इंजीनियर सुमित कुमार साहू पंचायतों में लेते हैं कमीशन, कमीशन के कारण निर्माण कार्यों में होती हैं अनियमितता,इंजीनियर सुमित कुमार साहू और पंचायतों में कमीशनखोरी का खेल, निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की कहानी
इंजीनियर सुमित कुमार साहू पंचायतों में लेते हैं कमीशन, कमीशन के कारण निर्माण कार्यों में होती हैं अनियमितता,इंजीनियर सुमित कुमार साहू और पंचायतों में कमीशनखोरी का खेल, निर्माण कार्यों में अनियमितताओं की कहानी
ढीमरखेड़ा | भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जाती हैं। इन योजनाओं के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में सड़क, जल आपूर्ति, भवन निर्माण, और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होता है। लेकिन, भ्रष्टाचार की बढ़ती प्रवृत्ति इन योजनाओं की सफलता में बाधा डालती है। पंचायतों में कमीशनखोरी की प्रथा, जिसमें सरकारी अधिकारी ठेकेदारों और ग्राम सरपंचों से कमीशन की मांग करते हैं, न केवल विकास कार्यों की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि ग्रामीण जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है। इन्हीं अनियमितताओं में इंजीनियर सुमित कुमार साहू का नाम बार-बार उभर कर आता है। उनके ऊपर आरोप है कि वे पंचायतों में चलने वाले निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और सरपंचों से कमीशन मांगते हैं, जिसके कारण काम की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
*कमीशनखोरी की जड़े मज़बूत*
कमीशनखोरी पंचायतों में भ्रष्टाचार का सबसे सामान्य रूप बन गया है। किसी भी विकास कार्य के लिए स्वीकृत बजट का एक हिस्सा संबंधित अधिकारियों और इंजीनियरों को कमीशन के रूप में देना पड़ता है। इससे बचा हुआ पैसा परियोजना के कार्यान्वयन में लगाया जाता है। नतीजतन, निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है, जिससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी होती है, बल्कि जनता को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
*इंजीनियर सुमित कुमार साहू पर लगे आरोप*
इंजीनियर सुमित कुमार साहू पर पंचायत स्तर पर चल रहे निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और सरपंचों से 10% से 20% तक कमीशन मांगने के आरोप हैं। सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग। सरकारी भवनों और स्कूलों की दीवारों में कमज़ोर निर्माण। जलापूर्ति योजनाओं में निम्न स्तर के पाइप और टैंकों का उपयोग। भुगतान की प्रक्रिया को जानबूझकर लंबा करना। भुगतान की स्वीकृति के बदले ठेकेदारों से कमीशन की मांग। दबाव बनाकर अनियमितताओं को छिपाना।
*इसका बहुत जल्द होगा विरोध*
कई सरपंचों ने सार्वजनिक रूप से शिकायत की है कि कमीशनखोरी के कारण उन्हें या तो गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता है या निर्माण कार्य बंद करना पड़ता है।जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि यदि कमीशन नहीं दिया जाता तो परियोजनाओं को अस्वीकृत कर दिया जाता है। कमीशनखोरी केवल आर्थिक नुकसान नहीं करती, बल्कि इसका सामाजिक और विकासात्मक प्रभाव भी गंभीर होता है। घटिया निर्माण से सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं। जलापूर्ति योजनाएं असफल हो जाती हैं, जिससे ग्रामीणों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र खराब गुणवत्ता के कारण उपयोगी नहीं रह पाते। ग्रामवासी अपने करों से चुकाए गए धन का लाभ नहीं उठा पाते। उनके अधिकारों और आवश्यकताओं की अनदेखी होती है। भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की साख पर बुरा असर पड़ता है। भ्रष्ट अधिकारी और इंजीनियर अमीर होते जाते हैं, जबकि आम जनता गरीबी में जीने को मजबूर होती है।इंजीनियर सुमित कुमार साहू पर लगे आरोप पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी समस्या को उजागर करते हैं। यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसी प्रणाली की कहानी है, जहां कमीशनखोरी ने विकास की गति को रोक दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का अंत तभी हो सकता है, जब सरकारी अधिकारी, जनप्रतिनिधि, और जनता मिलकर इस समस्या का समाधान खोजें।कमीशनखोरी पर रोक लगाने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही, और जनभागीदारी को बढ़ावा देना होगा। केवल तभी हम ग्रामीण भारत के वास्तविक विकास की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
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