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मुट्ठी बांधे जन्म लिया, हांथ पसारे जाना हैं इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जाना है , श्रेय मिले न मिले, अपना श्रेष्ठ देना कभी बंद न करें, आशा चाहे कितनी भी कम हो, निराशा से बेहतर होती है

 मुट्ठी बांधे जन्म लिया, हांथ पसारे जाना हैं इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जाना है , श्रेय मिले न मिले, अपना श्रेष्ठ देना कभी बंद न करें, आशा चाहे कितनी भी कम हो, निराशा से बेहतर होती है



ढीमरखेड़ा | यह जीवन एक यात्रा है जो अपने साथ कई अनुभव, चुनौतियाँ और अवसर लेकर आता है। जब हम इस दुनिया में आते हैं, तो हमारा पहला संकेत होता है – मुट्ठी बांधकर जन्म लेना। यह एक प्रतीक है कि हम इस दुनिया में अपने हिस्से की ऊर्जा और संभावनाओं के साथ आते हैं। लेकिन, जब हमारा समय पूरा होता है, तो हम इस दुनिया को छोड़ते हुए हाथ पसारकर चले जाते हैं, जैसे यह संकेत देना कि जो कुछ भी हमने अर्जित किया, वह यहीं रह जाएगा।इस जीवन यात्रा को गहराई से समझने के लिए, हमें इसे अलग-अलग पहलुओं में देखना होगा। जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उसकी मुट्ठी बंद होती है। यह न केवल शारीरिक रूप से बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी दर्शाता है कि वह अपनी पूरी क्षमता और ऊर्जा के साथ इस दुनिया में आया है। यह मुट्ठी इस बात का प्रतीक है कि हमारे पास कुछ अद्वितीय करने की शक्ति है। यह एक नई शुरुआत का संकेत है, जो हमें सिखाती है कि हमें अपने जीवन में हर दिन एक नई शुरुआत करनी चाहिए । मुट्ठी बांधकर जन्म लेना हमें इस बात का भी एहसास दिलाता है कि जीवन में हमें प्रयास करना चाहिए। चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, एक दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच के साथ हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।

*हाथ पसारकर जाना, नश्वरता की सच्चाई*

जब किसी व्यक्ति का जीवन समाप्त होता है, तो वह अपने पीछे केवल अपनी यादें, अपने कर्म और अपनी विरासत छोड़ता है। हाथ पसारकर जाना यह दर्शाता है कि हम इस संसार से कुछ भी साथ नहीं ले जा सकते। न तो धन, न पद, न प्रसिद्धि – कुछ भी। यह हमें सिखाता है कि जो कुछ भी हमें मिला है, वह केवल जीवन के लिए है और इसे दूसरों के साथ साझा करना ही इसका सही उपयोग है। हाथ पसारकर जाने का अर्थ यह भी है कि हमें अपने अहंकार को त्यागना चाहिए। जीवन का अंतिम सत्य यही है कि सब कुछ यहीं रह जाएगा। यह सच्चाई हमें नम्रता और सादगी से जीने की प्रेरणा देती है।

*श्रेय मिले न मिले, श्रेष्ठ देना कभी बंद न करें*

यह कथन जीवन में कड़ी मेहनत और समर्पण की महत्ता को दर्शाता है। कई बार हम देखते हैं कि लोग अपने कार्यों का श्रेय पाने के लिए अधिक चिंतित रहते हैं। लेकिन, सच्चा आनंद और संतोष तब मिलता है जब हम बिना किसी अपेक्षा के अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। जब हम अपने प्रयासों का परिणाम दूसरों की भलाई में देखते हैं, तो वह खुशी अद्वितीय होती है। श्रेय मिले न मिले, श्रेष्ठ देने का यह दृष्टिकोण हमें मानसिक शांति और आंतरिक संतोष प्रदान करता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमारा ध्यान परिणाम पर नहीं, बल्कि प्रक्रिया पर होना चाहिए।

*आशा निराशा से बेहतर विकल्प*

आशा वह शक्ति है जो हमें कठिन समय में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जब हमें लगता है कि सब कुछ खो गया है, तब भी थोड़ी-सी आशा हमें नया दृष्टिकोण और नई ऊर्जा देती है। निराशा हमें नीचे गिराती है, लेकिन आशा हमें ऊपर उठाती है। यह भी सच है कि आशा हमेशा सकारात्मक परिणाम नहीं लाती। लेकिन, यह हमें निराशा के गहरे गड्ढे में गिरने से बचाती है। आशा एक दीपक की तरह है जो अंधकार में भी रास्ता दिखाती है।

*जीवन का उद्देश्य और कर्तव्य*

जीवन का उद्देश्य केवल स्वयं के लिए जीना नहीं है। यह दूसरों की सहायता करने, समाज के लिए कुछ योगदान देने और अपने आस-पास के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए है। श्रेष्ठ कार्य करना और अपने प्रयासों में ईमानदारी रखना ही हमारा कर्तव्य है।जब हम अपने कार्यों को इस भावना के साथ करते हैं, तो हम जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने लगते हैं। चाहे हमें उसका श्रेय मिले या न मिले, हम अपने कार्यों में संतोष पाते हैं। मुट्ठी बांधे जन्म लेना और हाथ पसारे जाना जीवन के दो महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। यह हमें सिखाता है कि जीवन में जो भी समय हमें मिला है, उसे पूरी ईमानदारी और सकारात्मकता के साथ जीना चाहिए। हमें अपने कार्यों में श्रेष्ठता लानी चाहिए, बिना इस बात की परवाह किए कि हमें उसका श्रेय मिलेगा या नहीं। आशा हमें निराशा से बचाती है और जीवन को एक नई दिशा देती है। यह हमारे लिए एक प्रेरणा है कि हम अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं और अपने आस-पास के लोगों के लिए सकारात्मक बदलाव लाएं। यही जीवन का असली उद्देश्य है।

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