खरी-अखरी सवाल उठाते हैं पालकी नहीं
अमेरिकियों ने साबित किया कि वे महिलाओं को दोयम दर्जे का मानकर चलते हैं !
*अमेरिका में बैलेट पेपर से हुए चुनाव के बाद आये रिजल्ट को देखने के बाद भारतीयों को ईवीएम के करिश्माई राग को अलापना बंद कर देना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति की विधिवत घोषणा होने में समय लगेगा मगर इतना तो तय हो गया है कि अपने पहले कालखंड में अनेक मामलों में अलोकप्रिय रहे रिपब्लिकन पार्टी के वयोवृद्ध डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रवेश करने लायक मत प्राप्त करने में सफलता पा ली है। मतलब अब वे अमेरिका के बिगबाॅस बन गए हैं। अमेरिका दूसरी बार पहली महिला राष्ट्रपति पाने से वंचित रह गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार व भारतवंशी कमला हैरिस चुनाव हार गई हैं। इसके पहले भी हिलेरी क्लिंटन 2016 में डोनाल्ड ट्रंप से राष्ट्रपति का चुनाव हार गई थी। जिससे इस बात को बल मिलता है कि अमेरिकी भले ही कितने समृद्धिशाली और प्रगतिशील होने का दावा करते हों मगर महिलाओं के प्रति उनका नजरिया दोयम दर्जे का है। भारतियों को हैरान करने वाली बात यह है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतवंशी कमला हैरिस की पराजय पर संवेदना व्यक्त करने के बजाय डोनाल्ड ट्रंप को अपना दोस्त कहते हुए बधाई दी है, जबकि इन्ही पीएम मोदी ने इंग्लैण्ड में भारतीय मूल के ऋषिराज सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर गर्वित बधाई दी थी और खुशियां मनाई थी। लगता तो यही है कि सत्ता में बैठे लोगों की नजर में देशीय गर्व से ज्यादा महत्वपूर्ण अपना नफा-नुकसान होता है।*
*डोनाल्ड ट्रंप की जीत और कमला हैरिस की हार में सबसे ज्यादा चौकाने वाली भूमिका निभाई है अलास्का, नेवादा, एरिजोना ने, जिसने अपनी परम्परागत पार्टी डेमोक्रेटिक के उम्मीदवार कमला हैरिस को वोट न देकर रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप को वोट दिया। जिसने डोनाल्ड ट्रंप तक को अचंभित कर दिया। 2021 के चुनाव में ट्रंप को इन राज्यों से एक वोट मिला था। इतिहास बताता है कि अमेरिकी राज्य परम्परागत रूप से अपनी पसंदीदा पार्टी के उम्मीदवार को चुनते हैं। उनके लिए चेहरा कोई मायने नहीं रखता है। मगर इस बार इस परम्परा को तिलांजलि दे दी गई। मतपत्रों के लिहाज से कमला हैरिस की हार का सबसे बड़ा कारण स्विंग स्टेट्स कहे जाने वाले राज्यों में पिछड जाना है । अमेरिकी व्हाइट हाउस तक जाने का रास्ता तय करते हैं 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट। जहां डोनाल्ड की जीत में अहम भूमिका निभाई है कारोबारी जगत के साथ ही इलान मस्क ने। वहीं कमला हैरिस की पराजय में सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है राष्ट्रपति जो बिडेन का, जिन्होंने ऐसे समय पर अपनी उम्मीदवारी वापस ली जब रिपब्लिकन चिड़िया आधे से ज्यादा दाना चुग चुकी थी। यदि कमला हैरिस को शुरू में ही डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया होता तो परिणाम विपरीत भी हो सकता था ! वॉल स्ट्रीट के निवेशक व्हिटनी टिल्सन का कहना है कि जो बाइडेन की मूर्खता और स्वार्थ की वजह से कमला की हार हुई है।*
*डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने पर अब इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि ट्रंप के बदले की आग में कौन - कौन झुलसेगा ? चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा भी है कि वे एक दिन के लिए ही सही तानाशाह बनेंगे।*
*डोनाल्ड ट्रंप की जीत को भारत के नजरिए से देखा जाए तो भारत को कुछ विशेष हासिल होने वाला नहीं है। भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ट्रंप को अपना दोस्त बताते हों। पिछले चुनाव में तो पीएम मोदी ने अमेरिका जाकर "अबकी बार ट्रंप सरकार" की नारेबाजी की थी फिर भी डोनाल्ड चुनाव हार गये थे। पीएम मोदी की इस बचकाना हरकत की देश दुनिया में खासी किरकिरी हुई थी। भला हुआ कि इस बार पीएम मोदी ने ऐसी कोई छिछोरी हरकत नहीं की।*
*डोनाल्ड ट्रंप ने साफतौर पर कहा है कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका को महान बनाना है (अमेरिका फस्ट)। अमेरिकी हित के लिए ट्रंप भारत से अमेरिकी वस्तुओं के लिए अधिक रियायत की मांग कर सकते हैं। बीजा को लेकर भारतीयों की परेशानी बढ़ने के आसार हैं। अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने एच 1बी बीजा पर प्रतिबंध लगाया था। ट्रंप भारतीय व्यापार की नीतियों के आलोचक भी हैं। अप्रवासियों के प्रति भी डोनाल्ड का रवैया कठोर है। कहा जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति पद की कुर्सी सम्हालने के बाद वे अवैध प्रवासियों को खदेड़ने के लिए 1798 के 'एलियन एनिमी एक्ट (ट्रिपल ए) का इस्तेमाल करेंगे। जो राष्ट्रपति को 14 साल से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को अमेरिका से बाहर निकालने का अधिकार देता है और बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंफ ऐसा करते हैं तो इस कानून का इस्तेमाल करने वाले वे पहले अमरीकी राष्ट्रपति होंगे।*
*राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और कनाडा की विदेश नीति तकरीबन एक तरह ही चलती है। फिलहाल भारत के रिश्ते कनाडा से कड़वाहट भरे चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही डोनाल्ड ट्रंप को अपना दोस्त कहते हुए जीत की बधाई दी है मगर डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी जीत पर अरब और मुसलमानों को विशेष धन्यवाद दिया परन्तु वहां रहने वाले भारतीयों का उल्लेख (नाम) तक नहीं किया। इतने से ही समझा जा सकता है कि भारतियों के प्रति उनके मन में कितना सम्मान है, कैसा नजरिया है !*
*डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ वैसे तो कई मामले अदालत में विचाराधीन है। ट्रंप अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति होने जा रहे हैं जो कोर्ट के द्वारा दोषी ठहराये जा चुके हैं। ट्रंप के खिलाफ चार बड़े केसों में दो फेडरल और दो राज्य स्तर के हैं। फेडरल केसों में एक मामला 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को पलटने की कोशिश करने का है तो दूसरा राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अपने मार-ए-लागो स्थित आवास में अमेरिकी सरकार से जुड़े गोपनीय दस्तावेज रखने से जुड़ा हुआ है। जिन्हें वे अटार्नी जनरल के जरिए रफा-दफा करा सकते हैं। इसी तरह ट्रंप पर आरोप है कि 2020 में चुनाव हारने के बाद ट्रंप ने जार्जिया में अपने सहयोगियों की मदद से चुनाव परिणाम बदलने की कोशिश की थी। चूंकि यह राज्य का मामला है और ट्रंप का कहना है कि राष्ट्रपति को राज्य स्तर के मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसी तरह राज्य स्तरीय न्यूयार्क का हश मनी केस है जिसमें 26 नवम्बर को सजा का ऐलान किया जाना है। मगर लगता तो यही है कि सजा का ऐलान होने के बजाय मामला दाखिल दफ्तर कर दिया जायेगा (समरथ को नहीं दोष गोसाईं)।*
*अश्वनी बडगैया अधिवक्त*
_स्वतंत्र पत्रकार_
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