जनपद अध्यक्ष सुनीता संतोष दुबे ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को लिखा पत्र पुराने क्षतिग्रस्त भवनों की बुलवाई सूची, क्षतिग्रस्त भवनों की नीलामी में चल रहा गोलमाल, शासन को लग रहा चूना अब बैठेगी उच्च स्तरीय जांच तो खुलेंगे राज
जनपद अध्यक्ष सुनीता संतोष दुबे ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को लिखा पत्र पुराने क्षतिग्रस्त भवनों की बुलवाई सूची, क्षतिग्रस्त भवनों की नीलामी में चल रहा गोलमाल, शासन को लग रहा चूना अब बैठेगी उच्च स्तरीय जांच तो खुलेंगे राज
ढीमरखेड़ा | ढीमरखेड़ा क्षेत्र में शाला भवनों की स्थिति लंबे समय से चिंता का विषय रही है। कई विद्यालय भवन इतने पुराने हो गए हैं कि उनकी मरम्मत संभव नहीं थी, और वे छात्रों और शिक्षकों के लिए सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर रहे थे। इस कारण से, कई भवनों को ध्वस्त करना पड़ा। जनपद अध्यक्ष सुनीता संतोष दुबे ने इस संदर्भ में एक विस्तृत जांच और सभी प्रक्रियाओं के रिकॉर्ड को संकलित करने के लिए शिक्षा विभाग से जानकारी मांगी है। पत्र में उन सभी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं की सूची मांगी गई है जो वर्ष 2022 से लेकर अब तक ढीमरखेड़ा क्षेत्र में संचालित थीं और जिनके भवन पुराने और जीर्ण-शीर्ण हो चुके थे। इस सूची में उन सभी भवनों का उल्लेख होना चाहिए जिन्हें अधिकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया।
*ध्वस्त किए गए भवनों की तिथि और अनुमति*
पत्र में यह जानने की इच्छा प्रकट की गई है कि इन भवनों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया कब और किसके आदेश से की गई। इसके लिए जनपद अध्यक्ष ने सक्षम अधिकारी की अनुमति और संबंधित उपयंत्री (जिन्होंने भवनों की स्थिति का आकलन किया होगा) के प्रतिवेदन की मांग की है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया कानूनी और तकनीकी तौर पर उचित थी और इसके लिए सभी आवश्यक अनुमतियाँ ली गई थीं।
*शाला प्रबंधन समितियों के प्रस्ताव*
जनपद अध्यक्ष ने यह भी मांग की है कि शाला प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के प्रस्तावों की जानकारी दी जाए। शाला प्रबंधन समितियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे विद्यालय की स्थिति के बारे में सबसे सटीक जानकारी रखती हैं और किसी भी प्रकार के निर्माण, मरम्मत, या ध्वस्तीकरण के लिए स्थानीय स्तर पर सहमति देती हैं। इस संबंध में यह जानना जरूरी है कि शाला प्रबंधन समितियों ने कौन-कौन से प्रस्ताव पास किए और उनकी अनुशंसाओं पर क्या कार्यवाही की गई।
*ध्वस्त के दौरान प्राप्त सामग्री की नीलामी*
पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि भवन ध्वस्त किए जाने के बाद जो भी सामग्री (जैसे कि ईंट, लोहा, आदि) प्राप्त हुई थी, उसकी नीलामी की गई या नहीं। यदि नीलामी की गई तो उसकी सूचना मांगी गई है। इसके अंतर्गत नीलाम की गई सामग्री की संपूर्ण जानकारी, नीलामी की तिथि, और नीलामी से प्राप्त राशि का विवरण भी शामिल होना चाहिए।
*नीलामी से प्राप्त राशि का उपयोग*
पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से पूछा गया है कि नीलामी से प्राप्त राशि किन खातों में जमा की गई। यह जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नीलामी से प्राप्त धनराशि का उचित उपयोग हुआ है और इसे सही जगह पर जमा किया गया है। इससे धनराशि के दुरुपयोग की संभावनाओं पर रोक लगेगी और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।
*शाला भवनों की ध्वस्तीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता*
जनपद अध्यक्ष का यह पत्र शिक्षा और प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अक्सर देखने में आता है कि पुराने शाला भवनों की मरम्मत या ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ हो जाती हैं। भवनों की स्थिति को बिना आकलन किए या बिना उचित अनुमति के ध्वस्त कर दिया जाता है, और प्राप्त सामग्री का उचित हिसाब नहीं रखा जाता है। इस संदर्भ में, यह पत्र एक जांच प्रक्रिया की शुरुआत है जो यह सुनिश्चित करेगा कि ढीमरखेड़ा क्षेत्र में शैक्षिक भवनों की मरम्मत और ध्वस्तीकरण की प्रक्रियाएं सही ढंग से और नियमों के तहत की गई हैं।
*भवनों की सुरक्षा और छात्रों की सुरक्षा*
प्राथमिक और माध्यमिक शाला भवनों की स्थिति को नियमित रूप से जांचने और उनकी मरम्मत की आवश्यकता को पहचानने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की होती है। छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि जो भवन पुराने और जीर्णशीर्ण हो चुके हैं, उन्हें समय रहते ध्वस्त किया जाए ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।लेकिन साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इस प्रक्रिया में कोई भी अनियमितता न हो। भवनों के ध्वस्तीकरण से पहले सभी आवश्यक अनुमतियाँ और जांच पूरी होनी चाहिए और नीलामी या अन्य प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए।
*शाला प्रबंधन समितियों की जिम्मेदारी*
शाला प्रबंधन समितियाँ (एसएमसी) शालाओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनका उद्देश्य शालाओं के प्रशासनिक कार्यों की निगरानी करना और भवनों की स्थिति के बारे में समय-समय पर जानकारी देना होता है। इस पत्र में जनपद अध्यक्ष द्वारा एसएमसी के प्रस्तावों की जानकारी मांगना इस बात का संकेत है कि वे इस प्रक्रिया में एसएमसी की भूमिका को महत्वपूर्ण मानती हैं। एसएमसी के प्रस्तावों के आधार पर ही भवनों की मरम्मत या ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया जाना चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर उचित निर्णय लिए जा सकें।
*ध्वस्त की गई सामग्री की नीलामी और उसकी निगरानी में कौन था*
जब किसी भवन को ध्वस्त किया जाता है, तो उससे मिलने वाली सामग्री (जैसे ईंटे, लोहा, आदि) को अक्सर नीलाम कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया प्रशासनिक स्तर पर एक सामान्य प्रथा है, लेकिन इसमें पारदर्शिता का अभाव होने पर यह भ्रष्टाचार का कारण बन सकती है।जनपद अध्यक्ष ने इस बात को स्पष्ट किया है कि ध्वस्तीकरण के दौरान प्राप्त सामग्री की नीलामी का पूरा विवरण दिया जाना चाहिए। नीलामी की तिथि, नीलामी से प्राप्त राशि और इस राशि को किन खातों में जमा किया गया, इन सभी जानकारियों की मांग करना इस बात का संकेत है कि जनपद अध्यक्ष ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
*प्राप्त धनराशि आख़िर कहां गई जो कि जांच का विषय है*
जब भवनों की सामग्री की नीलामी से धनराशि प्राप्त होती है, तो उसे सरकार द्वारा निर्धारित खातों में जमा किया जाता है। इस राशि का उपयोग शालाओं के विकास कार्यों में या अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में किया जा सकता है। जनपद अध्यक्ष ने इस धनराशि के सही उपयोग की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह राशि सही जगह पर जमा की गई और इसका सही तरीके से उपयोग हुआ।
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