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ठेकेदार की कमाई का जरिया बनी नल जल योजना जगह - जगह ग्रामवासी परेशान, मुरवारी गांव की जल समस्या, नल जल योजना की असफलता और प्रशासन की लापरवाही

 ठेकेदार की कमाई का जरिया बनी नल जल योजना जगह - जगह ग्रामवासी परेशान, मुरवारी गांव की जल समस्या, नल जल योजना की असफलता और प्रशासन की लापरवाही 



ढीमरखेड़ा |  भारत सरकार की ‘हर घर नल, हर घर जल’ योजना का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण घर तक स्वच्छ और सुरक्षित जल पहुंचाना था, लेकिन ग्राम पंचायत मुरवारी के हरिजन मोहल्ले के निवासी इस सुविधा से वंचित हैं। यहां की महिलाओं को पिछले तीन वर्षों से पानी लाने के लिए लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। यह समस्या केवल एक गांव की नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की विफलता को दर्शाती है।

*नल जल योजना में ठेकेदार की लापरवाही*

गांव के लोगों का कहना है कि नल जल योजना में ठेकेदार की लापरवाही के कारण उन्हें पानी जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है। सरकार द्वारा इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी गांव की जनता को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। समाजसेवी दीपू बैरागी ने इस मुद्दे को कई बार प्रशासन के समक्ष उठाया, जनपद से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों से शिकायतें की गईं, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकला। 

*गर्मी में और भी विकराल हुई समस्या*

गर्मी के मौसम में पानी की समस्या और बढ़ गई है। महिलाओं को कड़ी धूप में दूर से पानी लाना पड़ता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कई ग्रामीणों ने बताया कि पानी की इस किल्लत के कारण उनके बच्चे और परिवारजन बीमार हो रहे हैं। गांव में पानी के अन्य कोई स्रोत नहीं हैं, और जो हैं वे या तो सूख चुके हैं या उपयोग के लायक नहीं बचे हैं।

*शिकायतों के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई*

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने 181 हेल्पलाइन और संबंधित विभागों में शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। समीक्षा बैठकों में भी यह मुद्दा उठाया गया, फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब भी वे जनपद कार्यालय जाते हैं, तो अधिकारी मौजूद नहीं होते। यह प्रशासन की असंवेदनशीलता और गैर-जिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है।आरआई मोहनलाल साहू ने स्वीकार किया कि ग्रामीणों द्वारा नल जल योजना में लापरवाही को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग (पीएचई) के एसडीओ को इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह पत्र भी अन्य शिकायतों की तरह धूल फांकता रहेगा?

*महिलाओं की व्यथा एक किलोमीटर दूर से पानी लाने की मजबूरी*

गांव की महिलाओं का कहना है कि वे रोजाना कम से कम दो बार एक किलोमीटर दूर से पानी लाने जाती हैं, जिससे उनका पूरा दिन इसी काम में चला जाता है। यह न केवल शारीरिक रूप से थकाने वाला कार्य है, बल्कि उनके अन्य घरेलू कार्यों को भी प्रभावित करता है। ग्रामीण उर्मिला चौधरी, शकुन चौधरी, शीतला चौधरी, आरती चौधरी आदि ने इस समस्या के जल्द समाधान की मांग की है। महिलाओं का कहना है कि पानी लाने के कारण वे अपने बच्चों को ठीक से नहीं संभाल पा रही हैं, और गर्मी के कारण कई बार चक्कर आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

*सरकारी अनदेखी लाखों-करोड़ों खर्च फिर भी सुविधाओं का अभाव*

गांव के लोगों का कहना है कि सरकारी खजाने से लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन वह ठेकेदार की लापरवाही के कारण अधूरी रह गई। पंप हाउस बनाया गया लेकिन उसमें पानी नहीं आ रहा है, मोटर लगाई गई लेकिन वह चालू नहीं की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी ठेकेदार से मिलीभगत कर चुके हैं और इसीलिए उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर यही हाल रहा तो सरकार की ‘हर घर जल’ योजना महज एक दिखावा बनकर रह जाएगी।

*समाजसेवी और ग्रामीणों की पहल*

समाजसेवी दीपू बैरागी ने बताया कि इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया जा रहा है। एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें जल्द से जल्द समस्या का समाधान करने की मांग की गई है। अगर सरकार इस पर ध्यान नहीं देती है, तो ग्रामीण आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।

*क्या प्रशासन जागेगा?*

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस समस्या पर संज्ञान लेगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो मुरवारी गांव के लोग विरोध प्रदर्शन, अनशन और चक्काजाम जैसे कदम उठाने पर मजबूर होंगे। सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या को तुरंत हल करे और यह सुनिश्चित करे कि ग्रामीणों को ‘हर घर नल, हर घर जल’ योजना का वास्तविक लाभ मिले।

 *कब मिलेगा मुरवारी गांव को न्याय?*

ग्राम मुरवारी के हरिजन मोहल्ले के लोग तीन साल से जल संकट से जूझ रहे हैं। सरकार की योजना के बावजूद लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही और ठेकेदार की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली के कारण गांव की महिलाओं को एक किलोमीटर दूर से पानी लाने की मजबूरी है। ग्रामीणों ने बार-बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन किसी ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन इस मुद्दे को प्राथमिकता पर रखे और तुरंत समाधान करे। अन्यथा यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है और सरकार की योजनाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर सकती है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन कब तक इस गंभीर समस्या की अनदेखी करते हैं। क्या मुरवारी के लोगों को ‘हर घर जल’ योजना का लाभ मिलेगा या फिर वे हमेशा के लिए पानी के संकट से जूझते रहेंगे?

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