ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके एक बार फिर चर्चा में समय पर पहुंचकर बच्चो को दिलवाया उच्च चिकित्सा सुविधा ताकि बच्चे चंद घंटे में हों गए स्वस्थ्य एस.डी.एम. ढीमरखेड़ा विंकी सिंह मारे उइके की चारों तरफ हों रही प्रशंसा प्रसाद की बूंदी खाकर अस्वस्थ हुए गनियारी स्कूल के 24 छात्र उमरियापान अस्पताल से हुए डिस्चार्ज
ढीमरखेड़ा एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके एक बार फिर चर्चा में समय पर पहुंचकर बच्चो को दिलवाया उच्च चिकित्सा सुविधा ताकि बच्चे चंद घंटे में हों गए स्वस्थ्य एस.डी.एम. ढीमरखेड़ा विंकी सिंह मारे उइके की चारों तरफ हों रही प्रशंसा प्रसाद की बूंदी खाकर अस्वस्थ हुए गनियारी स्कूल के 24 छात्र उमरियापान अस्पताल से हुए डिस्चार्ज
ढीमरखेड़ा | शासकीय विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा और उनकी सेहत एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है, खासकर तब जब यह बच्चों के स्वास्थ्य और उनके जीवन से जुड़ा हो। ढीमरखेड़ा विकासखंड के गनियारी गांव में घटित एक ऐसी ही घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, जहां प्रसाद के रूप में बूंदी खाने के बाद 24 छात्रों की तबीयत बिगड़ गई। जिसमें जिला प्रशासन ने त्वरित और समन्वित कार्रवाई कर बच्चों की जान बचाई, जिससे पूरे क्षेत्र में प्रशासन की प्रशंसा हो रही है। घटना सोमवार को दोपहर के समय घटित हुई, जब विकासखंड ढीमरखेड़ा के शासकीय हाईस्कूल गनियारी के परिसर में स्थित प्राथमिक स्कूल में प्रसाद के रूप में बूंदी का वितरण किया गया। यह प्रसाद स्कूल की रसोइया राजकुमारी सेन द्वारा वितरित किया गया था, जिसे बच्चों ने तकरीबन 12:30 से 1 बजे के बीच खाया। प्रसाद खाने के बाद कुछ ही समय में बच्चों ने शिक्षकों से शिकायत की कि उन्हें गले में खराश, गर्दन में दर्द, और सीने में जलन महसूस हो रही है।
*एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके ने दिखाई तत्परता तो बच्चों की बची जान*
जैसे ही छात्रों की तबीयत बिगड़ने की सूचना शिक्षकों के माध्यम से एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके को मिली, उन्होंने तुरंत ही कलेक्टर दिलीप कुमार यादव को इस बारे में अवगत कराया। कलेक्टर उस समय कटनी में समय-सीमा बैठक में व्यस्त थे, लेकिन उन्होंने इस घटना को तुरंत संज्ञान में लेते हुए आवश्यक निर्देश दिए। कलेक्टर यादव ने एस.डी.एम. को निर्देशित किया कि वे तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लें और बच्चों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके ने अत्यंत संवेदनशीलता और तत्परता के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान भेजने की व्यवस्था की। इस त्वरित कार्रवाई के कारण सभी 24 छात्रों को समय पर उच्च चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकी, और कुछ ही घंटों में वे सभी स्वस्थ हो गए।
*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान में उपचार*
बच्चों को उमरियापान स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां बी.एम.ओ. डॉ. बी.के. प्रसाद की टीम ने बच्चों की तुरंत जांच और उपचार किया। डॉ. प्रसाद ने आश्वासन दिया कि बच्चों के स्वास्थ्य को कोई गंभीर खतरा नहीं है और सभी बच्चे सामान्य स्थिति में हैं। कुछ बच्चों को प्राथमिक उपचार के साथ ही ग्लूकोज स्लाइन की ड्रिप भी लगाई गई। सभी छात्र प्राथमिक कक्षाओं के थे, जिनमें से केवल एक छात्रा कक्षा आठवीं की थी। बच्चों को त्वरित और प्रभावी उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, जिससे अभिभावकों और स्थानीय लोगों में राहत की लहर दौड़ गई। प्रशासन की इस तत्परता ने क्षेत्र में उनके प्रति विश्वास और सम्मान को और भी मजबूत किया।
*खाद्य सुरक्षा और नमूना जांच*
घटना के बाद कलेक्टर यादव ने एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके को निर्देश दिया कि वे स्कूल की रसोइया द्वारा वितरित किए गए प्रसाद (बूंदी) और स्कूल में बनने वाले मध्यान्ह भोजन की खाद्य सामग्री के नमूने लिए जाएं, ताकि इस घटना की गहराई से जांच हो सके। कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ओ.पी. साहू मौके पर पहुंचे और बूंदी के साथ-साथ मध्यान्ह भोजन में इस्तेमाल किए गए मसालों, बैंगन, और अन्य खाद्य सामग्री के नमूने लिए। इन नमूनों को जांच के लिए भोपाल स्थित राज्य प्रयोगशाला भेजा गया, ताकि यह पता चल सके कि खाद्य पदार्थों में कोई विषाक्त तत्व था या नहीं। खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।
*प्रशासनिक नेतृत्व की सराहना*
इस घटना के बाद, एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके की चारों ओर प्रशंसा हो रही है। उनकी त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता के कारण ही बच्चों की जान बचाई जा सकी। ढीमरखेड़ा के लोग और अभिभावक प्रशासन की इस संवेदनशीलता और तत्परता के लिए आभार व्यक्त कर रहे हैं। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने जिस प्रकार इस संकट का सामना किया और त्वरित कदम उठाए, वह अनुकरणीय है। कलेक्टर यादव ने जिस तत्परता के साथ निर्देश दिए और बच्चों के स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखा, उसने प्रशासनिक जिम्मेदारियों के प्रति उनकी सजगता को दर्शाया।
*मध्यान्ह भोजन और खाद्य सुरक्षा की स्थिति*
यह घटना केवल एक प्रशासनिक चुनौती ही नहीं थी, बल्कि यह हमारे शिक्षा और खाद्य सुरक्षा तंत्र के लिए भी एक चेतावनी थी। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है, ताकि उनके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायता मिल सके। लेकिन यदि इस आहार में खाद्य सुरक्षा का उल्लंघन होता है, तो यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। इस घटना के बाद, यह आवश्यक हो गया है कि स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत वितरित होने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाए। इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
*सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की पहल सराहनीय*
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाकों में कितने महत्वपूर्ण होते हैं। उमरियापान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने जिस तत्परता के साथ बच्चों का उपचार किया, वह सराहनीय है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति और वहां उपलब्ध सुविधाओं में निरंतर सुधार हो, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में त्वरित और प्रभावी उपचार संभव हो सके। स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की नियमित जांच होनी चाहिए। खाद्य सुरक्षा अधिकारी को इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए और नियमित अंतराल पर नमूने लेकर उनकी जांच करनी चाहिए। स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों को स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि किसी भी असामान्य लक्षण के तुरंत बाद चिकित्सकीय सहायता ली जा सके। प्रशासनिक अधिकारियों की तत्परता और संवेदनशीलता ऐसे संकटों में जीवन रक्षक सिद्ध हो सकती है। एस.डी.एम. विंकी सिंह मारे उइके और कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने जिस प्रकार इस घटना को संभाला, वह अन्य अधिकारियों के लिए एक उदाहरण है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाओं को सुदृढ़ किया जाना चाहिए, ताकि आपात स्थिति में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। अभिभावकों को भी बच्चों के खान-पान और उनके स्वास्थ्य पर सतर्कता रखनी चाहिए। यदि बच्चों को स्कूल में कोई असामान्य अनुभव होता है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए और तुरंत स्कूल प्रशासन को सूचित करना चाहिए।
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