सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

_एनडीए का नेता चुने जाने के बाद भी पी एम पर सस्पेंस बरकरार, भाजपा संसदीय दल ने अभी तक नहीं चुना किसी को भी आधिकारिक तौर पर अपना नेता - फिर कैसे ले पायेंगे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ तीसरी बार_

 *खरी - अखरी* 


_एनडीए का नेता चुने जाने के बाद भी पी एम पर सस्पेंस बरकरार, भाजपा संसदीय दल ने अभी तक नहीं चुना किसी को भी आधिकारिक तौर पर अपना नेता - फिर कैसे ले पायेंगे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ तीसरी बार_



*ताजी खबर मिल रही है कि नरेन्द्र मोदी को एकबार फिर नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) का नेता चुन लिया गया है और उन्होंने राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू को पत्र सौंप कर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने मोदी को सरकार बनाने का न्यौता भी दे दिया है। सबाल यह है कि नरेन्द्र मोदी भले एनडीए के नेता चुन लिए गए हों मगर उन्हें अभी तक भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों ने संसदीय दल की बैठक बुलाकर आधिकारिक तौर पर अपना नेता नहीं चुना है ना ही ऐसी कोई खबर सामने आई है। परम्परागत तौर पर पहले भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों को संसदीय दल की बैठक में नरेन्द्र मोदी को आधिकारिक रूप से अपना नेता चुना जाना चाहिए था उसके बाद ही एनडीए में शामिल घटक दलों की बैठक बुलाकर उसमें मोदी को एनडीए का नेता चुना जाना चाहिए था मगर यहां तो भाजपा के नवनिर्वाचित सांसदों ने मोदी को अपना नेता चुना ही नहीं और एनडीए द्वारा पहले ही नरेन्द्र मोदी को नेता चुनकर उल्टी गंगा बहा दी गई है। कहीं यह नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री पद पर कब्जा करने के लिए नवनिर्वाचित सांसदों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर दबाव बनाने की सोची-समझी चाल तो नहीं है ! क्योंकि जो खबरें मिल रही हैं वो बताती हैं कि आरएसएस नरेन्द्र मोदी से नाराज है और वह आगे नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा हुआ नहीं देखना चाहता है।*


*पहले खबर मिल रही थी कि भाजपा संसदीय दल की बैठक 7 जून शुक्रवार की शाम होगी जिसमें परम्परा का निर्वहन करते हुए आधिकारिक रूप से नेता का चयन किया जायेगा मगर शुक्रवार को ऐसी किसी बैठक होने की बात अभी तक सुनने में नहीं आई है ना ही अभी तक इस बात की खबर है कि भाजपा संसदीय दल की बैठक कब होगी जिसमें भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद आधिकारिक तौर पर अपना नेता चुनेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद संसदीय दल की बैठक में उसी को अपना नेता चुनेंगे जिसके नाम पर संघ ग्रीन सिग्नल देगा और पीएम की कुर्सी पर बैठने के लिए संघ की पहली पसंद नितिन गडकरी को बताया जा रहा है । अगर संसदीय दल की बैठक में नितिन गडकरी को नेता चुन लिया जाता है तो फिर एनडीए द्वारा चुने गए नेता और राष्ट्रपति द्वारा सरकार बनाने के लिए दिया गया न्यौता सब कुछ गुड़ गोबर नहीं हो जायेगा ! फिर नरेन्द्र मोदी कैसे प्रधानमंत्री पद की शपथ लें पायेंगे। जबकि मीडिया खबरें हैं कि नरेन्द्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। राजनीति का ऊंट कब करवट बदलना बंद कर स्थाई रूप से किस करवट बैठेगा दावे के साथ कहना मुश्किल है।*


_भाजपा के खिलाफ नहीं मोदी की अधिनायकवादी प्रवृति के खिलाफ है जनादेश_


*2024 के जनादेश को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों, वरिष्ठ पत्रकारों सहित भाजपा एवं अन्य पार्टी नेताओं के साथ विचार विमर्श करने के बाद जो सारगर्भित निचोड़ सामने आया है  उसके मुताबिक 2024 का यह जनादेश भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सियासी कारकूनी चौकड़ी के खिलाफ आया है। यह जनादेश सामुदायिक नफरत के जहर बोने वालों के खिलाफ आया है। यह जनादेश अर्थ व्यवस्था को कृत्रिम फुगावा देकर उसकी असली चूलें पूरी तरह हिला देने वालों के खिलाफ आया है। यह जनादेश एकाधिकारवादी और अहंकारी प्रवृति के बेरहम नाच के खिलाफ आया है। यह जनादेश लफ्फाजी, जुमलेबाजी, सर्वज्ञाता भाव, अति आत्ममुग्धता के खिलाफ आया है।*


_बेहतर होगा नरेन्द्र खुद को पीएम की दौड़ अलग कर लें वरना पालकी ढोने वाले कहार भी नहीं मिलेंगे_


*सभी का कहना है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपनी हेकड़ अदाओं के चलते भाजपा को 303 से 240 पर लाकर पटक दिया तथा मत प्रतिशत में छदाम भर बढोत्तरी नहीं कर सके। जिससे नरेन्द्र ने प्रधानमंत्री बनने का नैतिक व तकनीकी हक खो दिया है। इसके बावजूद भी अगर नरेन्द्र मोदी 2014 की तरह 2024 में भी प्रधानमंत्री बनने के लिए अड़ते हैं तो उन्हें अपनी पालकी उठाने वाले कहार भी मिलने वाले नहीं हैं। इसलिए नरेन्द्र मोदी के लिए बेहतर होगा कि वे सार्वजनिक इजहार करते हुए प्रधानमंत्री की दौड़ से खुद को अलग कर लें।*


_मार्गदर्शक मंडल में भेजे जायें इससे पहले निकल लें संकरी गली से_


*इससे पहले कि भाजपा के भीतर कुनमुनाहट शुरू हो और संघ अपनी दक्ष: मुद्रा में आये नरेन्द्र भाई कोई संकरी गली तलाश कर निकल लें। वैसे भी वे पिछले दशक भर यही कहते रहे हैं कि मैं तो जब मन करेगा झोला उठाकर फ़करीना अंदाज में निकल लूंगा। वर्तमान में चंद घनघोर लाभार्थियों, अनुचरनुमा हमजोलियों को छोड़कर सभी बेहद सलीके से नरेन्द्र भाई को मार्गदर्शक मंडल में भेजने के लिए आतुर बैठे हैं। इसके बावजूद भी अगर नरेन्द्र मोदी अपने जिद्दीपन को तिलांजलि नहीं देते हैं तो वे देशवासियों के मन से भी तिरस्कृत होगें और भाजपा की अल्पायु योग के कारक भी बनेंगे।*


_चर्चा के दौरान यह बात भी निकल कर आई कि नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के राजनीतिक सफर पर एक आम व्यक्ति जो राजनीति के ककहरा का "क" भी नहीं समझता वह भी इतना तो बता सकता है की आत्ममुग्धता में विलीन यह व्यक्ति प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए अपनी अंतिम सांस तक संघर्ष करेगा और यही इसकी और पार्टी की दुर्गति का कारण भी बनेगी।_


यह कहावत है सच होती दिख रही है - - 

सबसे अच्छा तैराक डूब कर मरता है।

सबसे अच्छा सपेरा सांप के काटने से मरता है।


*अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* 

_स्वतंत्र पत्रकार_

टिप्पणियाँ

popular post

उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं

 उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं ढीमरखेड़ा | उमरियापान क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत हैं लेकिन यहां के लोग अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहरों से गहरे जुड़े हुए हैं। इस विवाह ने न केवल दो परिवारों को एक किया, बल्कि गाँव की सामाजिक स्थिति और सामूहिक उत्सवों की परंपरा को भी उजागर किया। आदित्य और जूही का विवाह एक ऐसे मिलन का प्रतीक था जो भविष्य में गाँव के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया हैं । आदित्य, उमरियापान के सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र हैं। उनके पिता ने गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और आदित्य ने भी उनके आदर्शों का पालन करते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। वह एक मेहनती, ईमानदार, और समर्पित व्यक्ति हैं। वहीं, जूही एक सशक्त और आत्मनिर्भर युवती हैं। उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व ने उन्हें समाज मे...

पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

 पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी ढीमरखेड़ा | पिड़रई की निवासी वकील स्वाति तिवारी का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं। बचपन से लेकर वकालत की शिक्षा पूरी करने तक, स्वाति तिवारी का सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने न केवल उन्हें सफलता दिलाई, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश की है। *संघर्षों से भरा बचपन* स्वाति तिवारी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। उनके पिता जिनकी आय इतनी नहीं थी कि परिवार की सभी जरूरतें पूरी कर सकें। बचपन में स्वाति को पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। किताबो के लिए पैसे जुटाना उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही। लेकिन स्वाति ने कभी हार नहीं मानी। उनके दृढ़ निश्चय और पढ़ाई के प्रति जुनून ने उन्हें अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल रखा। उनके शिक्षकों ने भी उनकी प्रतिभा और मेहनत को पहचाना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की। *शिक्षा और वकालत का सपना* स्वाति को बचप...

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े, बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े,  बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित ढीमरखेड़ा | धीरेंद्र बहादुर सिंह, जो वर्तमान में क्षेत्रीय विधायक हैं, ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने बच्चियों को ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े वितरित किए और उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। उनके इस कदम ने न केवल बच्चियों को सर्दी से राहत दी, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाया। इसके साथ ही, विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने इन बच्चियों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते हुए उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लिया, जो उनके सरल और सच्चे दिल की भावना को दर्शाता है। विधायक ने इस दौरान बच्चियों से कहा कि "मैं विधायक नहीं, बल्कि आपका बड़ा भाई हूं", इस संदेश के साथ उन्होंने बच्चियों को विश्वास दिलाया कि वह हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। उनके इस वक्तव्य ने बच्चियों के दिलों में एक नया आत्मविश्वास भरा और उनके सामने एक नायक का उदाहरण प्रस्तुत किया। व...