जनपद अध्यक्ष अर्पित अवस्थी की कुर्सी खतरे में, रीठी जनपद पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव से राजनीतिक हलचल
जनपद अध्यक्ष अर्पित अवस्थी की कुर्सी खतरे में, रीठी जनपद पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव से राजनीतिक हलचल
कटनी | रीठी जनपद पंचायत में इन दिनों भारी राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। भाजपा समर्थित जनपद अध्यक्ष अर्पित अवस्थी की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मंगलवार को जनपद के 15 में से 13 सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। जनपद सदस्यों का कहना है कि अध्यक्ष की कार्यशैली से वे असंतुष्ट हैं और विकास कार्यों में उनकी सहभागिता को नजरअंदाज किया जा रहा है। रीठी जनपद पंचायत के 13 सदस्यों ने कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के समक्ष उपस्थित होकर अपनी शिकायत दर्ज कराई और अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उनका आरोप है कि जनपद अध्यक्ष अर्पित अवस्थी सामान्य सभा एवं प्रशासन समिति की बैठकें समय पर नहीं बुलाते, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।जनपद सदस्यों ने अध्यक्ष पर यह भी आरोप लगाया कि वे मनमाने तरीके से कार्य करते हैं और अन्य सदस्यों को विश्वास में नहीं लेते। उनका कहना है कि पंचायत क्षेत्र में योजनाओं के क्रियान्वयन में भेदभाव किया जा रहा है, जिससे कई वार्डों में विकास की गति धीमी हो गई है।
*अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले जनपद सदस्यों की सूची, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले जनपद सदस्य*
केरा बाई लोधी
पार्वती पटेल
शिवकली चौधरी
संतोष पटेल
श्यामा बाई सिंह
रतिलाल रैदास
राजकुमारी यादव
अंजनी देवी
मंजी राजभर
चंदाबाई
संतोष कुमार मांझी
प्रकाश चंद्र साहू
कमलेश कुमार कोल
जनपद अध्यक्ष की सफाई
अविश्वास प्रस्ताव के बाद अर्पित अवस्थी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी का परिणाम बताया। उनका कहना है कि जनपद सदस्यों को गुमराह किया गया है और अधिकारियों द्वारा उनके पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे असंतोष बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जनपद उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों ने खुद ही बैठकें रद्द करवाई थीं क्योंकि पहले से पारित प्रस्तावों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी। अवस्थी ने यह भी दावा किया कि 5वें और 15वें वित्त की राशि सभी सदस्यों को बराबर आवंटित की गई थी, और उनके कार्यकाल में किसी के साथ भेदभाव नहीं हुआ।
*अविश्वास प्रस्ताव की कानूनी प्रक्रिया*
रीठी जनपद के सदस्यों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव की कानूनी जांच की जा रही है। जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत ने बताया कि इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट संबंधित जनपद सीईओ से मंगाई गई है। अगर अविश्वास प्रस्ताव नियमानुसार पाया जाता है, तो पदाविहीत अधिकारी की अनुमति से एक पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और विशेष सम्मेलन बुलाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
*राजनीतिक माहौल और संभावित परिणाम*
रीठी जनपद पंचायत में यह मामला राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील बन गया है। यह स्पष्ट है कि 13 जनपद सदस्यों का अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में अर्पित अवस्थी को अध्यक्ष पद से हटना पड़ सकता है। यदि अध्यक्ष को हटाया जाता है, तो नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें जनपद सदस्यों के बीच नए समीकरण बन सकते हैं। भाजपा समर्थित होने के कारण यह मामला राजनीतिक दलों के लिए भी अहम बन गया है, और विभिन्न स्तरों पर रणनीति बनाई जा रही है।
*जनता और प्रशासन की भूमिका*
इस पूरे घटनाक्रम में जनता भी अपनी राय दे रही है। कई स्थानीय लोग जनपद अध्यक्ष के खिलाफ उठ रही आवाज़ को सही ठहरा रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह राजनीतिक साजिश है। प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच करने और कानूनी प्रक्रिया के तहत उचित निर्णय लेने की तैयारी कर रहा है। अगर अविश्वास प्रस्ताव सही पाया जाता है, तो अध्यक्ष को पद छोड़ना पड़ सकता है, लेकिन अगर प्रक्रिया में कोई खामी पाई गई तो अध्यक्ष अपना पद बरकरार रख सकते हैं।
*क्या हो सकते हैं अगले कदम?*
कानूनी जांच पूरी होने के बाद पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति होगी। विशेष सम्मेलन बुलाकर मतदान किया जाएगा, जिसमें बहुमत का फैसला किया जाएगा। अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है, तो नए जनपद अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। भाजपा और अन्य दल इस मुद्दे को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। रीठी जनपद पंचायत में जनपद अध्यक्ष अर्पित अवस्थी की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है। 13 सदस्यों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। अब सबकी निगाहें प्रशासन की जांच प्रक्रिया और विशेष सम्मेलन पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि अर्पित अवस्थी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या नहीं। अविश्वास प्रस्ताव की सफलता या असफलता, रीठी जनपद पंचायत की राजनीति को एक नया मोड़ देने वाली है।
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