केंद्रीय बजट से पेंशन की आस लगाए कर्मचारियों में निराशा और आक्रोश
ढीमरखेड़ा | मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के प्रथम बजट से मध्य प्रदेश सहित भारत के उन समस्त शासकीय कर्मचारियों को ढेर सारी आशाएं थीं जो नई पेंशन नीति के जाल में स्वयं को फंसा हुआ समझ रहे हैं। कर्मचारियों को आशा थी कि मोदी सरकार अपने बजट में देश के समस्त शासकीय कर्मचारियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे निर्णय लेगी, जिससे देश के लाखों कर्मचारियों की समस्याओं का अंत हो सके । राज्य शिक्षक संघ के प्रांतीय संघठन मंत्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे कर्मचारी विरोधी बजट बताया। संघठन के विपिन तिवारी,जे पी हल्दकार, विनीत मिश्रा, राजेंद्र दुबे, शिवदास यादव,वैजन्ति यादव,अर्चना मेहरा, ने कहा कि देश की सरकार हो या प्रदेश की सरकार, सरकारों की प्रत्येक योजना के जमीनी क्रियान्वयन में शासकीय कर्मचारी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे कर्मचारी की समस्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज करना सरकार का गैर जिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है। नई पेंशन नीति में व्याप्त कमियो से प्रत्येक शासकीय कर्मचारी विगत कई वर्षों से सरकारों के समक्ष एनपीएस को समाप्त कर OPS बहाली की मांग करता रहा है । लोकसभा चुनाव के पूर्व मोदी सरकार ने एनपीएस की कमियों को दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक कमेटी का गठन किया था जिसने सरकार को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है । विगत दिवस सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरें भी निकल कर सामने आई कि समिति ने एनपीएस में सुधार करते हुए कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर अंतिम कुल वेतन के आधे के बराबर पेंशन देने की अनुशंसा की है और शीघ्र ही सरकार इस पर कोई निर्णय लेगी। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार अपने इस तीसरे कार्यकाल के प्रथम बजट में कमेटी की अनुशंसाओं के अनुरूप कोई ना कोई सकारात्मक कर्मचारी हित में निर्णय लेगी। परंतु अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस मुद्दे को छुआ तक नहीं गया इसकी खबर आते ही संपूर्ण मध्य प्रदेश सहित भारत के समस्त कर्मचारियों में सरकार के प्रति गहरी निराशा और आक्रोश का वातावरण निर्मित हो गया है।
*नई पेंशन नीति और केंद्रीय बजट* शासकीय कर्मचारियों की निराशा
केंद्रीय बजट 2024-25 के प्रस्तुतिकरण के बाद से मध्य प्रदेश सहित भारत के विभिन्न राज्यों के शासकीय कर्मचारियों में निराशा और आक्रोश का माहौल है। यह बजट मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट था और इससे कर्मचारियों को ढेर सारी आशाएं थीं, विशेषकर उन कर्मचारियों को जो नई पेंशन नीति (एनपीएस) के जाल में स्वयं को फंसा हुआ समझ रहे हैं।
*शासकीय कर्मचारियों की अपेक्षाएं*
देशभर के शासकीय कर्मचारी लंबे समय से नई पेंशन नीति की खामियों को उजागर कर रहे हैं और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि इस बजट में सरकार उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेगी। विशेषकर राज्य शिक्षक संघ के प्रांतीय संगठन मंत्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे कर्मचारी विरोधी बजट बताया। संघठन के अन्य सदस्य, जैसे विपिन तिवारी, जे पी हल्दकार, विनीत मिश्रा, राजेंद्र दुबे, शिवदास यादव, वैजन्ती यादव और अर्चना मेहरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए और सरकार के रवैये की आलोचना की।
*एनपीएस की खामियां*
नई पेंशन नीति (एनपीएस) में कई खामियां हैं जिन्हें सुधारने की जरूरत है। शासकीय कर्मचारी लंबे समय से एनपीएस के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं। एनपीएस के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर और पर्याप्त पेंशन नहीं मिलती, जिससे उनके भविष्य की वित्तीय सुरक्षा पर सवाल उठता है।
*सरकार के रवैया पर खड़े हो रहे सवाल*
मोदी सरकार ने एनपीएस की खामियों को दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, जिसमें एनपीएस में सुधार करने और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर अंतिम कुल वेतन के आधे के बराबर पेंशन देने की अनुशंसा की गई थी। लेकिन, बजट भाषण में इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया।
*कर्मचारियों की प्रतिक्रिया*
जैसे ही बजट भाषण समाप्त हुआ और यह स्पष्ट हुआ कि सरकार ने एनपीएस के सुधार के मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, मध्य प्रदेश सहित देश भर के शासकीय कर्मचारियों में गहरी निराशा और आक्रोश का माहौल बन गया। राज्य शिक्षक संघ के प्रांतीय संगठन मंत्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ने इसे कर्मचारी विरोधी बजट बताया और कहा कि सरकार का यह रवैया गैर जिम्मेदाराना है।
*कर्मचारी परेशान कौन हैं जिम्मेदार*
केंद्रीय बजट 2024-25 से शासकीय कर्मचारियों को ढेर सारी आशाएं थीं, विशेषकर उन कर्मचारियों को जो नई पेंशन नीति के तहत परेशान थे। लेकिन, बजट में इस मुद्दे को नजरअंदाज करने से कर्मचारियों में निराशा और आक्रोश का माहौल बन गया है। सरकार के इस रवैये से यह स्पष्ट होता है कि शासकीय कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है।
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