सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

प्रशासन पर भारी अवैध कब्ज़ा धारी, नहीं अलग करवा पा रहा हैं प्रशासन ग्राम गूंडा का अवैध कब्ज़ा, ग्राम पंचायत के कार्यो में उत्पन्न हों रहा अवरोध

 प्रशासन पर भारी अवैध कब्ज़ा धारी, नहीं अलग करवा पा रहा हैं प्रशासन ग्राम गूंडा का अवैध कब्ज़ा, ग्राम पंचायत के कार्यो में उत्पन्न हों रहा अवरोध 



ढीमरखेड़ा | ग्राम पंचायत गूड़ा के ग्राम भैंसवाही में सामुदायिक भवन निर्माण की परियोजना स्थानीय विकास को गति देने और ग्रामीणों की सुविधा के लिए एक पहल है। सामुदायिक भवन, एक ऐसी संरचना है, जो गाँव में सामूहिक आयोजन, सभा, और अन्य सामाजिक कार्यों के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान करती है। यह भवन, ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों के लिए एकता और समर्पण का प्रतीक होता है, जहाँ पर सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है।हालांकि, ग्राम भैंसवाही में शासकीय मद में दर्ज भूमि पर सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य ग्राम पंचायत गूड़ा द्वारा कराए जाने का प्रस्ताव था, लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ स्थानीय व्यक्तियों, जैसे कि रेवा यादव पिता हरिलाल, हरिलाल, सुनील यादव, नारायण यादव, के द्वारा इस परियोजना में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है। इन व्यक्तियों ने सामुदायिक भवन की निर्माणाधीन भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। यह कब्जा, न केवल ग्राम पंचायत के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह ग्रामीण विकास कार्य में भी गंभीर रुकावट उत्पन्न कर रहा है। तहसीलदार के पत्र क्रमांक 10/2024-25 के आदेश के अनुसार, उक्त व्यक्तियों को इस भूमि को खाली करने के निर्देश दिए गए थे। इस आदेश के बावजूद भी, इन व्यक्तियों द्वारा भूमि पर से कब्जा नहीं हटाया गया। यह घटना एक गहरी समस्या को उजागर करती है, जहाँ विकास कार्यों में कुछ लोगों द्वारा अवरोध उत्पन्न करने की प्रवृत्ति देखी जाती है।इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार द्वारा एक सकारात्मक कदम उठाया गया। ग्राम पंचायत गूड़ा द्वारा तहसीलदार को अवगत कराया गया कि उक्त भूमि पर अवैध कब्जे के कारण सामुदायिक भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। तहसीलदार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हल्का पटवारी से रिपोर्ट तलब की, जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया कि रेवा यादव, हरिलाल, सुनील यादव और नारायण यादव के द्वारा भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है और वे इस भूमि पर किसी भी निर्माण कार्य को बाधित कर रहे हैं। तहसीलदार के द्वारा इस रिपोर्ट के आधार पर बेदखली का आदेश जारी किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी उक्त लोगों ने शासकीय आदेश की अवहेलना करते हुए भूमि को खाली नहीं किया। इस भूमि पर निर्माण कार्य का भूमिपूजन 3 सितंबर 2024 को निर्धारित किया गया था, जिसमें क्षेत्र के विधायक, अन्य क्षेत्रीय नेता, और ग्रामवासी शामिल होने वाले थे। भूमिपूजन के आयोजन के माध्यम से इस परियोजना की शुरुआत की जाने वाली थी, जिससे ग्रामीणों को एक सामुदायिक भवन की सुविधा प्राप्त होती। लेकिन इन व्यक्तियों के द्वारा भूमि पर अवैध कब्जा बनाए रखने और भूमि को खाली न करने के कारण भूमिपूजन की योजना अधर में लटक गई है। ग्राम पंचायत गूड़ा द्वारा भूमि को साफ और बराबर करने का कार्य कराया जा रहा था ताकि निर्माण कार्य बिना किसी बाधा के प्रारंभ हो सके। इस सफाई और समतलीकरण कार्य में ट्रैक्टर और श्रमिकों का सहयोग लिया जा रहा था, परंतु उक्त व्यक्तियों द्वारा इस कार्य में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है। यह लोग न केवल कार्य को रोक रहे हैं, बल्कि निर्माण कार्य में लगे लोगों के साथ गाली-गलौच और मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इन व्यक्तियों ने भूमि के चारों ओर बाड़ लगाकर अवैध कब्जा और मजबूत कर दिया है। यह कार्य सीधे-सीधे सरकारी आदेशों और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना का प्रतीक है। सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य एक सार्वजनिक हित का कार्य है, और इसे बाधित करना गांव के विकास के लिए गंभीर अवरोध है। इस प्रकार की गतिविधियों का ग्रामीण विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अवैध कब्जा और विकास कार्यों में अवरोध न केवल ग्रामीण समाज के हितों को हानि पहुँचाता है, बल्कि इससे शासकीय प्रक्रियाओं और नियमों की भी अवहेलना होती है। सरकारी भूमि पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है, और इस प्रकार के अवरोधक कार्यों के लिए प्रशासन को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता होती है। यह घटना यह भी बताती है कि स्थानीय स्तर पर कुछ लोगों द्वारा अपने निजी स्वार्थों के कारण ग्रामीण विकास कार्यों में बाधा डालने की प्रवृत्ति कितनी प्रबल हो गई है। ऐसे लोग यह नहीं समझ पाते कि उनके इस प्रकार के कृत्य के कारण समूचे ग्राम समाज के विकास में रुकावट आ रही है। सामुदायिक भवन, ग्राम के हर नागरिक का अधिकार है, और इस पर अवैध कब्जा कर विकास कार्य में बाधा डालना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कानूनी दृष्टिकोण से भी आपराधिक है। ग्राम पंचायत और प्रशासनिक अधिकारियों का यह दायित्व बनता है कि वे इस प्रकार के अवरोधों को समाप्त करने के लिए उचित कार्रवाई करें। बेदखली के आदेश का पालन सुनिश्चित कर, उक्त भूमि पर सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य समय पर प्रारंभ किया जाना चाहिए। इससे न केवल विकास कार्यों में गति आएगी, बल्कि ग्रामवासियों के बीच यह संदेश भी जाएगा कि प्रशासन उनके हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। अवैध कब्जा और ग्रामीण विकास कार्यों में बाधा डालने के कारण गाँव में अशांति की स्थिति उत्पन्न होती है। इस प्रकार के मामलों में, प्रशासन को कड़ी कार्रवाई कर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए ताकि अन्य किसी व्यक्ति को भविष्य में इस प्रकार के कृत्य करने का साहस न हो। ग्राम पंचायत गूड़ा को भी चाहिए कि वे ग्रामवासियों के सहयोग से विकास कार्यों को सुचारु रूप से आगे बढ़ाएं और अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध कानूनी कदम उठाने में प्रशासन का साथ दें। तहसीलदार द्वारा दिए गए बेदखली आदेश के बाद भी अगर कब्जा नहीं हटाया जा रहा है, तो यह प्रशासन के लिए एक चुनौती है। इस स्थिति में जिला प्रशासन को भी इस मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई करनी चाहिए। यदि जिला प्रशासन की ओर से पुलिस और राजस्व विभाग के संयुक्त प्रयासों से उक्त भूमि पर से कब्जा हटाया जाए, तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि ग्राम भैंसवाही में सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य समय से पूरा हो सके। अंततः, ग्राम भैंसवाही की यह घटना केवल एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी समस्या की ओर संकेत करती है, जिसमें निजी स्वार्थ और सामुदायिक हितों के बीच टकराव हो रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए न केवल कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है, बल्कि ग्रामवासियों को भी सामूहिक रूप से ऐसे अवरोधों के विरुद्ध खड़े होने की जरूरत है ताकि गाँव का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।

टिप्पणियाँ

popular post

पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को

 पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को  ढीमरखेड़ा | अवध दुबे, एक पुलिस कर्मचारी, अपने साहस, निष्ठा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की है, जो कभी भी किसी भी तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं करते हैं। पुलिस बल में उनके कार्यों ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई है, और उनकी उपस्थिति मात्र से अपराधी थर-थर कांपने लगते हैं। अवध दुबे ने जिस भी थाने में अपनी सेवाएँ दी हैं, वहां अपराध की दर में न केवल गिरावट आई है, बल्कि आम लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ी है।अवध दुबे का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जहाँ से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। बचपन से ही उनमें न्याय और ईमानदारी के प्रति एक विशेष प्रकार का झुकाव था। उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद पुलिस सेवा में भर्ती होने का निर्णय लिया। उनके जीवन का यह फैसला उनके परिवार और समाज के प्रति उनके दायित्व को महसूस कर

ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम

 ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम ढीमरखेड़ा |  सरपंच फ़ोरम के अध्यक्ष महेश कुमार यादव, उपाध्यक्ष संकेत लोनी, सचिव दीनू सिंह ठाकुर एवं ढीमरखेड़ा जनपद के समस्त सरपंचों ने मिलकर कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया, जिसमें डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई है। सरपंच फ़ोरम का मानना है कि डॉक्टर अजीत सिंह एक ईमानदार, जिम्मेदार और मिलनसार अधिकारी हैं जिन्होंने न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बरती है, बल्कि ग्रामीण जनता के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को सुलझाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। फ़ोरम का कहना है कि डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण से ढीमरखेड़ा क्षेत्र के विकास कार्यों में अवरोध पैदा हो सकता है, क्योंकि उन्होंने अनेक ऐसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की थी, जिन्हें पूरा करने में समय और प्रशासनिक अनुभव की आवश्यकता है। उनके स्थानांतरण से इन कार्यों की गति धीमी हो सकती है, और साथ ही, क्षेत्र की जनता को भी नुकसान हो सकता है, जो उनकी सेवाओं से काफी संतुष्ट थी। फ़ो

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर ढीमरखेड़ा |  विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा अजीत सिंह परिहार, एपीओ (असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर) जनपद ढीमरखेड़ा के स्थानांतरण को निरस्त करने के लिए लिखा गया पत्र, क्षेत्रीय राजनीति और प्रशासनिक कार्यप्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है। विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण बिना किसी ठोस कारण के ढीमरखेड़ा से कर दिया गया है, जबकि उनकी कार्यप्रणाली अच्छी रही है और उन्हें क्षेत्र के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। इस संदर्भ में, विधायक ने जिला कटनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर यह मांग की है कि स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संबंध किसी भी क्षेत्र में प्रशासनिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण