाई सौरभ मिश्रा की जान, मुंबई में आया सौरभ मिश्रा को अटैक अब हैं सुरक्षित, तुझे कैसे कुछ हों सकता हैं मेरे भाई तेरे ऊपर करोड़ो लोगो की दुआएं हैं काल भी उसका क्या बिगाड़े जिसकी रक्षा महाकाल करते हों
ढीमरखेड़ा | मुंबई जैसे बड़े महानगर में जीवन हमेशा व्यस्त और तेज़ गति से चलता है, लेकिन इसी बीच एक घटना घटी जिसने यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती किसी भी परिस्थिति में अपने दोस्त के लिए हर हद पार कर सकती है। सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी ने अपने दोस्त सौरभ मिश्रा के लिए जो किया, वह न सिर्फ दोस्ती की मिसाल बन गया, बल्कि यह भी दिखाया कि इंसानियत और प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं। सौरभ मिश्रा मुंबई में थे, जब अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। बताया जाता है कि उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी जान पर खतरा बन गया था। जैसे ही यह खबर सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी तक पहुंची, उन्होंने बिना किसी देरी के मुंबई जाने का फैसला किया। वह तुरंत हवाई जहाज से मुंबई रवाना हो गए, क्योंकि उनके लिए उनका दोस्त सबसे महत्वपूर्ण था।
*मनीष बागरी का बड़ा निर्णय "पैसे से ज्यादा दोस्त की जान कीमती"*
मुंबई पहुंचते ही मनीष बागरी ने डॉक्टरों से साफ कह दिया कि "एक तरफ सौरभ मिश्रा को तौल दो और दूसरी तरफ पैसा तौल दो, लेकिन मेरे दोस्त को कुछ नहीं होना चाहिए।" यह शब्द न सिर्फ उनकी दोस्ती की गहराई को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि सच्ची दोस्ती में कोई सौदा नहीं होता। डॉक्टरों ने सौरभ मिश्रा का पूरा इलाज किया, और प्रभु की कृपा से अब उनकी रिपोर्ट पूरी तरह नॉर्मल आई है। यह सुनते ही मनीष बागरी और उनके परिवार ने राहत की सांस ली। सौरभ मिश्रा अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और यह सब मनीष बागरी की तत्परता, समर्पण और दोस्ती की वजह से संभव हुआ।
*मनीष बागरी, दोस्ती की नई परिभाषा*
मनीष बागरी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुश्किल समय में बिना किसी स्वार्थ के आपके साथ खड़ा रहता है। उन्होंने अपने दोस्त के लिए समय, पैसा, और अपनी ऊर्जा सब कुछ झोंक दिया, ताकि सौरभ मिश्रा को कुछ न हो।
*दोस्ती की ताकत इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं*
मनीष बागरी की यह दोस्ती इतिहास के उन महान दोस्तों की याद दिलाती है, जिन्होंने अपने मित्रों के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी।
कृष्ण और सुदामा – भगवान कृष्ण ने अपने गरीब दोस्त सुदामा के लिए अपने महल के दरवाजे खोल दिए थे।
कर्ण और दुर्योधन – कर्ण ने अंतिम समय तक दुर्योधन का साथ दिया, भले ही पूरा संसार उसके खिलाफ था।
भगत सिंह और सुखदेव – इन्होंने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी को गले लगा लिया।
अलेक्जेंडर और हेफेस्टियन – महान योद्धा अलेक्जेंडर अपने दोस्त हेफेस्टियन की मौत पर टूट गए थे।
इसी तरह मनीष बागरी ने भी दोस्ती का ऐसा उदाहरण पेश किया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। समाज को यह सीख मिलती है मनीष बागरी और सौरभ मिश्रा की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि रिश्ते सिर्फ नाम के नहीं होते, बल्कि उन्हें निभाने का जज्बा भी होना चाहिए। आज के युग में जहां स्वार्थ और मतलबीपन बढ़ता जा रहा है, वहां ऐसे दोस्तों की कमी महसूस होती है जो बिना स्वार्थ के एक-दूसरे के लिए खड़े रहें। सच्चे दोस्त की पहचान मुश्किल समय में होती है। पैसा और शोहरत से ज्यादा जरूरी है इंसानियत और प्रेम। अगर आपके पास एक सच्चा दोस्त है, तो आप दुनिया के सबसे अमीर इंसान हैं। मुश्किल घड़ी में इंसान को अपने दोस्तों पर भरोसा रखना चाहिए।
*मनीष बागरी जैसे दोस्त का होना सौभाग्य की बात*
सौरभ मिश्रा के लिए मनीष बागरी का यह समर्पण एक मिसाल बन चुका है। आज जब भी कोई दोस्ती की बात करेगा, तो मनीष बागरी और उनकी निःस्वार्थ सेवा की कहानी जरूर याद की जाएगी। अगर दुनिया में हर किसी को मनीष बागरी जैसा दोस्त मिल जाए, तो शायद किसी को भी अकेले मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह घटना यह भी दर्शाती है कि सच्ची दोस्ती पैसों से नहीं तौली जा सकती, बल्कि यह दिलों से जुड़ी होती है।आज के समय में जहां रिश्ते सिर्फ मतलब के लिए निभाए जाते हैं, वहां मनीष बागरी जैसे इंसान यह साबित करते हैं कि सच्ची दोस्ती अब भी जिंदा है। उन्होंने सौरभ मिश्रा के लिए जो किया, वह न सिर्फ एक सच्चे दोस्त की पहचान है, बल्कि हर किसी के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है। इस पूरी घटना ने यह साबित कर दिया कि अगर दोस्ती में सच्चाई, समर्पण और प्रेम हो, तो भगवान भी आपके साथ होता है। सौरभ मिश्रा का ठीक होना सिर्फ डॉक्टरों की मेहनत ही नहीं, बल्कि मनीष बागरी के भरोसे, प्रयास और दुआओं का भी नतीजा है।अब जब सौरभ मिश्रा पूरी तरह स्वस्थ हैं, तो मनीष बागरी और उनके परिवार के साथ-साथ सभी शुभचिंतकों ने राहत की सांस ली है।यह घटना हर दोस्ती करने वाले इंसान को यह सिखाती है कि सच्चा दोस्त वही होता है जो आपके बुरे समय में आपके साथ खड़ा रहता है, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो। ऐसे दोस्तों को नमन, जो दुनिया के लिए प्रेरणा बन जाते हैं और सच्ची दोस्ती की नई परिभाषा लिखते हैं।
Bhaisab kuchh Jada nhi gya
जवाब देंहटाएंDosti ki misal Dost Ho To Aisa bahut badhiya
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