वर्तमान प्रभारी प्राचार्य पी. एम. श्री शासकीय स्कूल गोपालपुर अनिल कुम्हार अवैध तरीके से लगाई गई ड्यूटी होना चाहिए उच्चस्तरीय जांच
वर्तमान प्रभारी प्राचार्य पी. एम. श्री शासकीय स्कूल गोपालपुर अनिल कुम्हार अवैध तरीके से लगाई गई ड्यूटी होना चाहिए उच्चस्तरीय जांच
ढीमरखेड़ा | शासकीय स्कूल गोपालपुर के प्रभारी प्राचार्य अनिल कुम्हार द्वारा कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए अंग्रेजी विषय की परीक्षा में अवैध रूप से ड्यूटी लगाए जाने का मामला गंभीर चिंता का विषय है। इस प्रकार की अनियमितताएं शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और निष्पक्षता को प्रभावित करती हैं, जिससे छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
*परीक्षा प्रक्रिया में ड्यूटी आवंटन का महत्व*
परीक्षा प्रक्रिया में ड्यूटी आवंटन एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी छात्र समान अवसर प्राप्त करें और परीक्षा प्रक्रिया में कोई भी पक्षपात या अनियमितता न हो। ड्यूटी आवंटन के लिए एक अनुमोदित सूची तैयार की जाती है, जिसमें योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों के नाम शामिल होते हैं। यह सूची उच्च अधिकारियों द्वारा अनुमोदित होती है ताकि परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
*प्रभारी प्राचार्य द्वारा की गई अनियमितता*
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, प्रभारी प्राचार्य अनिल कुम्हार ने अनुमोदित सूची में शामिल न होने के बावजूद कुछ व्यक्तियों को अंग्रेजी विषय की परीक्षा में ड्यूटी पर नियुक्त किया। यह कार्य न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि परीक्षा की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। इस प्रकार की अनियमितता से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी होती है, जो छात्रों के हित में नहीं है। जब परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताएं होती हैं, तो उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न उठते हैं, जिससे छात्रों और समाज में शिक्षा प्रणाली के प्रति अविश्वास बढ़ता है।अनियमितताओं के कारण छात्रों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यदि परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताएं होती हैं, तो छात्रों के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं, जिससे उनके भविष्य के शैक्षणिक और करियर संबंधी अवसरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में एक मामले में, प्रभारी प्राचार्य अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी ने फर्जी अंक सूची के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। जांच में उनकी सभी योग्यताएं और डिग्रियां फर्जी पाई गईं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पांच साल की सजा सुनाई गई। यह उदाहरण दर्शाता है कि शिक्षा प्रणाली में अनियमितताओं के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। परीक्षा प्रक्रिया के दौरान ड्यूटी आवंटन और अन्य संबंधित कार्यों की सख्त निगरानी की जानी चाहिए। उच्च अधिकारियों को नियमित निरीक्षण करना चाहिए ताकि अनियमितताओं को रोका जा सके। परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधित सूचनाओं को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अनुमोदित सूची, ड्यूटी आवंटन और अन्य संबंधित जानकारियों को छात्रों और अभिभावकों के साथ साझा किया जाना चाहिए। छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए, जहां वे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें और उन पर त्वरित कार्रवाई हो। शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि वे परीक्षा प्रक्रिया के नियमों और विनियमों से अवगत हों।
*कठोर दंड का प्रावधान*
परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं के लिए कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति इस प्रकार के कार्य करने से पहले सौ बार सोचे।शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है। प्रभारी प्राचार्य अनिल कुम्हार द्वारा की गई अनियमितता एक गंभीर मुद्दा है, जिसे तुरंत संबोधित किया जाना चाहिए। उचित जांच और आवश्यक कार्रवाई के माध्यम से इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है, जिससे छात्रों का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल बना रहे।
*इनका कहना है*
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है जांच कराई जायेगी
*बीईओ संयुक्ता उइके*
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