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जलजीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का मिशन, पंचायत ने पारित किया निंदा प्रस्ताव, पंचायत में लगाया ताला , गांव में बनी दलदल की स्थिति, सुनने को तैयार नहीं जिम्मेदार, ग्राम पंचायत धरवारा का मामला

 जलजीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का मिशन, पंचायत ने पारित किया निंदा प्रस्ताव, पंचायत में लगाया ताला , गांव में बनी दलदल की स्थिति, सुनने को तैयार नहीं जिम्मेदार, ग्राम पंचायत धरवारा का मामला 



ढीमरखेड़ा | हर घर नल से जल पहुंचाने चल रही जल जीवन मिशन योजना ग्रामीणों के लिए राहत की बजाय मुसीबत बनती जा रही है।योजना के धरातल पर क्रियान्वयन को लेकर विभागीय अधिकारी कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है, जिस कारण समयावधि में कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। हालांकि जिस तरह की दुर्दशा ठेकेदारों के द्वारा हर पंचायत में बनाई गई है वह किसी से छिपी नहीं है। कमीशन के खेल में अधिकारी भी ऐसे रंगे है कि उन्हें भी गलत होने से मतलब नहीं है। ढीमरखेड़ा जनपद की ग्राम पंचायत धरवारा में 75 लाख रूपये की लागत से जल जीवन मिशन योजना के तहत ठेकेदार के द्वारा कार्य करवाया जा रहा है लेकिन ठेकेदार के द्वारा कार्य करने का रवैया ऐसा है कि मजबूरीवश पंचायत को निंदा प्रस्ताव और पंचायत में तालाबंदी करना पड़ रही है। पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने जिला पंचायत सीईओ, कलेक्टर को निंदा प्रस्ताव भेजकर अल्टीमेटम दिया है कि जब तक नल जल योजना का कार्य पूर्ण नहीं होता और पाईप लाईन विस्तारीकरण करने खोदी गई मोहल्लों की सड़कों का दुरूस्तीकरण नहीं किया जाता है तब तक ग्राम पंचायत कार्यालय में तालाबंदी रहेगी।

*दो वर्ष से चल रहा कार्य अब भी अधूरा* 

ग्राम पंचायत धरवारा के सरपंच, उपसरपंच अमित गर्ग ने बताया कि ग्राम पंचायत धरवारा में 1 करोड़ 75 लाख रूपये की लागत से जल जीवन मिशन अभियान के तहत नल जल योजना का कार्य हो रहा है। दो वर्ष से काम चल रहा है जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। पाईप लाईन विस्तारीकरण करने ग्राम पंचायत के वार्डों में बनी सी. सी. रोड को खोदकर सड़कों की बदहाल स्थिति कर दी गई है। सड़कों की बदहाली के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन ग्रामीणों की परेशानी से ठेकेदार और विभागीय अधिकारी अंजान बने हुये है। सूत्रों ने बताया कि ग्राम पंचायत धरवारा में जल जीवन मिशन का कार्य नेट लिंक कंपनी के द्वारा करवाया जा रहा है। 

*केन्द्र सरकार की मंशा पर लगा रहे पलीता* 

सरकार के द्वारा जिस मंशा के साथ जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट शुरू किया गया था वह फेल होता दिख रहा है और आज भी कई पंचायत ऐसी है जहां पर ठेकेदार और अधिकारियों की संगामित्ती के कारण ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है। अधूरा कार्य छोड़कर ठेकेदारों के द्वारा पूरी राशि आहरित कर ली जाती है इसका भुगतमान ग्रामीण भुगत रहे है। ग्राम पंचायत धरवारा में जल जीवन मिशन योजना को पूर्ण करने की समय अवधि भी पूर्ण हो चुकी है इसके बावजूद भी ठेकेदार के द्वारा घोर लापरवाही बरतते हुये  अधूरा कार्य छोड़ दिया गया है जबकि भुगतान लगभग पूर्ण करा लिया गया है। 

*विभागीय अधिकारी कुंभकर्णी निद्रा में*

जल जीवन मिशन का प्रोजेक्ट शासन के महत्वूपर्ण प्रोजेक्टों में से एक है, बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों के द्वारा घोर लापरवाही बरतते हुये ठेकेदारों पर कार्यवाही करने के बजाये उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है और अधूरा कार्य होने पर भी पंचायत को हेंड ओवर के लिये दबाव बनाया जाता है। हेंड ओवर नहीं लेने पर नेताओं के द्वारा दबाव बनाया जाता है। ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत की कई ऐसी पंचायत है जहां पर जल जीवन मिशन के कार्य अधूरे पड़े हुये है लेकिन पंचायत पर दबाव डालकर ठेकेदारों के द्वारा हेंड ओवर कर दिया गया है।ठेकेदारों के कृत्यों का भुगतमान ग्रामीण भुगत रहे है और भरी बारिश में भी पानी के लिये भटक रहे है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में नल से जल पहुंचाने का था, लेकिन धरातल पर इसके क्रियान्वयन में जिस प्रकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है, उससे इस योजना का मूल उद्देश्य धूमिल होता जा रहा है। इसका ज्वलंत उदाहरण ढीमरखेड़ा जनपद की ग्राम पंचायत धरवारा में देखने को मिलता है, जहां 1 करोड़ 75 लाख रुपये की योजना के बावजूद भी नल जल योजना का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है।

*धरवारा ग्राम पंचायत का मामला*

धरवारा ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन विस्तारीकरण का कार्य चल रहा है, जिसकी लागत 1 करोड़ 75 लाख रुपये है। यह कार्य पिछले दो वर्षों से चल रहा है, लेकिन ठेकेदार और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह अब तक पूरा नहीं हो पाया है। पाइपलाइन बिछाने के लिए ग्राम पंचायत के वार्डों में बनी सीसी सड़कों को खोद दिया गया, जिससे ग्रामीणों के लिए समस्याओं का अंबार लग गया है। बदहाल सड़कों के कारण बारिश के मौसम में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि सड़कों पर पानी भर जाता है और गांव में दलदल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

*पंचायत की तालाबंदी*

ग्राम पंचायत धरवारा के सरपंच और उपसरपंच अमित गर्ग ने ठेकेदार और अधिकारियों के लापरवाही भरे रवैये के खिलाफ पंचायत में निंदा प्रस्ताव पारित किया है और पंचायत कार्यालय में तालाबंदी कर दी है। उन्होंने जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर को एक पत्र भेजकर अल्टीमेटम दिया है कि जब तक नल जल योजना का कार्य पूरा नहीं होता और पाइपलाइन बिछाने के लिए खोदी गई सड़कों की मरम्मत नहीं की जाती, तब तक पंचायत कार्यालय बंद रहेगा। पंचायत के जनप्रतिनिधियों का यह कदम ठेकेदार और अधिकारियों के खिलाफ एक सख्त संदेश है, लेकिन इसने ग्रामीणों की समस्याओं को उजागर किया है।

*ठेकेदार और अधिकारियों की लापरवाही*

धरवारा ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन के कार्य को नेट लिंक कंपनी द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, ठेकेदार के कार्य करने के तरीके ने ग्रामीणों के जीवन को और कठिन बना दिया है। पाइपलाइन बिछाने के लिए जिन सड़कों को खोदा गया था, उन्हें फिर से ठीक करने में कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है। ठेकेदार के इस रवैये के कारण गांव में रहने वाले लोग भारी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं, जबकि ठेकेदार और विभागीय अधिकारी उनकी समस्याओं से अंजान बने हुए हैं।

*कमीशन का खेल और सरकारी मंशा पर आघात*

जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की सुविधा पहुंचाना था, लेकिन ठेकेदार और अधिकारियों के बीच कमीशन का खेल चल रहा है, जिसने इस योजना को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ठेकेदारों द्वारा अधूरा कार्य छोड़कर पूरी राशि का आहरण कर लिया जाता है, जिससे ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। धरवारा ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन योजना के तहत किए गए कार्य की समय अवधि भी समाप्त हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी ठेकेदार द्वारा कार्य पूरा नहीं किया गया है और लगभग पूरा भुगतान करवा लिया गया है। इससे स्पष्ट है कि सरकारी मंशा को ठेकेदार और अधिकारियों के गठजोड़ ने नष्ट कर दिया है।

*विभागीय अधिकारियों की उदासीनता*

जल जीवन मिशन, जिसे सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में से एक माना गया था, उसकी इस दुर्दशा के लिए विभागीय अधिकारियों की उदासीनता भी जिम्मेदार है। अधिकारियों के द्वारा ठेकेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप अधूरा कार्य होने पर भी पंचायत को हैंड ओवर करने का दबाव बनाया जा रहा है। यदि पंचायत इसका विरोध करती है, तो नेताओं द्वारा दबाव बनाया जाता है।

*गांवों में पानी के लिए भटकते ग्रामीण*

धरवारा ही नहीं, ढीमरखेड़ा जनपद की कई अन्य पंचायतों में भी जल जीवन मिशन के अधूरे कार्यों का हश्र यही है। ठेकेदारों की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को भरी बारिश में भी पानी के लिए भटकना पड़ता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए।

*क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी*

धरवारा ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन के तहत किए जा रहे कार्य को लेकर पंचायत जनप्रतिनिधियों द्वारा तालाबंदी का मामला सामने आया है। इस पर जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत का कहना है कि पीएचई विभाग के एसडीओ और कार्यपालन यंत्री से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। यदि ठेकेदार द्वारा लापरवाही पाई जाती है, तो उसे ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई की जाएगी।

*जलजीवन मिशन एक दिखावा*

धरवारा ग्राम पंचायत के इस मामले ने यह साफ कर दिया है कि जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में गंभीर खामियां हैं, जिन्हें तत्काल दूर करने की आवश्यकता है। इसके लिए ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और अधूरे कार्यों को शीघ्रता से पूरा किया जाना चाहिए। पंचायतों को इस योजना के कार्यों की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और ग्रामीणों की समस्याओं को प्राथमिकता पर हल किया जाना चाहिए। धरवारा ग्राम पंचायत की स्थिति इस बात का प्रमाण है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यदि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित नहीं किया गया, तो उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा। यह आवश्यक है कि जल जीवन मिशन के तहत किए जा रहे कार्यों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निगरानी समिति गठित की जाए, जो ठेकेदारों और अधिकारियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख सके। धरवारा ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए कदमों ने जल जीवन मिशन के तहत हो रही लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया है। यह जरूरी है कि सरकार और विभागीय अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लें और ठेकेदारों की लापरवाही के खिलाफ सख्त कदम उठाएं। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक जल जीवन मिशन के उद्देश्य को प्राप्त करना मुश्किल होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या बनी रहेगी।

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