MPPSC के छात्र अपनी मांगों को लेकर कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन, अगर उनकी मांगों पर नहीं किया गया अमल तो प्रदर्शन करेगा उग्र रूप धारण
MPPSC के छात्र अपनी मांगों को लेकर कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन, अगर उनकी मांगों पर नहीं किया गया अमल तो प्रदर्शन करेगा उग्र रूप धारण
ढीमरखेड़ा | शीर्षक पढ़कर दंग मत होना यह कहानी है मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रियाओं की , जिसमें शिक्षा और रोजगार के अवसरों के लिए लड़ रहे छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सुधार की आवश्यकता की बात की जा रही है। हाल ही में, राष्ट्रीय शिक्षित युवा संघ (NEYU) के बैनर तले छात्रों ने एमपीपीएससी के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें उन्होंने परीक्षा प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और सुधार की मांग की, उल्लेखनीय हैं कि इस आंदोलन की शुरुआत 18 दिसंबर, 2024 को हुई थी और यह तीसरे दिन तक जारी रहा। स्मरण रहे कि एमपीपीएससी राज्य के सरकारी नौकरियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। यह परीक्षा मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में नियुक्तियों के लिए आयोजित की जाती है। छात्रों का आरोप है कि एमपीपीएससी द्वारा परीक्षा परिणामों की घोषणा और मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। वे चाहते हैं कि उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिकाएं और मार्कशीट दिखाई जाएं ताकि वे जान सकें कि उनके साथ कोई अन्याय तो नहीं हुआ है। यह फॉर्मूला ओबीसी कोटे से संबंधित एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है। इसके अनुसार, 87% पदों पर सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का चयन होता है, जबकि शेष 13% पदों पर अनारक्षित और ओबीसी अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है। छात्रों का मानना है कि इस फॉर्मूले के कारण भर्ती प्रक्रिया में असमानता आ रही है और यह ओबीसी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करता है। 2019 की मुख्य परीक्षा के बाद से, छात्रों ने अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने और मार्कशीट प्राप्त करने की मांग की है, ताकि वे अपनी परीक्षा के परिणाम और उनके मूल्यांकन को समझ सकें। छात्रों का यह भी आरोप है कि एमपीपीएससी 2023 की मुख्य परीक्षा के परिणामों की घोषणा में देरी हो रही है, जिससे उनकी तैयारी और भविष्य की योजनाओं पर असर पड़ रहा है। 87/13 का फॉर्मूला मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए तय किया गया था। इसके तहत 87% पदों पर भर्ती सामान्य उम्मीदवारों के लिए होती है, जबकि 13% पदों पर विशेष श्रेणियों जैसे कि ओबीसी और अनारक्षित उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। यह फॉर्मूला विशेष रूप से ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए विवादास्पद रहा है, क्योंकि यह उनके लिए पदों की संख्या को सीमित कर देता है और उनकी उम्मीदवारी को प्रभावित करता है। अभ्यर्थियों का मानना है कि इस फॉर्मूले को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को उचित प्रतिनिधित्व और अवसर देने के लिए आयोग को अपने नियमों में सुधार करने की आवश्यकता है।छात्रों का कहना है कि 87/13 फॉर्मूला भेदभावपूर्ण है और इसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। वे चाहते हैं कि सभी वर्गों के उम्मीदवारों को समान अवसर मिले।
*एमपीपीएससी 2025 के लिए अधिसूचना जारी की जाए*
छात्रों ने एमपीपीएससी 2025 के लिए राज्य सेवा और वन सेवा में पदों के लिए अधिसूचना जारी करने की मांग की है, ताकि वे आगे की तैयारी कर सकें और अवसरों का लाभ उठा सकें। छात्रों का यह भी कहना है कि 2019 मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं उम्मीदवारों को दिखाई जाएं, ताकि वे यह जान सकें कि उनके साथ कोई गलती तो नहीं हुई है। 2019 और 2023 की परीक्षा के परिणामों के बाद, छात्रों ने अपनी मार्कशीट जारी करने की मांग की है, ताकि वे अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकें। छात्रों का मानना है कि साक्षात्कार के अंक कम किए जाने चाहिए और उम्मीदवारों के नाम, श्रेणी या उपनाम का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। इससे साक्षात्कार प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जा सकता है। छात्रों ने प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी गलत प्रश्न को पूछे जाने पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही, नेगेटिव मार्किंग लागू करने की भी मांग की गई है, ताकि उम्मीदवारों को सही और गलत उत्तरों का सही मूल्यांकन किया जा सके। इस विरोध प्रदर्शन का प्रभाव राज्यभर में महसूस किया जा रहा है। हजारों छात्र और अभ्यर्थी एमपीपीएससी के खिलाफ अपने मुद्दों को उठाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। यह आंदोलन न केवल छात्रों की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि यह प्रदेश सरकार और आयोग के लिए एक चेतावनी भी है कि यदि वे छात्रों की मांगों का समाधान नहीं करेंगे, तो इससे और बड़े विरोध और संघर्ष हो सकते हैं। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान, छात्रों ने चूड़ियां भेंट करने का एक अनूठा तरीका अपनाया है। यह प्रतीकात्मक रूप से एमपीपीएससी द्वारा की जा रही अनदेखी और असमानता के खिलाफ एक विरोध का प्रतीक है। छात्रों का कहना है कि यह चूड़ियां आयोग को यह संदेश देंगी कि वे अपनी समस्याओं को हल करने के लिए और अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार बनें।
*सरकार को करना चाहिए अपना ध्यान आकर्षित*
एमपीपीएससी को अपनी परीक्षा प्रक्रिया और परिणामों में अधिक पारदर्शिता लानी चाहिए। उम्मीदवारों को अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने और मार्कशीट प्राप्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। आयोग को 87/13 फॉर्मूले पर पुनर्विचार करना चाहिए और इसे समाप्त करना चाहिए ताकि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिल सके। आयोग को प्रारंभिक परीक्षा में किसी भी गलत प्रश्न को पूछने से बचना चाहिए और साक्षात्कार प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सुधार करना चाहिए। आयोग को 2023 के मुख्य परीक्षा परिणामों की शीघ्र घोषणा करनी चाहिए और छात्रों को उचित समय में अपना मूल्यांकन करने का अवसर देना चाहिए।एमपीपीएससी के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन केवल परीक्षा प्रक्रियाओं में सुधार की मांग नहीं है, बल्कि यह उन लाखों छात्रों की आवाज भी है, जो सरकारी नौकरी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और समान अवसरों की तलाश कर रहे हैं। इस आंदोलन से यह स्पष्ट है कि यदि आयोग और राज्य सरकार छात्रों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है। इसलिए, समय रहते आयोग और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देकर समाधान निकालना होगा।
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