अवैध खनन-बेजा वसूली- कोयला गबन की शिकायतों ने दरोगा को कराया लाईन हाजिर, जबलपुर के उच्चाधिकारियों तक शिकायतें पहुंची तो कार्यवाही हुई अभिषेक चौबे पर
अवैध खनन-बेजा वसूली- कोयला गबन की शिकायतों ने दरोगा को कराया लाईन हाजिर, जबलपुर के उच्चाधिकारियों तक शिकायतें पहुंची तो कार्यवाही हुई अभिषेक चौबे पर
कटनी । कुठला पुलिस थाने को चौबीस घंटे मुनाफा कमाने वाली दुकान के रूप में कुछ वर्षों से चला रहे थाना प्रभारी अभिषेक चौबे की गागर झलक गई और डीआईजी जबलपुर ने उनकी वसूली की तथा थाने से जब्त कोयले की खुर्द-बुर्दगी की शिकायत पर उनकी जांच शुरू करा दी, फलत: एसपी को लाचार होना पड़ा कि चौबे जी को थाने से हटाकर पुलिस लाइन में अटैच कर देवें। गुरूवार को विवादित टीआई अभिषेक चौबे को लाईन हाजिर कर दिया गया है। पिछले दिनों दीपक सिह ने दरोगा चौबे के ऊपर बेहद शर्मनाक इल्जाम थोपते हुए डीआईजी अतुल सिंह के पास शिकायत की थी। यह मामला अवैध खनन पर प्रतिमाह लाखों की वसूली से जुड़ा था। आरोप था कि दरोगा चौबे ने तीन लाख रूपये उनसे वसूले और अधिक राशि की मांग की। उसके घर पर खड़ी जेसीबी मशीन, हाइवा को उठवाकर अवैध खनन का फर्जी केस दर्ज करवा दिया। शिकायत में बताया गया कि दरोगा जी के संरक्षण में एक दूसरा व्यक्ति मुरूम का अवैध खनन लंबे समय से कर रहा है। यह शिकायत एसपी के यहां भी दी गई थी, जिस पर स्वाभाविक रूप से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
*ढाबे व पशुवाहक वाहनों से वसूली*
डीआईजी स्तर पर शिकायतें पहुंची कि दरोगा जी पशु का परिवहन करने वाले सभी ट्रकों से दस-दस हजार रूपया वसूलते हैं, न मिलने पर उन्हें पशु क्रूरता अधिनियम में रगड़ देते हैं। क्षेत्र के ढाबों से भी ऊंची दरों पर वसूली की शिकायतें उच्चाधिकारियों तक पहुंचती रहती थी।
*20 टन कोयला ढो गया छोटा हाथी*
बताया जाता है कि कुठला थाने में 20 टन कोयला जब्त कर रखा गया था। वह थाने से उठकर कहीं चला गया। सीसीटीवी की नजर से बचने के लिए थाने के पीछे से छोटे हाथी पर लदकर अज्ञात जगह चला गया। ऐसी तमाम शिकायतें जो स्थानीय स्तर पर सुपुर्द-ए -खाक कर दी जाती थीं, वे शिकायतें जबलपुर जाने पर जांच में शामिल हो गईं और कुठला थानेदार अभिषेक चौबे को लाईन हाजिर करने की स्थितियां बन गईं। वैसे चौबे जी ने हमेशा हर आरोप को झूठा-मनगढंत बताकर शिकायतें खारिज की हैं, मगर अब उन्हें विभागीय जांच में उन्हें खारिज कराना पड़ेगा।
*एक साल से अधिक थाना प्रभार न दिए जाए*
जनता कहती है कि किसी भी थाने में दरोगा को एक साल से अधिक नहीं रखा जाना चाहिए। एक साल बाद वे व्यवहारिक ज्यादा हो जाते हैं और अपराध बढ़ जाते हैं।
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