ढीमरखेड़ा बीईओ कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-02 अखिलेश त्रिपाठी को बात करने का लहज़ा नहीं शिक्षकों से करते हैं अभद्र भाषा में बात इनके विरूद्ध ईओडब्ल्यू और कोर्ट में चलेगा मामला , उमरियापान बालिका छात्रावास में फर्जी बिलों का खेल, भ्रष्टाचार की परतें
ढीमरखेड़ा बीईओ कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-02 अखिलेश त्रिपाठी को बात करने का लहज़ा नहीं शिक्षकों से करते हैं अभद्र भाषा में बात इनके विरूद्ध ईओडब्ल्यू और कोर्ट में चलेगा मामला , उमरियापान बालिका छात्रावास में फर्जी बिलों का खेल, भ्रष्टाचार की परतें
ढीमरखेड़ा | उमरियापान के बम्हनी ग्राम पंचायत के कुदवारी में स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका छात्रावास, जो छात्राओं को सुरक्षित और समृद्ध वातावरण प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था, अब भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का गढ़ बन चुका है। यहां पर शासन के नियमों को ताक पर रखकर व्यापक पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की जा रही हैं।
*फर्जी बिलों का खेल और नियमों की अनदेखी*
बालिका छात्रावास में पदस्थ अधीक्षका गिरजा सिंह और ढीमरखेड़ा बीईओ कार्यालय में सहायक ग्रेड-02 अखिलेश त्रिपाठी के द्वारा फर्जी बिल लगाकर शासन के धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी सामग्री की खरीद बिना निविदा प्रक्रिया के नहीं की जा सकती। इसके बावजूद अधीक्षका और बाबू बिना निविदा प्रक्रिया अपनाए निजी फर्मों से सामग्री क्रय कर रहे हैं। इन फर्मों के पास न तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन है और न ही वे पोर्टल में पंजीकृत हैं। इसके बावजूद इन फर्मों के माध्यम से फर्जी बिल लगाए जा रहे हैं और राशि आहरित की जा रही है। यह प्रक्रिया न केवल शासन के धन का दुरुपयोग है, बल्कि शासन के निर्देशों का खुला उल्लंघन भी है।
*डीपीसी की भूमिका पर सवाल*
जिला प्रशासन ने छात्रावासों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी डीपीसी के.के. डेहरिया को सौंपी है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, वे भी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। इससे पहले स्लीमनाबाद बालिका छात्रावास में भी इनके नाम का उल्लेख फर्जीवाड़े में हुआ था। उमरियापान छात्रावास में हो रहे भ्रष्टाचार को देखते हुए यह स्पष्ट है कि नीचे से ऊपर तक कमीशनखोरी का एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है।
*बालिकाओं की सेहत और भोजन में अनियमितताएं*
छात्रावास में बालिकाओं को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब है। कई बार छात्राओं को रात का बचा हुआ भोजन सुबह परोसा जाता है। सुबह का नाश्ता भी इतनी निम्न गुणवत्ता का होता है कि बच्चे उसे खाने से इनकार कर देते हैं। शासन ने प्रत्येक दिन के लिए अलग-अलग भोजन का प्रावधान किया है, लेकिन इसकी अनुपालना नहीं की जा रही है।सूत्रों का कहना है कि बालिकाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। अधीक्षका द्वारा धन का दुरुपयोग कर बालिकाओं को पोषण विहीन भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह स्थिति न केवल शासन की योजनाओं को विफल करती है, बल्कि छात्राओं के स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
*भ्रष्टाचार का प्रभाव और शासन को नुकसान*
इस भ्रष्टाचार का सीधा प्रभाव शासन की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। फर्जी बिलों के माध्यम से लाखों रुपये का दुरुपयोग हो रहा है। अधीक्षका और बाबू की मनमानी के कारण छात्रावास की व्यवस्था चरमरा गई है।
*सख्त जांच और कार्रवाई होना चाहिए*
शासन को फर्जी बिलों और आर्थिक अनियमितताओं की तत्काल जांच करानी चाहिए। दोषी अधीक्षका और बाबू के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। डीपीसी के.के. डेहरिया की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यदि वे दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें पद से हटाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। बालिकाओं को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जानी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बालिकाओं को पोषणयुक्त भोजन मिले। सभी सामग्री की खरीद निविदा प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। स्थानीय समुदाय और अभिभावकों को भी छात्रावास की व्यवस्थाओं की निगरानी में शामिल किया जाना चाहिए। नेताजी सुभाषचंद्र बोस बालिका छात्रावास में हो रहे फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार का खेल यह दर्शाता है कि कैसे जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी और लालच के कारण शासन की योजनाएं असफल हो रही हैं। यह न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनता है, बल्कि छात्राओं के भविष्य को भी अंधकारमय बनाता है। शासन को इस स्थिति का गंभीरता से संज्ञान लेकर त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
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