पुलिस हैं या भगवान, वर्दी का दिख रहा रौब , शहडोल के व्यापारी को प्रताड़ित कर पुलिस ने छीने सवा लाख, लुटे-पिटे नागरिक ने जांच कर रुपए वापस दिलाने की मांग की, उच्चाधिकारी तक शिकायत भेजी, अब कार्यवाही का इंतजार है
पुलिस हैं या भगवान, वर्दी का दिख रहा रौब , शहडोल के व्यापारी को प्रताड़ित कर पुलिस ने छीने सवा लाख, लुटे-पिटे नागरिक ने जांच कर रुपए वापस दिलाने की मांग की, उच्चाधिकारी तक शिकायत भेजी, अब कार्यवाही का इंतजार है
कटनी । आप शांतिप्रिय नागरिक हैं और मान लें कि आप शांतिप्रिय नहीं है, तो भी आपके अंदर इतना साहस सौ जन्मों के बाद भी नहीं आ सकता कि आप पुलिस से पंगा लेने को सोच भी सकें। इस आधार पर पुलिस अधिकारी या थानेदार की कार्यवाहियों को नाजायज ठहराते हुए निर्णायक हस्तियों (आईजी, मुख्यमंत्री सरकार) तक शिकायत पहुंचाने वाले फरियादी के साहस को देखकर समझा जा सकता है कि पुलिस ने उसकी सहनशक्ति को चूर-चूर कर देने की हदों तक अपने निर्दयी व्यवहार को अंजाम दिया है। यह दुस्साहस शहडोल जिले के एक ग्रामीण किराना व्यापारी ने किया है और डीआईजी (जबलपुर) को शिकायत दी है कि आपके कटनी जिले के एसपी के मातहत सिटी दरोगा ने हमारे साथ अमानवीय नाजायज बर्ताव करके सवा एक लाख रुपए हथिया लिए हैं, हो सके तो इसकी जांच कराकर लूटी गई राशि वापस दिलवा दें। भगवान ही जाने कि इस तरह के साधारण नागरिक की साधारण शिकायत में छिपे गंभीर अपमान के तथ्यों पर डीआईजी स्तर से संज्ञान लिया जाएगा या बस धान एक पसेरी के भाव न्याय की तुला पर धरे रह जाएंगे। कटनी कोतवाली टीआई पर सवा लाख रुपए छीनने के लिए किए गए नागरिक - अपमान का ब्यौरा डीआईजी को अनुज शुक्ला ने भेजते हुए बताया कि वह ग्राम भटिया जिला शहडोल में किराने की दुकान का व्यवसाय करता है। कटनी उसके व्यापारिक संबंधों के कारण हमेशा आना जाना रहता है। 19 दिसंबर को अनुज अपने बीमार पिता रामशिरोमणि शुक्ला को उपचार कराने श्री हॉस्पिटल कटनी लेकर आया था और चेकप कराकर वापस लौट रहा था कि उसके आत्मीय आकांक्षा आर्या का जबलपुर से फोन आया और अर्जेंट डेढ़ लाख की मदद मांगी गई। अनुज शुक्ला पिता को शहडोल छोडक़र जबलपुर के लिए आवश्यक रकम नगद लेकर शाम तक लौटा और कटनी में सरावगी गेस्ट हाऊस में आराम लेने ठहर गया, साथ में ड्रायवर पवन शर्मा भी था। रात करीब दो-तीन बजे (20.12.2024)पुलिस वाले उसके रूम नं. बीस में पहुंचे और जबरन बिना कुछ बताए कटनी थाने ले गए।
*पहले पिटाई-फिर खिंचाई*
शिकायत कहती है कि थाने में पुलिस ने दोनों की दमदार ठुकाई कर दी। दहशत दी गई कि-फर्जी केस में फंसा देंगे। पूछताछ में पुलिस को सारे तथ्य दिखाए गए। पिताजी के उपचार के कागज, टोल नाके के मैसेज, मदद मांगने वाले फोनकर्ता से मौखिक जानकारी सब पेश किए। लेकिन दरोगा साहब नहीं पिघले वे डेढ़ लाख की नगदी के सामने कुछ देखना-सुनना -समझना नहीं चाह रहे थे।
*बिना रिपोर्ट लॉकअप में बंद*
अनुज शुक्ला और उसके चालक को सारा दिन लॉकअप में बंद रखा गया। शाम को उसके हिस्से का 25 हजार लौटाया गया। कोई कार्यवाही में नहीं उलझाया इसके लिए टीआई ने एक लाख रुपए और 25 हजार रुपए सिपाही ने अपने पास रख लिए। छोड़ते हुए धमकाया गया कि होशियारी मत दिखाना वरना....!
अनुज शुक्ल ने पुलिस की शिकायत करके अपनी जान-बान-शान से पंगा ले लिया है। इसकी शिकायत को उच्चस्तरीय अपेक्षा मिलेगी या उपेक्षा यह इंतजार का विषय है।
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