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मंहगाई की मार से आम आदमी परेशान , ईंट की बढ़ती कीमतो ने आम आदमी पर गिराया कहर, बिना लाइसेंस के चल रहे ईट भट्ठों पर होना चाहिए कार्यवाही

 मंहगाई की मार से आम आदमी परेशान , ईंट की बढ़ती कीमतो ने आम आदमी पर गिराया कहर, बिना लाइसेंस के चल रहे ईट भट्ठों पर होना चाहिए कार्यवाही 



ढीमरखेड़ा | ईंट निर्माण उद्योग देश के विकास और आधारभूत संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। घर, इमारत, सड़कों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में ईंटों की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में ईंटों की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। आज ईंट 8,000 से 9,000 रुपये प्रति ट्रॉली बिक रही है, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। सवाल उठता है कि क्या मिट्टी, पानी और अन्य कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से ईंट महंगी हुई है, या यह केवल एक नियामक ढांचे की कमी का परिणाम है? ईंट निर्माण के लिए उपजाऊ मिट्टी का उपयोग होता है, जो खेती के लिए भी महत्वपूर्ण है। लगातार ईंट भट्टों द्वारा मिट्टी का दोहन हो रहा है, जिससे इसकी कमी हो रही है। अब किसानों और अन्य स्रोतों से मिट्टी खरीदने की आवश्यकता पड़ती है, जो कीमत बढ़ाने में प्रमुख कारण है। ईंट निर्माण के लिए पानी की बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। कई क्षेत्रों में जल संकट के कारण पानी की कीमतें बढ़ गई हैं। इसके अलावा, जल संसाधनों पर सरकारी प्रतिबंधों के चलते वैध पानी प्राप्त करना भी महंगा हो गया है। ईंट भट्टों में ईंधन (कोयला, लकड़ी, या अन्य स्रोत) का उपयोग होता है, जिसकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही हैं। इसके अलावा, ईंटों को निर्माण स्थलों तक पहुंचाने के लिए परिवहन खर्च में वृद्धि भी कीमतों में इजाफा कर रही है। मशीनरी ने ईंट निर्माण को आसान जरूर बनाया है, लेकिन श्रमिकों की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है। श्रमिकों की कमी और बढ़ती मजदूरी ने ईंट निर्माण लागत को प्रभावित किया है। आधुनिक मशीनों और उपकरणों का उपयोग करने से उत्पादन प्रक्रिया तेज होती है, लेकिन इनके रखरखाव और संचालन पर भारी खर्च आता है। ईंट भट्टों पर लगाए गए पर्यावरणीय कर, लाइसेंस फीस, और अन्य सरकारी शुल्क कीमतों में वृद्धि के अन्य प्रमुख कारण हैं। ईंट भट्टा मालिकों और खरीदारों के बीच बिचौलियों का बढ़ता हस्तक्षेप कीमतों में वृद्धि का एक अन्य कारण है।

*क्या शासन को शिकंजा कसने की आवश्यकता है?*

ईंट उद्योग में पारदर्शिता और उचित मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने के लिए शासन को प्रभावी कदम उठाने चाहिए। शासन को ईंट की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करना चाहिए। इससे बाजार में मुनाफाखोरी और बिचौलियों की भूमिका को रोका जा सकेगा। अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्टों पर रोक लगाई जानी चाहिए। साथ ही, वैध भट्टों को पर्यावरणीय मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पानी और मिट्टी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष नीतियां बनाई जानी चाहिए। कृषि भूमि की सुरक्षा के लिए ईंट निर्माण के लिए गैर-उपजाऊ मिट्टी का उपयोग अनिवार्य किया जा सकता है। ग्रीन ईंट और फ्लाई ऐश ईंट जैसे विकल्पों को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। श्रमिकों की कमी को दूर करने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्हें बेहतर सुविधाएं और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। ईंट परिवहन में हो रही अनावश्यक लागत को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय स्तर पर निर्माण स्थलों के निकट ईंट भट्टे स्थापित किए जाने चाहिए।

*बिना लाइसेंस के संचालित हों रहे ईट भट्टे*

भारत में जगह-जगह हजारों ईंट भट्टे हैं। ये छोटे, मध्यम और बड़े स्तर पर संचालित होते हैं। इनकी बढ़ती संख्या से प्रतिस्पर्धा तो बढ़ी है, लेकिन गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण पर ध्यान नहीं दिया गया है। कई ईंट भट्टे बिना लाइसेंस के चल रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं और कीमतों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। ईंट भट्टे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का बड़ा स्रोत हैं, लेकिन श्रमिकों का शोषण और अपर्याप्त वेतन एक प्रमुख चिंता का विषय है। मशीनरी और तकनीकी सुधारों ने ईंट निर्माण को सरल और तेज बनाया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लागत कम हो गई है। मशीनों की लागत, उनके रखरखाव, और कुशल संचालन के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता ने कुल लागत को प्रभावित किया है।

*शासन - प्रशासन को करना चाहिए अपना ध्यान आकर्षित*

सरकार को ईंट उद्योग में मूल्य निर्धारण और उत्पादन प्रक्रिया की निगरानी करनी चाहिए। पारंपरिक ईंट निर्माण की जगह पर्यावरण-अनुकूल विधियों को अपनाने से लागत कम हो सकती है। स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और छोटे भट्टों को सहायक योजनाओं से जोड़ने से समस्या का समाधान संभव है। ईंधन की कीमतों और परिवहन लागत को कम करने के लिए नीतिगत सुधार आवश्यक हैं। ईंट महंगी होने के कई कारण हैं, जिनमें कच्चे माल की लागत, ईंधन और परिवहन खर्च, और सरकारी कर शामिल हैं। हालांकि, इसका समाधान संभव है यदि सरकार और उद्योग मिलकर ठोस कदम उठाएं। ईंट निर्माण को सस्ता और टिकाऊ बनाने के लिए नीतिगत सुधार, तकनीकी नवाचार, और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है। यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।

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