बजरंग दल ने कार्यवाही की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन , ढीमरखेड़ा मण्डल अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी एवं उमरियापान मण्डल अध्यक्ष गोविन्द प्रताप सिंह ने प्रभारी प्राचार्य की कार्यवाही को लेकर मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया , भगवान श्री कृष्ण पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले प्रभारी प्राचार्य पर लटके कार्यवाही की तलवार
बजरंग दल ने कार्यवाही की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन , ढीमरखेड़ा मण्डल अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी एवं उमरियापान मण्डल अध्यक्ष गोविन्द प्रताप सिंह ने प्रभारी प्राचार्य की कार्यवाही को लेकर मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाया , भगवान श्री कृष्ण पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले प्रभारी प्राचार्य पर लटके कार्यवाही की तलवार
ढीमरखेड़ा | भाजपा के दो दिग्गज मण्डल अध्यक्ष जिस तरह से पहल की हैं इससे ये मालूम होता हैं कि क्षेत्र के हर छोटे - बड़े मुद्दों पर नज़र बनाएं हुए हैं लिहाज़ा जब छोटे - बड़े मुद्दों पर इनकी नज़र बनी हुई हैं तो निश्चित ही जनता इनके कार्यों से खुश होगी। मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालय ढीमरखेड़ा के प्रभारी प्राचार्य ब्रजलाल अहिरवार द्वारा भगवान श्रीकृष्ण पर की गई अपमानजनक टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया है। यह प्रकरण शासन और समाज में गहरे विवाद का कारण बना है। जहां एक ओर धार्मिक आस्था पर चोट लगने से समाज में आक्रोश है, वहीं दूसरी ओर शासकीय आदेशों का उल्लंघन करते हुए एक लोकसेवक द्वारा अनुचित टिप्पणी करना प्रशासनिक और कानूनी मुद्दों को भी जन्म दे रहा है। मध्य प्रदेश शासन ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्माष्टमी महोत्सव को स्कूलों और कॉलेजों में मनाने का निर्देश जारी किया था। इस निर्देश का पालन करते हुए विभिन्न शिक्षण संस्थानों में जन्माष्टमी का आयोजन किया गया। लिहाज़ा शासकीय महाविद्यालय ढीमरखेड़ा के प्रभारी प्राचार्य ब्रजलाल अहिरवार ने अपने फेसबुक अकाउंट से शासन के इस निर्णय के खिलाफ टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। उनकी इस टिप्पणी ने तुरंत ही सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रिया प्राप्त की, जिससे क्षेत्र में तनाव और आक्रोश फैल गया।
*राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ*
ब्रजलाल अहिरवार की टिप्पणी ने शहडोल सांसद के प्रतिनिधि और बड़वारा विधानसभा के भाजपा नेता पद्मेश गौतम को भी आक्रोशित किया। उन्होंने इस मामले में जिला कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई और ब्रजलाल अहिरवार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। भाजपा नेता ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया कि एक शासकीय पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा इस प्रकार की धार्मिक और अनुशासनहीन टिप्पणी करना न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है।शासकीय महाविद्यालय ढीमरखेड़ा के प्रभारी प्राचार्य द्वारा की गई टिप्पणी के कारण क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है। लोग इस घटना को न केवल धार्मिक आस्था पर हमला मान रहे हैं, बल्कि इसे प्रशासनिक अनियमितता के रूप में भी देख रहे हैं।
*अनुशासनहीनता और इसके परिणाम*
शासन द्वारा जारी किसी भी आदेश का पालन प्रत्येक शासकीय कर्मचारी का कर्तव्य होता है। शासन के निर्देशों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना एक गंभीर अनुशासनहीनता है। ब्रजलाल अहिरवार द्वारा की गई टिप्पणी के कारण उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उन्हें नोटिस जारी करने और स्पष्टीकरण तलब करने की प्रक्रिया शुरू की है। अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग, संतोष जाटव ने स्पष्ट किया कि किसी भी उच्च शिक्षित व्यक्ति, विशेषकर एक प्रभारी प्राचार्य, द्वारा इस प्रकार की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ब्रजलाल अहिरवार द्वारा की गई टिप्पणी न केवल शासन के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि यह शिक्षण संस्थानों में अनुशासन और शासकीय आचरण के मानकों के खिलाफ भी है। इस प्रकार की अनुशासनहीनता के लिए संबंधित व्यक्ति को निलंबित करने की संभावना प्रबल हो गई है।
*सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण*
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में जहां विभिन्न धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं, वहां धार्मिक आस्थाओं का सम्मान और संप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण केवल हिंदू धर्म के आराध्य ही नहीं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उनके प्रति अपमानजनक टिप्पणी करना न केवल हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत करता है, बल्कि इससे संप्रदायिक सौहार्द भी खतरे में पड़ सकता है। ब्रजलाल अहिरवार द्वारा की गई टिप्पणी ने न केवल धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाई है, बल्कि इससे क्षेत्र में सामाजिक असंतोष भी बढ़ा है। लोगों का मानना है कि एक शासकीय अधिकारी द्वारा इस प्रकार की अनुशासनहीनता और धार्मिक असहिष्णुता का प्रदर्शन करना न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज में अस्थिरता और असंतोष का भी कारण बन सकता है।
*प्रशासनिक कार्रवाई और संभावनाएं*
ब्रजलाल अहिरवार के खिलाफ की गई शिकायत के बाद, प्रशासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की योजना बनाई है। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की अनुशासनहीनता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस मामले में ब्रजलाल अहिरवार के खिलाफ निलंबन की संभावना प्रबल है। उन्हें प्रशासनिक अनुशासन के उल्लंघन और धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में निलंबित किया जा सकता है। इसके अलावा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी संभावना है, जिससे उन्हें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करने का पाठ पढ़ाया जा सके।ब्रजलाल अहिरवार द्वारा की गई टिप्पणी न केवल प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज की धार्मिक आस्थाओं और सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाती है। इस प्रकार की अनुशासनहीनता के खिलाफ कठोर कार्रवाई न केवल आवश्यक है, बल्कि यह अन्य शासकीय अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में भी कार्य करेगी। प्रशासन को इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके साथ ही, समाज को भी इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ संगठित और सजग रहना चाहिए ताकि धार्मिक आस्थाओं और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखा जा सके। धार्मिक आस्था और सामाजिक अनुशासन को बनाए रखना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। इस प्रकार की घटनाएं हमारे समाज में एकता, सौहार्द और अनुशासन की महत्वता को और भी स्पष्ट करती हैं।
*प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता*
इस प्रकार की अनुशासनहीनता के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई आवश्यक है ताकि समाज में अनुशासन और धार्मिक आस्था का सम्मान बना रहे। प्रशासन को इस मामले में न केवल निलंबन की कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि इसके साथ ही ब्रजलाल अहिरवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू करनी चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं को भी इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ संगठित और सजग रहना चाहिए ताकि समाज में एकता, सौहार्द और अनुशासन को बनाए रखा जा सके। धार्मिक आस्था और सामाजिक अनुशासन को बनाए रखना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। इस प्रकार की घटनाएं हमारे समाज में एकता, सौहार्द और अनुशासन की महत्वता को और भी स्पष्ट करती हैं। ब्रजलाल अहिरवार के मामले में उठाए गए कदमों से न केवल प्रशासनिक अनुशासन की पुनर्स्थापना होगी, बल्कि इससे समाज में धार्मिक आस्थाओं के प्रति सम्मान और सामाजिक सौहार्द को भी बल मिलेगा। प्रशासन और समाज को मिलकर इस प्रकार की अनुशासनहीनता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और समाज में अनुशासन, एकता और सौहार्द बना रहे।
*ढीमरखेड़ा मण्डल अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी एवं उमरियापान भाजपा मण्डल अध्यक्ष गोविन्द प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री से की शिक़ायत*
क्षेत्र के बहुचर्चित नेता जो अपने कार्यों के लिए क्षेत्र में जाने जाते हैं लोगों की मदद हों या किसी आपत्ति में साथ देने की बात हों सबमें अव्वल रहते हैं लिहाज़ा इसी कड़ी में ढीमरखेड़ा विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य ब्रजलाल अहिरवार के खिलाफ ढीमरखेड़ा मण्डल अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी एवं उमरियापान भाजपा मण्डल अध्यक्ष गोविन्द प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव का दरवाजा खटखटाया है और इस तरह की अभद्र टिप्पणी करने पर प्रभारी प्राचार्य के ऊपर कार्यवाही की मांग की है।
*बजरंग दल ने भी कार्यवाही की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन*
धर्म को लेकर जिस तरह की अभद्र टिप्पणी की गई हैं इसको लेकर बजरंग दल के दिग्गज प्रखंड अध्यक्ष श्रीकांत पटैल मैदान में हैं कार्यवाही को लेकर ज्ञापन सौपा गया है। जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की गई हैं।
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