पासिंग उमरिया जिले की, डम्पर निकल रहे ग्राम पंचायत पहरूआ से धन के कुबेर माने जाने वाले के डम्परों का पहरूआ में आतंक ओवरलोड डम्पर के कारण सड़क हो गई चौपट
पासिंग उमरिया जिले की, डम्पर निकल रहे ग्राम पंचायत पहरूआ से धन के कुबेर माने जाने वाले के डम्परों का पहरूआ में आतंक ओवरलोड डम्पर के कारण सड़क हो गई चौपट
ढीमरखेड़ा | रसूख के दम पर शासन को हासिये में रखकर नियमों को रौंदने वाले कटनी निवासी मित्तल के द्वारा क्षेत्र में अवैध रूप से सफेद पत्थर का उत्खनन करवाया जा रहा है। रोज सैकड़ों डम्पर मैन रोड से गुजरते हुये कटनी पहुंचते है बावजूद इसके प्रशासन के आला अधिकारी आंखों में पट्टी बांध शांत बैठे हुये है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मित्तल के द्वारा उमरिया जिले अंतर्गत कुटल्ले भलवार में सफेद पत्थर का उत्खनन वाईट सीमेंट बनाने के लिये किया जाता है जिसमें शासन द्वारा जो अनुज्ञप्ति आदेश जारी किये गये है उसमें गाड़ी पासिंग की अनुमति कुटल्ले भलवार होते हुये अखराड़, चंदिया, उमरिया होते हुये कटनी पहुंचने की पासिंग दी गई लेकिन अपने रसूख का उपयोग कर उसके द्वारा कुटल्ले भलवार होते हुये ग्राम पंचायत पहरूआ कटनी ओवरलोड डम्पर पहुंच रहे है। इस बीच में अनेक अधिकारियों की आंखे इन ओवरलोड डम्पर में जाती होगी लेकिन मजाल है कि उनके द्वारा डम्परों को रोककर पतासाजी की जा सके ।
*नियमों का उड़ा रहा माखौल*
विदित हो कि खनिज भंडारण अधिनियम के तहत जिस स्थान से गाड़ी की पासिंग की अनुमति दी जाती है वहीं से ले जाने का नियम है जो अनुज्ञप्ति आदेश के शर्त की कंडिका में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है।लेकिन खनिज माफिया के द्वारा नियमों का माखौल उड़ाकर पहरूआ होते हुये कटनी ओवरलोड डम्परों को ले जाया जा रहा है जबकि अनुज्ञप्ति आदेश में पत्थर खदान कुटल्ले भलवार होते हुये अखराड़, चंदिया, उमरिया होते हुये कटनी पहुंचने के आदेश दिये गये है।
*प्रदूषण के कारण ग्रामीणों को हो रही बीमारियां*
25 से 30 टन ओवरलोड डम्पर सैकड़ों की संख्या में ग्राम पंचायत पहरूआ से होते हुये निकलते है जिस कारण से प्रदूषण इस कदर से यहां पर हावी है कि आये दिन ग्रामीण बीमार हो रहे है इसके साथ ही ग्राम पंचायत की जो सड़क है वह भी ओवरलोड डम्परों के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है। इस संबंध में ग्रामीणों के द्वारा कई बार शिकायत भी की गई लेकिन शासन के अधिकारियों के कानों में जूं तक नही रेंगी और निरंतर रूप से ओवरलोड डम्परों का यहां से आना-जाना बना हुआ है जो एक ओर तो अनुज्ञप्ति आदेश की घोर उल्लंघन की श्रेणी में आता है जिसमें अनुज्ञप्ति लायसेंस निरस्त करने के प्रावधान निहित किये गये है लेकिन मित्तल बदर्स की मनमानी के आगे ऐसा लग रहा है कि तथाकथित अधिकारियों के संरक्षण में ऐसा हो रहा है।
*अवैध परिवहन और पासिंग नियमों का उल्लंघन*
मित्तल ब्रदर्स के पासिंग आदेश में सफेद पत्थर को कुटल्ले भलवार से अखराड़, चंदिया, उमरिया होते हुए कटनी पहुंचाने की अनुमति है।बावजूद इसके, ग्राम पंचायत पहरूआ से होकर ओवरलोड डंपरों का संचालन हो रहा है। यह अनुज्ञप्ति आदेश की स्पष्ट अवहेलना है। खनिज भंडारण अधिनियम के अनुसार, वाहनों को केवल अनुमोदित मार्ग से ही गुजरने की अनुमति होती है, लेकिन रसूख के बल पर इन नियमों को अनदेखा किया जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और खनिज माफियाओं के प्रभाव के प्रति उनकी उदासीनता का प्रतीक बन गया है।
*ओवरलोड डंपरों का सड़क पर पड़ रहा प्रभाव*
ओवरलोड डंपरों के कारण क्षेत्रीय सड़कों की हालत बेहद खराब हो चुकी है। 25 - 30 टन वजन के सैकड़ों डंपरों के रोज गुजरने से ग्राम पंचायत पहरूआ की सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। यह न केवल स्थानीय परिवहन के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी बाधित कर रहा है। ओवरलोड डंपरों के गुजरने से पैदा हो रहे प्रदूषण ने ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है। प्रदूषण के कारण लोग श्वसन संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव अधिक गंभीर है। ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी इस प्रदूषण के कारण प्रभावित हो रही है।
*खनिज भंडारण अधिनियम और अनुज्ञप्ति आदेश का उल्लंघन*
खनिज भंडारण अधिनियम के अनुसार, खनिज परिवहन के लिए निर्धारित मार्गों का पालन करना अनिवार्य है। मित्तल ब्रदर्स का यह कदम स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है। इसके तहत अनुज्ञप्ति लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों के उदासीन रवैए के चलते और मित्तल ब्रदर्स का प्रभाव इसे रोकने में बाधा बन रहा है। ग्राम पंचायत पहरूआ के निवासियों ने ओवरलोड डंपरों के खिलाफ कई बार शिकायतें की हैं। उनका कहना है कि यह गतिविधि उनके जीवन को कठिन बना रही है। प्रशासन से उचित कार्रवाई की उम्मीदें बार-बार टूट चुकी हैं। इस स्थिति में, ग्रामीणों ने अब संगठित होकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
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