सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के मॉडल विद्यालय में पांच दिवसीय एफ. एल. एन. प्रशिक्षण हुआ संपन्न

 जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के मॉडल विद्यालय में पांच दिवसीय एफ. एल. एन. प्रशिक्षण हुआ संपन्न 



ढीमरखेड़ा | ढीमरखेड़ा के जनपद शिक्षा केंद्र में आयोजित पाँच दिवसीय एफ. एल. एन. (मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान) प्रशिक्षण का समापन हुआ। यह प्रशिक्षण कक्षा तीसरी और चौथी के विद्यार्थियों को साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में दक्ष बनाने के उद्देश्य से किया गया था, जो भारत सरकार की नई शिक्षा नीति, निपुण भारत मिशन 2020 के तहत संचालित हो रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों में आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान को मजबूत करना प्राथमिक उद्देश्य था। निपुण भारत मिशन 2020 का उद्देश्य यह है कि कक्षा तीसरी तक के सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में दक्षता प्राप्त हो। इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक नवीनतम शिक्षण विधियों और टीएलएम (शैक्षिक सामग्री) का इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे इन विषयों को न केवल रट सकें बल्कि उसे समझकर इस्तेमाल कर सकें। इस पाँच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान, बीआरसी प्रेम सिंह कोरी ने शिक्षकों के साथ विस्तृत चर्चा की। इसमें आवधिक आकलन (पीरियॉडिक असेसमेंट), अधिगम सामग्री, टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मैटेरियल) की आवश्यकता और महत्व, निपुण लर्निंग आउटकम, वार्षिक शिक्षक ट्रैकर, और शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान दिया गया। यह चर्चा इस बात को लेकर थी कि बच्चों को कैसे इन अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से सिखाया जाए और उन्हें आने वाले समय के लिए कैसे तैयार किया जाए।प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था कि शिक्षक बच्चों को सरल और प्रभावी तरीके से सिखा सकें, ताकि वे आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में निपुण हो सकें। इसके लिए उन्हें गीत, नृत्य, खेल, और अन्य रचनात्मक विधियों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। यह सभी विधियां शिक्षण को अधिक रुचिकर बनाती हैं और बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को सहज और सरल करती हैं। 

*प्रशिक्षण के अंतिम दिन, विकासखंड की राष्ट्रीय उपलब्धि*

सर्वेक्षण (NAS) के प्रभारी BAC गणेश महोबिया और सह प्रभारी CAC सुशील पटेल ने नवंबर माह में होने वाले आगामी NAS सर्वेक्षण के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि लर्निंग आउटकम, स्वयं सिद्ध चैट, और राज्य शिक्षा केंद्र से प्राप्त साप्ताहिक कार्य योजना पर ध्यान केंद्रित करते हुए बच्चों को तैयार करें। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

*मास्टर ट्रेनर और प्रशिक्षण का महत्व*

इस पाँच दिवसीय प्रशिक्षण में कई मास्टर ट्रेनरों ने भाग लिया और शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया। मास्टर ट्रेनर सत्येंद्र पटेल, दीपचंद चौधरी, खादिम हुसैन, लक्ष्मीकांत पाठक, राजीव काछी, राजकुमार पाठक, बालमुकुंद तिवारी, BAC हेमंत शामल, CAC सत्यदेव महोबिया, श्रीकांत त्रिपाठी, और आशीष चौरसिया ने इस प्रशिक्षण में अपना योगदान दिया। प्रशिक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि शिक्षक उन विधियों को समझें और उनका उपयोग करें जो बच्चों के लिए साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में सुधार करने में सहायक हों। इसके साथ ही, प्रशिक्षित शिक्षक यह भी समझें कि कैसे विभिन्न टीएलएम का उपयोग करके शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

*टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मैटेरियल) का महत्व*

टीएलएम का उपयोग बच्चों को बुनियादी अवधारणाओं को समझाने में अहम भूमिका निभाता है। यह शिक्षण सामग्री बच्चों को अधिक आकर्षित करती है और उन्हें सिखने में आसानी होती है। शिक्षक प्रशिक्षित हुए कि वे टीएलएम के माध्यम से बच्चों को कैसे पढ़ाएं, जिससे बच्चे खेल-खेल में सीख सकें और उनकी सीखने की प्रक्रिया सरल और रोचक बन सके। टीएलएम का सही उपयोग करते हुए शिक्षक बच्चों को खेल, गाने, और नृत्य के माध्यम से सिखाने की प्रक्रिया को और प्रभावी बना सकते हैं। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया कि शिक्षक टीएलएम को बच्चों की उम्र और क्षमता के अनुसार तैयार करें, ताकि वे सिखने में अधिक रुचि लें।

*राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) की तैयारी*

BAC गणेश महोबिया और CAC सुशील पटेल द्वारा NAS के संबंध में शिक्षकों को विशेष जानकारी दी गई। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि कैसे वे बच्चों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के लिए तैयार कर सकते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने लर्निंग आउटकम्स, स्वयं सिद्ध चैट, और अन्य साप्ताहिक कार्य योजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की।यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी बच्चे एक समान रूप से तैयार हों, राज्य शिक्षा केंद्र से प्राप्त साप्ताहिक कार्य योजना का पालन करना आवश्यक है। इससे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को नियमित किया जा सकता है और उन्हें बेहतर ढंग से तैयार किया जा सकता है।

*बीआरसी प्रेम कोरी की पहल सराहनीय*

बीआरसी प्रेम सिंह कोरी ने शिक्षकों को वार्षिक शिक्षक ट्रैकर के महत्व पर भी जोर दिया। यह ट्रैकर शिक्षकों को अपने शिक्षण प्रगति और बच्चों के सीखने के स्तर को मापने में सहायता करता है। इसके अलावा, आवधिक आकलन के माध्यम से बच्चों की प्रगति का निरंतर मूल्यांकन भी किया जा सकता है। आवधिक आकलन के तहत शिक्षक बच्चों की नियमित परीक्षा लेकर यह समझ सकते हैं कि बच्चे किस हद तक सिखने में सक्षम हो रहे हैं। इस प्रक्रिया से न केवल बच्चों की प्रगति को मापा जा सकता है, बल्कि शिक्षण की गुणवत्ता को भी सुधारने में मदद मिलती है।

*प्रशिक्षकों को बच्चों की शिक्षा के लिए दी गई शिक्षा*

प्रशिक्षण के दौरान, कई प्रशिक्षकों ने अपनी भूमिका निभाई। ये प्रशिक्षक विशेष रूप से उन विधियों को सिखाने के लिए प्रशिक्षित किए गए थे, जो बच्चों के लिए प्रभावी और लाभदायक साबित हों। प्रशिक्षकों में सत्येंद्र पटेल, दीपचंद चौधरी, खादिम हुसैन, लक्ष्मीकांत पाठक, और अन्य शामिल थे, जिन्होंने शिक्षकों को इस बात की जानकारी दी कि कैसे वे बच्चों को सरल तरीकों से सिखा सकते हैं। इन प्रशिक्षकों ने शिक्षकों को विभिन्न गतिविधियों और सामग्री का उपयोग करने के तरीके बताए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि शिक्षक बच्चों की जरूरतों को समझें और उनकी शिक्षा को अधिक रोचक और प्रभावी बनाने के लिए प्रयास करें।

*शिक्षा में सुधार और गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास*

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इसमें न केवल शिक्षकों को बच्चों को सिखाने के नए तरीकों से अवगत कराया गया, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया गया कि कैसे वे अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। प्रशिक्षण में शामिल शिक्षकों को यह भी बताया गया कि बच्चों की प्रगति को मापने के लिए आवधिक आकलन और शिक्षक ट्रैकर का उपयोग कैसे किया जाए। इससे न केवल बच्चों की साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान में सुधार हो सकता है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर हो सकती है।

टिप्पणियाँ

popular post

नहर में बैठा यमराज छोटे - छोटे बच्चों को बना रहा शिकार, नहर ले रही बली नर्मदा नहर उमरियापान में डूबी बच्चियां, दो की मौत, अन्य की तलाश जारी

 नहर में बैठा यमराज छोटे - छोटे बच्चों को बना रहा शिकार, नहर ले रही बली नर्मदा नहर उमरियापान में डूबी बच्चियां, दो की मौत, अन्य की तलाश जारी ढीमरखेड़ा |  उमरियापान के समीप नर्मदा नहर में तीन बच्चियों के डूबने की दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना में दो बच्चियों की मौत हो चुकी है, जबकि तीसरी बच्ची की तलाश जारी है। यह हादसा रविवार की सुबह हुआ जब तीनों बच्चियां नहर में नहाने गई थीं। मृतक बच्चियों की पहचान सिद्धि पटेल (12 वर्ष, कक्षा आठवीं) एवं अंशिका पटेल (14 वर्ष, कक्षा नवमी) के रूप में हुई है, जबकि सिद्धि की छोटी बहन मानवी पटेल (8 वर्ष) अब भी लापता है। इस हृदयविदारक घटना के बाद गांव में मातम पसर गया है। पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है, और प्रशासनिक अमला लगातार तीसरी बच्ची की तलाश में जुटा हुआ है।रविवार की सुबह परसवारा गांव की तीन बच्चियां उमरियापान के समीप नर्मदा नहर में नहाने के लिए गई थीं। नहर का पानी गहरा होने के कारण तीनों बच्चियां उसमें डूबने लगीं। आस-पास कोई मौजूद नहीं था, जिससे उन्हें तुरंत बचाया नहीं जा सका। कुछ देर बाद जब स्थानीय लोगों...

सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी, दोस्ती की मिसाल, जिसने बचाई सौरभ मिश्रा की जान, मुंबई में आया सौरभ मिश्रा को अटैक अब हैं सुरक्षित, तुझे कैसे कुछ हों सकता हैं मेरे भाई तेरे ऊपर करोड़ो लोगो की दुआएं हैं काल भी उसका क्या बिगाड़े जिसकी रक्षा महाकाल करते हों

 सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी, दोस्ती की मिसाल, जिसने बचाई सौरभ मिश्रा की जान, मुंबई में आया सौरभ मिश्रा को अटैक अब हैं सुरक्षित, तुझे कैसे कुछ हों सकता हैं मेरे भाई तेरे ऊपर करोड़ो लोगो की दुआएं हैं काल भी उसका क्या बिगाड़े जिसकी रक्षा महाकाल करते हों  ढीमरखेड़ा |  मुंबई जैसे बड़े महानगर में जीवन हमेशा व्यस्त और तेज़ गति से चलता है, लेकिन इसी बीच एक घटना घटी जिसने यह साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती किसी भी परिस्थिति में अपने दोस्त के लिए हर हद पार कर सकती है। सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी ने अपने दोस्त सौरभ मिश्रा के लिए जो किया, वह न सिर्फ दोस्ती की मिसाल बन गया, बल्कि यह भी दिखाया कि इंसानियत और प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं। सौरभ मिश्रा मुंबई में थे, जब अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। बताया जाता है कि उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी जान पर खतरा बन गया था। जैसे ही यह खबर सिलौड़ी मंडल अध्यक्ष मनीष बागरी तक पहुंची, उन्होंने बिना किसी देरी के मुंबई जाने का फैसला किया। वह तुरंत हवाई जहाज से मुंबई रवाना हो गए, क्योंकि उनके लिए उनका दोस्त सबसे महत्वपूर...

पुलिस विभाग के बब्बर शेर, सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे का गौरवशाली पुलिस जीवन, 31 मार्च को ढीमरखेड़ा थाने से होगे सेवानिवृत्त, सेवानिवृत्त की जानकारी सुनके आंखे हुई नम

 पुलिस विभाग के बब्बर शेर, सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे का गौरवशाली पुलिस जीवन, 31 मार्च को ढीमरखेड़ा थाने से होगे सेवानिवृत्त,  सेवानिवृत्त की जानकारी सुनके आंखे हुई नम  ढीमरखेड़ा |   "सच्चे प्रहरी, अडिग संकल्प, निर्भीक कर्म" इन शब्दों को अगर किसी एक व्यक्ति पर लागू किया जाए, तो वह हैं अवध भूषण दुबे। अपराध की दुनिया में जिनका नाम सुनते ही अपराधियों के दिल कांप उठते थे, आम जनता जिन्हें एक रक्षक के रूप में देखती थी, और जिनकी उपस्थिति मात्र से ही लोग सुरक्षित महसूस करते थे ऐसे थे ढीमरखेड़ा थाने के सहायक उप निरीक्षक अवध भूषण दुबे। 01 मार्च 1982 को जब उन्होंने मध्य प्रदेश पुलिस की सेवा में कदम रखा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह व्यक्ति आने वाले चार दशकों तक अपने साहस, कर्तव्यपरायणता और निडरता के लिए बब्बर शेर के नाम से जाना जाएगा। 43 वर्षों से अधिक की सेवा के बाद, 31 मार्च 2025 को वे ढीमरखेड़ा थाने से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनके किए गए कार्य और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी। *अपराधियों के लिए काल "बब्बर शेर"* अपराध की दुनिया में कुछ प...