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इंजीनियर सुमित साहू के कारण ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती विकास योजनाएँ, ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया से अगर इनको अलग नहीं किया गया तो होगा उग्र - प्रदर्शन और चक्काजाम, सरपंच संदीप यादव और रोज़गार सहायक संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश त्रिपाठी ने कलेक्टर से की शिकायत

 इंजीनियर सुमित साहू के कारण ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती विकास योजनाएँ, ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया से अगर इनको अलग नहीं किया गया तो होगा उग्र - प्रदर्शन और चक्काजाम, सरपंच संदीप यादव और रोज़गार सहायक संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश त्रिपाठी ने कलेक्टर से की शिकायत 



ढीमरखेड़ा |  जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया में विकास कार्यों को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आ रहा है। यहाँ के निर्वाचित सरपंच संदीप यादव ने उपयंत्री सुमित साहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं।सरपंच का कहना है कि उपयंत्री न केवल समय पर कार्यों का मूल्यांकन नहीं कर रहे हैं, बल्कि पंचायत से अनावश्यक राशि की माँग कर रहे हैं। इसके साथ ही, मनरेगा कार्यों को जानबूझकर अटकाने और 10% कमीशन की माँग करने जैसे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। सरपंच संदीप यादव ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि उपयंत्री सुमित साहू को तत्काल प्रभाव से हटाया नहीं गया, तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा और भूख हड़ताल भी की जाएगी। उनका कहना है कि झिन्ना पिपरिया के लोगों ने उन्हें अपने सरपंच के रूप में चुना है और उनकी जिम्मेदारी है कि वे पंचायत के विकास में किसी भी प्रकार की बाधा न आने दें। लेकिन उपयंत्री सुमित साहू के कार्यशैली के कारण पंचायत में विकास ठप पड़ गया है।

*उपयंत्री पर लगे गंभीर आरोप कार्य का समय पर मूल्यांकन नहीं करना*

ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया में चल रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन समय पर नहीं किया जा रहा है। इससे न केवल मजदूरों का भुगतान प्रभावित हो रहा है, बल्कि पंचायत के कार्यों में भी देरी हो रही है। कई मामलों में, पहले से पूर्ण कार्यों की रिपोर्ट भी अब तक तैयार नहीं की गई है।

*अनावश्यक राशि की माँग*

सरपंच का आरोप है कि पंचायत द्वारा किए गए कार्यों को मंजूरी देने के बदले उपयंत्री अनावश्यक राशि की माँग कर रहे हैं। बिना रिश्वत दिए हुए कोई भी कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है। यदि पंचायत कोई कार्य पूरा भी करवा लेती है, तो उपयंत्री उसके भुगतान में बाधा डाल देते हैं।

*10% कमीशन की माँग*

सरपंच संदीप यादव के अनुसार, उपयंत्री सुमित साहू पंचायत के प्रत्येक विकास कार्य में 10% कमीशन की माँग कर रहे हैं। बिना कमीशन दिए हुए किसी भी कार्य का भुगतान नहीं किया जा रहा है। यह सरासर भ्रष्टाचार है, जिससे ग्राम पंचायत की योजनाएँ बाधित हो रही हैं।

*मनरेगा कार्यों को जानबूझकर नहीं खोलना*

ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा एक महत्वपूर्ण योजना है, जो गरीब मजदूरों को रोजगार प्रदान करती है। लेकिन उपयंत्री सुमित साहू जानबूझकर मनरेगा कार्यों को ओपन नहीं कर रहे हैं। इससे गाँव के गरीब मजदूर बेरोजगार बैठे हैं और उनका जीवनयापन मुश्किल हो रहा है।

*पंचायत के कार्यों में असहयोग*

पंचायत के कार्यों को आगे बढ़ाने में उपयंत्री बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे अधिकारियों की बैठक में भी पंचायत प्रतिनिधियों की उपेक्षा करते हैं। उनके व्यवहार से पंचायत के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।सरकारी नियमों के अनुसार, जिस स्थान पर कोई अधिकारी या कर्मचारी पदस्थ होता है, उसे वहीं रहना चाहिए। लेकिन उपयंत्री सुमित साहू मुख्यालय बनाकर नहीं रह रहे हैं, जिससे उन्हें पंचायत की समस्याओं का सही तरीके से पता ही नहीं चलता। वे केवल कागजों पर काम कर रहे हैं और जमीन पर विकास की स्थिति से अनभिज्ञ हैं।

*सरपंच संदीप यादव की माँग*

सरपंच संदीप यादव का कहना है कि उपयंत्री की इस मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ यदि जल्द से जल्द उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो पंचायत के लोग मजबूर होकर आंदोलन करेंगे। उपयंत्री सुमित साहू को तत्काल प्रभाव से झिन्ना पिपरिया पंचायत के कार्यों से हटाया जाए। यदि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें निलंबित किया जाए। पंचायत के कार्यों में हो रही देरी की उच्चस्तरीय जाँच करवाई जाए। मनरेगा के रुके हुए कार्यों को तुरंत खोला जाए, ताकि मजदूरों को रोजगार मिल सके। पंचायत के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए और पारदर्शिता लाई जाए।

*भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की चेतावनी*

झिन्ना पिपरिया के ग्रामीणों ने भी सरपंच के साथ अपनी सहमति जताई है। उनका कहना है कि यदि उपयंत्री को हटाया नहीं गया, तो पूरे गाँव के लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत में जो भी विकास कार्य होने चाहिए, वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं। यदि यह स्थिति बनी रही, तो गाँव के हालात और भी बदतर हो सकते हैं। ग्रामीणों ने पंचायत के प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए कहा कि वे सरपंच संदीप यादव के साथ हैं और उनकी लड़ाई में पूरा गाँव उनका समर्थन करेगा। यदि प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसमें सड़कों पर जाम, धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल शामिल हो सकती है।

*प्रशासन की भूमिका और अपेक्षित कार्रवाई*

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। यदि सरपंच द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं, तो उपयंत्री सुमित साहू के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होगी। प्रशासन को चाहिए कि वह सरपंच द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करे। पंचायत के विकास कार्यों की स्थिति की जाँच हो और मनरेगा भुगतान की प्रक्रिया की समीक्षा की जाए। यदि जाँच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में विभागीय कार्रवाई के साथ - साथ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाए। मनरेगा सहित अन्य विकास योजनाओं की नियमित निगरानी की जाए। प्रत्येक कार्य के भुगतान और मूल्यांकन को समय पर किया जाए। पंचायत के कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए जनता को सीधे शामिल किया जाए। हर पंचायत में एक निगरानी समिति बनाई जाए, जो विकास कार्यों की निगरानी करे । ग्राम पंचायत झिन्ना पिपरिया में उपयंत्री सुमित साहू के खिलाफ सरपंच संदीप यादव और ग्रामीणों की नाराजगी को देखते हुए प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। भ्रष्टाचार और लालफीताशाही के कारण गाँवों का विकास रुक रहा है और जनता का सरकार पर से विश्वास उठ रहा है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह आंदोलन एक बड़ा जनांदोलन बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह पंचायत के सरपंच और ग्रामीणों की माँगों को गंभीरता से ले और पारदर्शिता के साथ विकास कार्यों को आगे बढ़ाए।

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