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कटनी में एक बार फिर डेंगू के मरीजों में इज़ाफा, शहर में फिर बढ़ रहे डेंगू के मरीज,स्वास्थ्य विभाग की नहीं टूट रही नींद

 कटनी में एक बार फिर डेंगू के मरीजों में इज़ाफा, शहर में फिर बढ़ रहे डेंगू के मरीज,स्वास्थ्य विभाग की नहीं टूट रही नींद 



ढीमरखेड़ा | कटनी जिले में डेंगू के मामलों में एक बार फिर से वृद्धि हो रही है, और यह स्थिति जिले की स्वास्थ्य सेवाओं और नगर निगम की लापरवाही को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। डेंगू जैसी गंभीर बीमारी, जो मच्छरों द्वारा फैलती है, पिछले कुछ सालों में देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर फैल चुकी है, और अब कटनी में भी यह विकराल रूप धारण कर रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अमित शुक्ला ने जिले में डेंगू के बढ़ते प्रकोप पर कड़ा रुख अपनाया है और जिला प्रशासन की अव्यवस्थाओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। अमित शुक्ला ने अपने बयान में कहा है कि कटनी जिले में डेंगू के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, और इस महीने में सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं। विशेषकर आधार काप, एनकेजे, भट्टा मोहल्ला जैसे क्षेत्रों में डेंगू के अधिक मरीज मिल रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की ओर से पर्याप्त उपाय नहीं किए जा रहे हैं। शुक्ला ने नगर निगम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं कराया, न ही फॉगिंग मशीनों का प्रयोग किया गया, जबकि इन उपायों से डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है।

*पानी का जमाव और साफ-सफाई की कमी*

शुक्ला ने यह भी बताया कि बस स्टैंड के सामने और अन्य क्षेत्रों में पानी का जमाव और कचरे की भरमार है, जो मच्छरों के पनपने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान कर रहे हैं। पानी का ठहराव और खुले में पड़े कबाड़ में मच्छरों का लार्वा तेजी से विकसित हो रहा है, जिससे आस-पास के इलाकों में डेंगू के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह समस्या न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह प्रशासन की नाकामी को भी उजागर करती है। शुक्ला ने नगर निगम की इस लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई है और इसे आम जनता के प्रति सरकार की संवेदनहीनता का प्रतीक बताया है।

*नगर निगम की निष्क्रियता और महापौर की जिम्मेदारी*

अमित शुक्ला ने नगर निगम महापौर की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, महापौर और नगर निगम के अन्य अधिकारी डेंगू से बचाव के लिए गंभीर कदम नहीं उठा रहे हैं। शुक्ला का कहना है कि नगर सरकार की ओर से कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है, जिससे आम जनता को डेंगू जैसी घातक बीमारी से सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है और कई निर्दोष लोगों की जान जा सकती है। डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने के लिए प्रशासन को पूरी तैयारी और ठोस योजनाओं के साथ काम करना चाहिए। नगर निगम को चाहिए कि वे शहर के हर मोहल्ले और क्षेत्र में नियमित रूप से सफाई अभियान चलाएं, पानी के जमाव को रोका जाए, और समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जाए। यह बेहद जरूरी है कि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग आपस में समन्वय स्थापित करें और डेंगू के फैलाव को रोकने के लिए तत्परता दिखाएं।

*स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अस्पतालों का दबाव*

कटनी जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जिला अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह की कमी हो रही है, जबकि निजी अस्पतालों में इलाज महंगा होने के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के लोग काफी परेशान हैं। अमित शुक्ला ने यह मुद्दा भी उठाया कि स्वास्थ्य विभाग भी इस गंभीर स्थिति में लापरवाही बरत रहा है। जिले के अधिकांश अस्पतालों में डेंगू के लिए जरूरी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।

*लोगों में जागरूकता की कमी*

डेंगू जैसी बीमारियों से बचाव के लिए लोगों में जागरूकता का अभाव भी एक बड़ा कारण है। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम को चाहिए कि वे लोगों को डेंगू से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करें। मच्छरों से बचने के लिए नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना, और मच्छर भगाने वाले क्रीम का उपयोग करना बेहद जरूरी है। साथ ही, लोगों को यह भी बताया जाना चाहिए कि वे अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में पानी का जमाव न होने दें, ताकि मच्छरों के लार्वा पनप न सकें। अमित शुक्ला ने अपने बयान में कहा कि डेंगू के बढ़ते मामलों के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम की निष्क्रियता जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया, तो स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। नगर निगम को चाहिए कि वे डेंगू जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएँ, जिससे जिले के लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। डेंगू की समस्या केवल कटनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में एक विकराल रूप ले चुकी है। जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या, और शहरीकरण के चलते मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा हो रही हैं। ऐसे में जिला प्रशासन और नगर निगम को अपनी योजनाओं में सुधार करना होगा।

*समय - समय पर फॉगिंग और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव*

 नगर निगम को नियमित रूप से मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए फॉगिंग और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। शहर में नियमित सफाई अभियान चलाकर कचरे को हटाना और पानी के ठहराव को रोकना चाहिए। इसके लिए स्थानीय निवासियों को भी जागरूक करना आवश्यक है।

*जागरूकता अभियान को देना चाहिए जोर*

 डेंगू से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना अत्यंत जरूरी है। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, और समाजिक संगठनों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।

*अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार* 

सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाए जाएँ, जहाँ मरीजों को उचित देखभाल मिल सके। इसके साथ ही, निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्चों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि गरीब तबके के लोग भी इलाज करा सकें।

*जल निकासी व्यवस्था में सुधार* 

नगर निगम को जल निकासी व्यवस्था में सुधार करना चाहिए, ताकि शहर में पानी का ठहराव न हो और मच्छर न पनपें। डेंगू जैसी बीमारी से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता आवश्यक है। प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए समय पर कार्यवाही करनी चाहिए। यदि समय रहते उचित कदम उठाए गए तो डेंगू के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है, अन्यथा यह स्थिति विकराल रूप ले सकती है।

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