सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

विद्यार्थियों को पपीता उत्पादन का दिया गया प्रशिक्षण, पढाई के अलावा खेती की भी होना चाहिए जानकारी, प्रशिक्षण करेगा खेती में मार्गदर्शन

 विद्यार्थियों को पपीता उत्पादन का दिया गया प्रशिक्षण, पढाई के अलावा खेती की भी होना चाहिए जानकारी, प्रशिक्षण करेगा खेती में मार्गदर्शन 



ढीमरखेड़ा | मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कटनी में जैविक खेती के अंतर्गत विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा का प्रशिक्षण प्रदान करना न केवल कृषि के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने का एक प्रयास है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक पहल है। इस पहल के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बाजपेई के मार्गदर्शन और प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. वी. के. द्विवेदी के सहयोग से जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे द्वारा विद्यार्थियों को पपीता के व्यावसायिक उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। पपीता एक ऐसा फल है जो न केवल पोषण का स्रोत है बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे अनूठा बनाते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। पपीता पेट, हृदय और पीलिया जैसे रोगों में उपयोगी है। इसके कच्चे फलों से निकले दूध में पाया जाने वाला एंजाइम, पपेन, उद्योगों में विभिन्न उत्पादों के निर्माण के लिए उपयोगी होता है। पपीता के फलों से जैम, जेली, मुरब्बा, और सीरप जैसे उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जो व्यावसायिक रूप से अत्यधिक लाभकारी हैं। पपीता उत्पादन के प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को वैज्ञानिक पद्धति से उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने की जानकारी दी गई।

 *पपीता की कृषि के लिए भूमि और जलवायु की तैयारी*

पपीता उत्पादन के लिए समुचित जलवायु और भूमि का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह 22-26 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सबसे अच्छी उपज देता है। भूमि चयन में ध्यान दिया गया कि यह अच्छी जल निकासी वाली हो और इसमें कार्बनिक पदार्थों की पर्याप्त मात्रा हो। प्रशिक्षण के दौरान यह बताया गया कि भूमि को जैविक खाद से समृद्ध करना आवश्यक है ताकि पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।

 *पौध तैयार करने की प्रक्रिया*

बीज से पौध तैयार करने के लिए एक हेक्टेयर भूमि पर परंपरागत किस्म के लिए 500 ग्राम और उन्नत किस्म के लिए 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों को पहले नर्सरी में उगाया जाता है और जब पौधे लगभग 20-25 सेंटीमीटर के हो जाते हैं, तो उन्हें मुख्य खेत में स्थानांतरित किया जाता है।

 *पौधारोपण और जैविक खाद का उपयोग*

प्रशिक्षण के दौरान पौधों को लगाने की वैज्ञानिक विधि सिखाई गई। पौधों को 2.5x2.5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त धूप और पोषण मिल सके। जैविक खाद जैसे वर्मी कंपोस्ट, गोबर खाद और हरी खाद के उपयोग पर जोर दिया गया ताकि फसल जैविक मानकों के अनुसार हो और रसायनों के उपयोग से बचा जा सके।

*सिंचाई और फसल प्रबंधन*

सिंचाई के लिए ड्रिप प्रणाली का उपयोग करने की सलाह दी गई, जो जल के उपयोग को कम करती है और पौधों को आवश्यक मात्रा में पानी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, निंदाई-गुड़ाई के महत्व को समझाया गया ताकि पौधों को खरपतवार से मुक्त रखा जा सके और उनकी वृद्धि में बाधा न आए।

 *अंतरवर्तीय खेती*

पपीता के साथ अंतरवर्तीय खेती करना लाभकारी होता है। उदाहरण के लिए, मूंगफली, सब्जियां या दालें पपीता के साथ उगाई जा सकती हैं। इससे खेत का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है और अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।

 *फलों की तुड़ाई और विपणन*

फलों की तुड़ाई का सही समय और तकनीक सिखाई गई ताकि फलों को बाजार में पहुंचने से पहले खराब होने से बचाया जा सके। इसके साथ ही, स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पपीता विपणन की रणनीतियों पर चर्चा की गई ताकि उत्पादकों को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।

*कीट और रोग प्रबंधन*

प्रशिक्षण में पपीता उत्पादन में आने वाले प्रमुख कीट और रोगों की पहचान और उनके जैविक प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया। जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के उपयोग से फसल को सुरक्षित रखने की तकनीक सिखाई गई।

*पपीता उत्पादन का महत्व*

 पपीता उत्पादन कम लागत में अधिक मुनाफा देता है। एक पौधा प्रति वर्ष 40-50 फल देता है, जिससे किसान को अच्छी आमदनी होती है। पपीता पोषण का अच्छा स्रोत है और इसके औषधीय गुण इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

*विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण एक वरदान, मजबूती दिखेगा कार्य में*

इस प्रकार का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर भी प्रेरित करता है। यह पहल युवाओं को स्वरोजगार के लिए तैयार करती है और उन्हें कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करती है। पपीता के व्यावसायिक उत्पादन का यह प्रशिक्षण एक प्रभावी कदम है, जो न केवल जैविक खेती को बढ़ावा देता है बल्कि विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाता है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में भी प्रगति होगी। जैविक खेती की इस पहल को अन्य महाविद्यालयों और क्षेत्रों में भी लागू किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा और किसान इसका लाभ उठा सकें।

टिप्पणियाँ

popular post

उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं

 उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं ढीमरखेड़ा | उमरियापान क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत हैं लेकिन यहां के लोग अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहरों से गहरे जुड़े हुए हैं। इस विवाह ने न केवल दो परिवारों को एक किया, बल्कि गाँव की सामाजिक स्थिति और सामूहिक उत्सवों की परंपरा को भी उजागर किया। आदित्य और जूही का विवाह एक ऐसे मिलन का प्रतीक था जो भविष्य में गाँव के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया हैं । आदित्य, उमरियापान के सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र हैं। उनके पिता ने गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और आदित्य ने भी उनके आदर्शों का पालन करते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। वह एक मेहनती, ईमानदार, और समर्पित व्यक्ति हैं। वहीं, जूही एक सशक्त और आत्मनिर्भर युवती हैं। उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व ने उन्हें समाज मे...

पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

 पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी ढीमरखेड़ा | पिड़रई की निवासी वकील स्वाति तिवारी का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं। बचपन से लेकर वकालत की शिक्षा पूरी करने तक, स्वाति तिवारी का सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने न केवल उन्हें सफलता दिलाई, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश की है। *संघर्षों से भरा बचपन* स्वाति तिवारी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। उनके पिता जिनकी आय इतनी नहीं थी कि परिवार की सभी जरूरतें पूरी कर सकें। बचपन में स्वाति को पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। किताबो के लिए पैसे जुटाना उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही। लेकिन स्वाति ने कभी हार नहीं मानी। उनके दृढ़ निश्चय और पढ़ाई के प्रति जुनून ने उन्हें अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल रखा। उनके शिक्षकों ने भी उनकी प्रतिभा और मेहनत को पहचाना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की। *शिक्षा और वकालत का सपना* स्वाति को बचप...

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े, बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े,  बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित ढीमरखेड़ा | धीरेंद्र बहादुर सिंह, जो वर्तमान में क्षेत्रीय विधायक हैं, ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने बच्चियों को ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े वितरित किए और उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। उनके इस कदम ने न केवल बच्चियों को सर्दी से राहत दी, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाया। इसके साथ ही, विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने इन बच्चियों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते हुए उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लिया, जो उनके सरल और सच्चे दिल की भावना को दर्शाता है। विधायक ने इस दौरान बच्चियों से कहा कि "मैं विधायक नहीं, बल्कि आपका बड़ा भाई हूं", इस संदेश के साथ उन्होंने बच्चियों को विश्वास दिलाया कि वह हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। उनके इस वक्तव्य ने बच्चियों के दिलों में एक नया आत्मविश्वास भरा और उनके सामने एक नायक का उदाहरण प्रस्तुत किया। व...