क्या किसी को शर्म आयी...?जस्टिस यशवंत वर्मा के भ्रष्टाचार कृत्य से नहीं, नहीं, नहीं और ना कभी आएगी.अब तो वक़्त आ गया है जन आंदोलन का इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
क्या किसी को शर्म आयी...?जस्टिस यशवंत वर्मा के भ्रष्टाचार कृत्य से नहीं, नहीं, नहीं और ना कभी आएगी.अब तो वक़्त आ गया है जन आंदोलन का इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
ढीमरखेड़ा | भारत की इस भ्रष्ट न्याय व्यवस्था न केवल लचर और पंगु है बल्कि विश्व की सबसे भ्रष्ट न्याय व्यवस्थाओं मे से एक है दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय की कलम कहती है कि एक वकील जो कोलेजियम के चलते न्यायाधीश बन बैठा और वहां से उगाही करके 10 - 15 करोड़ तो अपने घर मे रखे थे बाकी और कहाँ हैं उसका पता इन भ्रष्टों की जमात के रहते पता नहीं चलेगा । देश मे किसी को आश्चर्य या दुख नहीं हुआ इस आग के लगने से बल्कि आम जनता मे एक खुशी और उम्मीद की लहर है की शायद अब कुछ होगा इस सफेद दिखने वाली काली चादर का । ये सही मौका है एक जन आंदोलन का जिसमें इन भ्रष्ट अन्यायमूर्तियों ने जो अपने मौज मस्ती का तंत्र न्यायालय की स्वतंत्रता के नाम पे खड़ा किया हुआ है। मेरी कलम कहती है कि इस प्रकरण में एक भी अभी के 1000 के लगभग वर्तमान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अन्यायमूर्तियों ने इस पर शर्म जाहिर की हो या इस्तीफा दिया हो की या मुख्य न्यायाधीश से मांग की हो की उचित कार्यवाही की जाए नहीं तो इस माहौल मे हम काम नहीं कर पाएंगे। सब अन्यायमूर्ति इस कमबख्त यशवन्त वर्मा को कोष रहे होंगे की इसकी बेवकूफ़ी ने राज का पर्दाफाश कर दिया। अब सब न्याय की कुर्सी पर बैठने के बजाय कठघरे मे आ गए हैं। हर निर्णय को अब जांचा परखा जाएगा की यह वर्मा कांड तो नहीं है।जन आंदोलन की जरूरत है इस भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ जिसने देश के 20-30 करोड़ लोगों को मुकदमों से त्रस्त कर रखा है। किसी के मन मे अब कोई सम्मान बचा हुआ नहीं रहेगा।इनका मज़ाक उड़ाया जाएगा । लो आ गया एक और यशवंत वर्मा । हिम्मत देखो इन जज साहब की अपने घर का कमरा भर के रखा है क्योंकि मालूम है किसी की हिम्मत नहीं है जज के घर मे घुसने की। कब मुक्त होगा ये देश इस भ्रष्ट व्यवस्था से। सबसे पहले ये लड़ाई सोशल मीडिया पर चालू रहनी चाहिए ताकि इसकी तपिश हर उस भ्रष्ट व्यक्ति तक पहुंचे जो कुर्सी पर बैठकर दिखाता कुछ और है और कर्ता कुछ और है। अब तक ये लोग निर्दोष थे क्योंकि दोष साबित नहीं हुआ था लेकिन अब सब दोषी हैं जब तक की वो अपने व्यवहार से साबित ना कर दे की वो निर्मल, निश्चल है। दुख की बात है की एक भी ईमानदार सिटिंग जज इसके लिए कुछ नहीं बोल रहा है ना कोई बड़ा वकील बोल रहा है। भारत के सी जे आई जो अपने आप को इस देश, इसके लोकतंत्र का रक्षक मानते हैं उनमे अगर आत्मसम्मान है अपने प्रति, अपनी जिम्मेदारी के प्रति तो क्या वो ऐसा लचर फैसला लेते। दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय की कलम कहती है कि पैसा खाकर न जाने इस जज ने कितने गलत फैसले दिए होंगे। न्यायपालिका ही जब भ्रष्टाचारी जज को सजा नहीं देगी तो कौन देगा ट्रांसफर कोई सजा नहीं होती यह बेहद संगीन आरोप है जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलना चाहिए । मुद्दा ज्वलंत रहे इसलिए दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय की कलम के माध्यम से भारत वर्ष की लोकतंत्र की इस जनता जनार्दन को ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास किया गया है कि आखिर कब इस अखंड भारत से भ्रष्टाचार मुक्त होगा जब न्यायमूर्ति ही भ्रष्ट हो रहे है तब न्याय की किस प्रकार की पराकाष्ठा प्रस्तुत होगी यह एक विचारणीय सोच को प्रकट करती है।
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