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पेट्रोल डालकर की गई शालिनी गौतम की हत्या, शालिनी की हत्या करने वाले अपराधियों को होना चाहिए फांसी नहीं तो होगा उग्र - प्रदर्शन

 पेट्रोल डालकर की गई शालिनी गौतम की हत्या, शालिनी की हत्या करने वाले अपराधियों को होना चाहिए फांसी नहीं तो होगा उग्र -  प्रदर्शन 



ढीमरखेड़ा | मध्य प्रदेश के उमरिया जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की क्रूर सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया। यह घटना एक नवविवाहिता युवती, शालिनी गौतम, की निर्मम हत्या से जुड़ी है, जिसे उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज की मांग पूरी न होने पर बर्बरता से मार डाला। इसके बाद भी उन दरिंदों का दिल नहीं भरा, तो उन्होंने शालिनी के शव को पेट्रोल डालकर जला दिया। यह दर्दनाक घटना उमरिया जिले के चंदिया थाना क्षेत्र के ग्राम घोघरी में घटित हुई, जहां पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। चंदिया थाना क्षेत्र के ग्राम घोघरी में हुई, जब शालिनी गौतम की हत्या की खबर सामने आई। शालिनी का विवाह कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ था। शालिनी एक पढ़ी-लिखी, शान्त और सुलझे स्वभाव की लड़की थी, जो अपने ससुराल में अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत कर रही थी। परंतु यह विवाह उसके लिए दमनकारी साबित हुआ, क्योंकि उसके ससुराल वाले लगातार दहेज के लिए उसे प्रताड़ित कर रहे थे। शालिनी की मां और बड़े भाई ने बताया कि शादी के बाद से ही उसे दहेज की कमी के कारण तानों का सामना करना पड़ा। कई बार उसके पति ने उसे शारीरिक रूप से भी प्रताड़ित किया था। इस प्रताड़ना से तंग आकर शालिनी ने अपनी मां और भाई से अपनी पीड़ा साझा की थी, परंतु उन्हें यह अंदेशा नहीं था कि यह प्रताड़ना उसकी हत्या तक पहुँच जाएगी। इस घटना ने समाज में दहेज प्रथा की काली सच्चाई को एक बार फिर उजागर किया है। भारत में दहेज प्रथा एक ऐसी समस्या है, जो वर्षों से चली आ रही है और इसके कारण हजारों महिलाओं की जानें गई हैं। दहेज के लिए प्रताड़ना और हत्या जैसी घटनाएँ आए दिन सामने आती रहती हैं, और यह घटना उसी सामाजिक समस्या का परिणाम है। शालिनी के परिवार ने आरोप लगाया है कि उसकी हत्या का कारण भी दहेज था। उसकी ससुराल वालों को दिए गए दहेज से वे संतुष्ट नहीं थे, और इसी कारण वे उसे लगातार प्रताड़ित करते रहे। दहेज के लिए महिलाओं को मानसिक और शारीरिक यातनाएँ दी जाती हैं, और कुछ मामलों में तो उनकी हत्या कर दी जाती है, जैसा कि शालिनी के साथ हुआ। इस निर्मम हत्या को लेकर जब स्थानीय समाचार पत्र दैनिक ताजा खबर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय ने चंदिया थाने से संपर्क किया, तो उन्हें जानकारी दी गई कि शालिनी गौतम की गला घोंटकर हत्या की गई थी। इसके बाद उसके शव को पेट्रोल डालकर जला दिया गया, ताकि सबूत मिटाया जा सके। यह घटना जितनी क्रूर थी, उतनी ही नृशंसता से इसे अंजाम दिया गया। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि जब शालिनी को अस्पताल लाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शालिनी के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे, जिससे यह स्पष्ट था कि उसे निर्ममता से मारा गया था। पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की गहन जांच का आश्वासन दिया और कहा कि दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर कड़ी सज़ा दिलाई जाएगी।

*पुलिस की निष्पक्ष होना चाहिए जांच*

शालिनी की हत्या के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुँचकर मामले की छानबीन शुरू की और सबूत इकट्ठा किए। पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि इस मामले की जांच सभी पहलुओं से की जा रही है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने शालिनी के पति और ससुराल पक्ष के अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। इस मामले में शालिनी के परिजनों ने दहेज हत्या का आरोप लगाया है, जिसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304B (दहेज हत्या) के तहत मामला दर्ज किया है। अस्पताल में ड्यूटीरत डॉक्टर ने मीडिया को जानकारी दी कि शालिनी की हालत बहुत गंभीर थी और जब उसे अस्पताल लाया गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टर ने कहा कि शालिनी के शरीर पर चोट के गंभीर निशान थे, जो स्पष्ट रूप से दिखा रहे थे कि उसकी हत्या अत्यंत बर्बर तरीके से की गई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह भी पुष्टि हुई कि शालिनी की गला घोंटकर हत्या की गई थी। उसके शरीर पर जलने के भी निशान थे, जिससे यह पता चलता है कि हत्या के बाद उसके शव को जलाने की कोशिश की गई थी।

*परिजनों की मांग की होना चाहिए कठोर कार्यवाही*

शालिनी के माता-पिता और भाई का इस घटना पर गहरा दुख और आक्रोश है। उन्होंने बताया कि शालिनी एक शांत स्वभाव की लड़की थी और उसे ससुराल में प्रताड़ित किया जा रहा था। शालिनी की मां ने बताया कि उसने कई बार दहेज की प्रताड़ना के बारे में बताया था, लेकिन परिवार ने यह उम्मीद कभी नहीं की थी कि यह प्रताड़ना उसकी मौत का कारण बन जाएगी। शालिनी के परिवार ने ससुराल पक्ष पर दहेज हत्या का आरोप लगाया है और न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि शालिनी की मौत के पीछे का असली कारण दहेज की मांग पूरी न होना है, जिसके लिए उसे लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था।

*समाज में दहेज प्रथा से हों रही मौत*

शालिनी की मौत एक बार फिर यह साबित करती है कि भारतीय समाज में दहेज प्रथा आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। दहेज के लिए महिलाओं की हत्या होना एक बहुत ही गंभीर सामाजिक समस्या है, जिसे समाप्त करने की अत्यंत आवश्यकता है। दहेज प्रथा के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह प्रथा आज भी समाज में गहरे तक जड़ें जमाए हुए है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समाज में जागरूकता और कानून के सख्त पालन की आवश्यकता है। सरकार को भी दहेज प्रथा के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए और ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी सज़ा दिलाने का प्रावधान करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।

*कानूनी सजा का प्रावधान*

दहेज प्रथा को रोकने के लिए भारतीय कानून में सख्त प्रावधान किए गए हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 304B के तहत यदि किसी महिला की शादी के सात साल के भीतर अप्राकृतिक मृत्यु होती है और यह साबित होता है कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया था, तो दोषियों को दहेज हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज मांगने या देने पर भी सख्त सज़ा का प्रावधान है। लेकिन, इन कानूनी प्रावधानों के बावजूद, दहेज प्रथा का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो सका है। इसका एक मुख्य कारण समाज में इस प्रथा को लेकर व्याप्त मानसिकता है, जिसे बदलने के लिए कानून के साथ-साथ समाज में जागरूकता की भी ज़रूरत है।

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