सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सट्टा खिलवा रहा पत्रकार नमूना बनी दुकान शाहडार के जंगलों में जुआ में भी पकड़ा गया था अपने आपको समझ रहा बहुत बड़ा ज्ञानी पत्रकारिता को कर रहा बदनाम पत्रकारिता केवल आड़ के लिए आड़ में काट रहा सट्टा में झाड़, विवादों से इसका गहरा नाता, यह पत्रकारिता नही यह तो सट्टागिरी है

 सट्टा खिलवा रहा पत्रकार नमूना बनी दुकान शाहडार के जंगलों में जुआ में भी पकड़ा गया था अपने आपको समझ रहा बहुत बड़ा ज्ञानी पत्रकारिता को कर रहा बदनाम पत्रकारिता केवल आड़ के लिए आड़ में काट रहा सट्टा में झाड़, विवादों से इसका गहरा नाता, यह पत्रकारिता नही यह तो सट्टागिरी है 




ढीमरखेड़ा |  सट्टा और जुआ जैसी अवैध गतिविधियों का समाज पर गहरा नकारात्मक प्रभाव होता है। यह न केवल व्यक्तिगत रूप से लोगों के जीवन को बर्बाद करता है बल्कि समुदाय और समाज की नैतिकता को भी गिरावट की ओर ले जाता है। जब पत्रकार जैसे जिम्मेदार पेशे से जुड़े व्यक्ति इन अवैध गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं, तो यह और भी अधिक चिंता का विषय बन जाता है, क्योंकि पत्रकारों की जिम्मेदारी होती है कि वे समाज के हित में सत्य और न्याय की आवाज़ उठाएं। दुर्भाग्य से, आजकल कुछ पत्रकार पत्रकारिता का आड़ लेकर ऐसे घृणित कार्यों में संलिप्त हो रहे हैं, जिससे न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन बल्कि पूरे पत्रकारिता जगत की साख पर बुरा असर पड़ रहा है।

*सट्टा खिलाने वाले पत्रकार का मामला बटोर रहा सुर्खियां, दूसरो को बांट रहा ज्ञान*

आप जिस पत्रकार के बारे में बात कर रहे हैं, वह शाहडार के जंगलों में जुआ खेलते हुए पकड़ा गया था और सट्टा जैसी अवैध गतिविधियों में भी शामिल है। इस पत्रकार का दावा है कि वह बहुत बड़ा ज्ञानी है, लेकिन इसके कर्मों ने उसे समाज में एक नमूना बना दिया है। उसका नाम पत्रकारिता से जुड़ा होने के बावजूद, वह पत्रकारिता के आदर्शों और मूल्यों को दांव पर लगा रहा है। उसके इस प्रकार के कार्य न केवल उसे बल्कि समूचे पत्रकारिता पेशे को बदनाम कर रहे हैं।

*पत्रकारिता की आड़ में अपराध, सट्टा में बराबर की हिस्सेदारी*

इस पत्रकार का सबसे बड़ा अपराध यह है कि वह पत्रकारिता का इस्तेमाल एक ढाल के रूप में कर रहा है। वह सट्टा और जुआ जैसी अवैध गतिविधियों को संचालित कर रहा है, जबकि समाज की नजरों में वह एक पत्रकार के रूप में पहचान बना रहा है। पत्रकारिता एक जिम्मेदारीपूर्ण पेशा है, जिसका मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज और जनहित की रक्षा करना होता है। लेकिन जब कोई पत्रकार अपने पेशे का इस्तेमाल निजी स्वार्थों और अवैध गतिविधियों के लिए करता है, तो वह समाज की नजरों में अपनी प्रतिष्ठा खो देता है।

*विवादों से एक पत्रकार का गहरा नाता, अपने आपको समझ बैठा बहुत बड़ा ज्ञानी*

यह पत्रकार न केवल सट्टा और जुआ में लिप्त है, बल्कि विवादों से भी इसका गहरा नाता है। कई मौकों पर इसके नाम पर छोटे-बड़े विवाद सामने आए हैं, जो इसके अनैतिक आचरण और व्यवहार का प्रमाण हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए यह व्यक्ति एक सिरदर्द बन चुका है, लेकिन पत्रकारिता के नाम पर यह अब तक कानून की गिरफ्त से बचता रहा है। कई बार ऐसे लोगों पर कार्यवाही नहीं हो पाती क्योंकि उनके पास पत्रकारिता की आड़ होती है और वे अपने संबंधों का फायदा उठाकर कानून से बच निकलते हैं।

*पत्रकारिता की बदनामी*

आज की स्थिति यह है कि ऐसे पत्रकार पत्रकारिता के उस मूल उद्देश्य को ही धूमिल कर रहे हैं, जिसके लिए यह पेशा जाना जाता है। पत्रकारिता का कार्य समाज में पारदर्शिता, ईमानदारी और सच्चाई को स्थापित करना है। लेकिन जब पत्रकार खुद भ्रष्टाचार, सट्टा, और जुआ जैसे कार्यों में लिप्त होते हैं, तो वे उस भरोसे को तोड़ते हैं जो समाज ने उनके प्रति रखा है। इससे न केवल पत्रकारिता की साख पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि वे ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों के लिए भी मुश्किलें खड़ी करते हैं।

*सट्टा और जुआ की सामाजिक हानि*

सट्टा और जुआ जैसी अवैध गतिविधियों का समाज पर गहरा असर पड़ता है। यह लोगों को आर्थिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से कमजोर बना देता है। सट्टा खेलने वाले लोग अक्सर अपने घर और संपत्ति खो देते हैं, और उनकी पूरी जिंदगी कर्ज के बोझ तले दब जाती है। यह न केवल व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि यह उनके परिवारों और उनके आसपास के लोगों को भी प्रभावित करता है। जब सट्टा जैसे कार्यों में पत्रकार शामिल होते हैं, तो वे अपने पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं और समाज में गलत संदेश भेजते हैं कि कानून का उल्लंघन कर भी सफलता पाई जा सकती है।

*पत्रकारिता का दायित्व*

पत्रकारिता का सबसे बड़ा दायित्व है कि वह सत्य और न्याय की रक्षा करे। पत्रकारों का काम होता है कि वे समाज के उन पहलुओं को उजागर करें जो आम जनता के सामने नहीं आ पाते। वे सत्ता, प्रशासन, और समाज के हर उस हिस्से पर नज़र रखते हैं जहां किसी भी प्रकार की गलतियां हो सकती हैं। जब ऐसे पत्रकार खुद अवैध गतिविधियों में लिप्त होते हैं, तो वे अपने पेशे के साथ गद्दारी करते हैं। वे उस विश्वास को तोड़ते हैं जो समाज ने पत्रकारिता पर रखा होता है।

*विवादित पत्रकारों पर कानून की पकड़*

ऐसे पत्रकारों पर नकेल कसने के लिए कानून को सख्त होना चाहिए। पत्रकारिता की आड़ में चल रहे सट्टा और जुआ जैसे अवैध धंधों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को त्वरित और कठोर कदम उठाने चाहिए। इस मामले में शाहडार के जंगलों में पकड़े गए पत्रकार का उदाहरण लिया जा सकता है, जो कई विवादों में घिरा हुआ है। प्रशासन को इस प्रकार के पत्रकारों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि बाकी पत्रकारों को यह संदेश मिल सके कि पत्रकारिता का गलत इस्तेमाल करने वालों के लिए कानून में कोई जगह नहीं है।

*मीडिया को करवाना चाहिए कार्यवाही*

मीडिया को भी अपनी भूमिका समझनी होगी। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मीडिया खुद की सफाई करे और उन लोगों को अपनी बिरादरी से बाहर करे जो पत्रकारिता की आड़ में अवैध धंधों में लिप्त हैं। मीडिया संस्थानों को अपने कर्मचारियों और पत्रकारों की पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने पेशे का सही तरीके से पालन कर रहे हैं। मीडिया की भूमिका सिर्फ खबरें देने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में नैतिकता और आदर्श स्थापित करने में भी है। अगर मीडिया खुद अपने पेशे के आदर्शों का पालन नहीं करेगा, तो समाज पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर ऐसे विवादित पत्रकारों पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका असर पत्रकारिता के भविष्य पर पड़ेगा। समाज का पत्रकारों से विश्वास उठ जाएगा और वह हर पत्रकार को एक शक की नजर से देखेगा। इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जो पत्रकारिता के नाम पर अवैध कार्य कर रहे हैं। पत्रकारिता एक जिम्मेदारीपूर्ण पेशा है, और इसे उन्हीं लोगों के हाथों में रहना चाहिए जो ईमानदार और सच्चे हैं। पत्रकारिता का भविष्य उन्हीं पर टिका है जो अपने कर्तव्यों का सही पालन करते हैं।

टिप्पणियाँ

popular post

पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को

 पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को  ढीमरखेड़ा | अवध दुबे, एक पुलिस कर्मचारी, अपने साहस, निष्ठा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की है, जो कभी भी किसी भी तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं करते हैं। पुलिस बल में उनके कार्यों ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई है, और उनकी उपस्थिति मात्र से अपराधी थर-थर कांपने लगते हैं। अवध दुबे ने जिस भी थाने में अपनी सेवाएँ दी हैं, वहां अपराध की दर में न केवल गिरावट आई है, बल्कि आम लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ी है।अवध दुबे का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जहाँ से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। बचपन से ही उनमें न्याय और ईमानदारी के प्रति एक विशेष प्रकार का झुकाव था। उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद पुलिस सेवा में भर्ती होने का निर्णय लिया। उनके जीवन का यह फैसला उनके परिवार और समाज के प्रति उनके दायित्व को महसूस कर

ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम

 ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम ढीमरखेड़ा |  सरपंच फ़ोरम के अध्यक्ष महेश कुमार यादव, उपाध्यक्ष संकेत लोनी, सचिव दीनू सिंह ठाकुर एवं ढीमरखेड़ा जनपद के समस्त सरपंचों ने मिलकर कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया, जिसमें डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई है। सरपंच फ़ोरम का मानना है कि डॉक्टर अजीत सिंह एक ईमानदार, जिम्मेदार और मिलनसार अधिकारी हैं जिन्होंने न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बरती है, बल्कि ग्रामीण जनता के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को सुलझाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। फ़ोरम का कहना है कि डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण से ढीमरखेड़ा क्षेत्र के विकास कार्यों में अवरोध पैदा हो सकता है, क्योंकि उन्होंने अनेक ऐसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की थी, जिन्हें पूरा करने में समय और प्रशासनिक अनुभव की आवश्यकता है। उनके स्थानांतरण से इन कार्यों की गति धीमी हो सकती है, और साथ ही, क्षेत्र की जनता को भी नुकसान हो सकता है, जो उनकी सेवाओं से काफी संतुष्ट थी। फ़ो

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर ढीमरखेड़ा |  विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा अजीत सिंह परिहार, एपीओ (असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर) जनपद ढीमरखेड़ा के स्थानांतरण को निरस्त करने के लिए लिखा गया पत्र, क्षेत्रीय राजनीति और प्रशासनिक कार्यप्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है। विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण बिना किसी ठोस कारण के ढीमरखेड़ा से कर दिया गया है, जबकि उनकी कार्यप्रणाली अच्छी रही है और उन्हें क्षेत्र के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। इस संदर्भ में, विधायक ने जिला कटनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर यह मांग की है कि स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संबंध किसी भी क्षेत्र में प्रशासनिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण