सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मुगल की ऊंगली थामे मोदी पहुंचे मुजरा धाम

 *खरी - अखरी* 


मुगल की ऊंगली थामे मोदी पहुंचे मुजरा धाम



*देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग 01 जून को होगी और चुनावी नतीजे 04 जून को आ जायेंगे जो तय कर देंगे की कौन सा गठबंधन दिल्ली की गद्दी पर बैठकर राज करेगा ।*


*2024 का चुनाव पी एम नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को लेकर कई मायनों में याद रखा जायेगा। आजाद भारत के इतिहास में नरेन्द्र मोदी अकेले ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में याद रखे जायेंगे जिनने अपने चुनावी भाषणों में बड़ी बेदर्दी - बेशर्मी के साथ शाब्दिक मर्यादाओं का बलात्कार किया है। जितने ज्यादा निम्नस्तरीय मीम पीएम नरेन्द्र मोदी के बने आज तक किसी पीएम के नहीं बने होंगे । दिल्ली की गद्दी तक का सफर तय करने में कई तरह के आये पडाव भी याद रखे जायेंगे। जैसे सेवक (2014), चौकीदार (2019) और भगवान (2024)। वैसे भारतीय इतिहास बताता है कि हर युग में किसी न किसी को खुद के भगवान होने का भरम हुआ है जैसे सतयुग में हिरण्यकशिपु, त्रेतायुग में दशग्रीव रावण, द्वापर युग में कंस को।* 


*वर्तमान चुनाव में देशवासियों की निजी जिंदगी से हररोज दो-चार होती रोजमर्रा की जरुरतों पर बात करने से दूरी बनाते हुए पीएम मोदी के भाषणों के केन्द्र में सबसे ज्यादा हिन्दी का "म" अक्षर ही रहा है। पीए नरेन्द्र मोदी द्वारा सात चरणीय चुनाव के पहले चरण में ही "म" का मतलब "मुगल" समझाने से शुरू हुआ अध्यापकीय कार्य मटन, मछली से होता हुआ मंगलसूत्र तक पहुंचा। "म" का मतलब यही पर रुक जाता तब तक भी ठीक होता मगर अपनी आदत से मजबूर मोदी कहां रुकने वाले थे। लगता है मुगल से मंगलसूत्र तक को वोटों के कबाडने में बेअसर समझते हुए ही मोदी ने अंतिम चरण की अंतिम बाजी चलते हुए "म" का मतलब "मुजरा" होता है देशवासियों को बताया। चलिए मोदी के द्वारा बताये गये "म" के सभी मायने सही हैं मगर सवाल है कि मोदी ने देशवासियों को "म" का मतलब "मणिपुर" और "मर्यादा" भी होता है यह क्यों नहीं बताया ? क्या मोदी की बौद्धिक क्षमता के अनुसार "ग" का मतलब केवल "गदहा" ही होता है "गणेश" नहीं ? पत्रकारिता की दुनिया में कहा जाता है कि मोदी से ज्यादा महान तो मुजरा कर्मियों को मात देने वाले देश के स्ट्रीम मीडिया की एंकर-एंकरियां हैं जिन्हें मोदी द्वारा बताये गये "म" का मतलब जयघोष और विपक्षियों द्वारा कहे गए  "च" (चमचा-चमची) का मायने हाहाकार समझ आता है।*


*जिस पृष्ठभूमि से पीएम नरेन्द्र मोदी आते हैं उसका इतिहास बताता है कि उसके अनुयायियों को तो इतिहास को तोड़-मरोड़ कर (अर्ध सत्य) बताने का भरपूर नशा है। हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी ने पंजाब में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पंजाबियों से खून का रिश्ता जोड़ते हुए यहां तक कह दिया कि गुरु गोविंद सिंह के पहले पंच प्यारों में से एक उनके चाचा थे। भाई फेंकने की भी "हद" होती है मगर मोदी तो "बेहद" फेंक रहे हैं। "म" का मतलब "मुजरा" और "त" का मतलब "तवायफ" दोनों के पूरक संबंधों के साथ ही मोदी कुछ इतिहास के पन्नों को पलटकर उसके भीतर भी झांक लेते तो उन्हें ज्ञात हो जाता है कि हुस्ना बाई, अज़ीज़न बाई, गौहर जान, विद्या बाई, बरीशाल जैसी तवायफों के नाम भी दर्ज हैं। कहा जाता है कि उनमें भारत माता की जीवंत शक्ल भी मौजूद थीं, साथ ही इस बात से भी अवगत हो जाते कि दुर्गा पूजा के समय बनाई जाने वाली माॅं दुर्गा की मूर्ति की माटी में इनके घरों की देहरी वाली मिट्टी मिलाई जाती है।*


*मोदी को यह भी मालूम होना चाहिए कि मुजरा केवल औरत ही नहीं करती न ही मुजरा केवल कोठे पर होता है। मुजरा पुरुष और औरत-पुरुष के बीच आने वाले भी साहबों के सामने दरबार में करते हैं। मोदी के मुजरे वाले बयान को लेकर सोशल मीडिया में लोग अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यहां तक कहने लगे हैं कि मोदी अपनी पार्टी के उन पुरातन पुरखों पर भी नजरें इनायत करें जिनने अंग्रेजों के सामने मुजरा किया था और कुछ तो आज भी आपके दरबार में कर रहे हैं।*


*चुनाव के अंतिम चरण में भी अर्थव्यवस्था, कृषि और कानून, भृष्टाचार - मित्रवाद, चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक सद्भाव, सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक संस्थायें, जन कल्याणी योजनाएं, करोना मिसमेनेजमेंट की चर्चाएं गदहे के सींग माफिक नदारत हैं। अर्थव्यवस्था -- मंहगाई - बेरोजगारी आसमान पर है । अमीर - अमीर और गरीब - गरीब होते चले गए हैं । एक तरफ देश को विश्व में पांचवी से तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही जा रही है तो दूसरी तरफ 80 करोड़ लोग सरकारी मुफ्त अनाज पर अपने परिवार का पेट भरने के लिए अभिशप्त हैं । अजीब विडंबना है कि जिस बात को लेकर पीएम को शर्मसार होना चाहिए उसे छाती पीट कर अपनी पीठ ठोंक रहे हैं। कृषि और कानून -- किसानों की आय दुगनी करने का वादा आज तक पूरा नहीं किया गया है। एमएसपी की कोई गारंटी नहीं हैं । तथाकथित काले कृषि कानून रद्द करते समय किसान संगठनों के साथ हुए समझौते भी अभी तक लागू नहीं हुए हैं । भृष्टाचार - मित्रवाद -- मोदी द्वारा भृष्टाचार खत्म करने की बातें जुमलाई -हवा-हवाई ही साबित हुई है । विपक्षी दलों के तकरीबन 90 फीसदी भृष्टाचारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं और उनकी भृष्टाचारी फाइलें कब्र में दफना दिये जाने की खबरें हैं। खुद के भृष्टाचारियों की गिनती तो अलग ही है ।*


*चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा -- लम्बे समय से देखा जा रहा है कि चीन को लाल आंखें दिखाने का दंभ भरने वाली आंखों को ही हो गया है ग्लूकोज़मा ! भारतीय जमीन पर कब्जा किए बैठा है चीन और चीन का नाम लेने के पहले ही 56 इंची सीने वाले के हलक में अटक जाती है सांसें । सामाजिक सद्भाव -- चुनावी फायदे के लिए जानबूझकर बंटवारे को दी जा रही है हवा और बनाया जा रहा है समाज में डर का माहौल। सामाजिक न्याय -- महिलाओं, दलितों, एससी - एसटी - ओबीसी और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर प्रधानमंत्री की रहस्यमयी खामोशी देशवासियों को डरा रही है । जातिगत जनगणना की मांग पर भाजपाई सरकार द्वारा की जा रही है नजरअंदाजी। लोकतांत्रिक संस्थाएं -- देखने में आता है कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक संस्थाओं को लगातार किया जा रहा है कमजोर। लोकतांत्रिक संस्थाओं का उपयोग केवल विपक्षियों को निपटाने के लिए हो रहा है । जनकल्याणी योजनाएं -- कहा जा रहा है कि मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं को बजट में कटौती कर लकवाग्रस्त बनाया गया है । जिससे गरीब, आदिवासी और अन्य जरूरतमंदों के सपने हो गए हैं चकनाचूर। करोना मिसमेनेजमेंट -- करोना काल में लगभग 40 लाख लोग हुए थे कालकलवित। उनके परिजनों को मुआवजा देने से भी कर दिया गया इंकार। अचानक तालाबंदी करके लाखों कामगारों को सैकड़ों मील का सफर पैदल तय कर गृहनगर जाने के लिए किया गया था मजबूर। इतना ही नहीं सरकार ने सभी को छोड़ दिया था बेहाली में।*


*चुनाव के आखिरी चरण में गत दिवस ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया एलायंस पर वही आरोप लगाये हैं जो चुनाव की शुरुआत से ही विपक्षी और इंडिया एलायंस मोदीमयी भाजपा पर लगाता आ रहा है। साम्प्रदायिक, जातिवादी, परिवारवादी है विपक्षी गठबंधन। संविधान बदल देगा इंडिया गठबंधन।* 


*पिछले दस सालों में एक भी प्रेस कांफ्रेंस न करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इन दिनों चुनाव की अंतिम पारी में कुछ चुनिंदा टीवी चैनलों को इंटरव्यू दिये जा रहे हैं। इस पर वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम दावे के साथ ट्यूट करते हुए कहते हैं कि खासतौर पर न्यूज चैनल "आजतक, न्यूज 9, न्यूज 18, नवभारत टाइम्स नाऊ" को दिए गए इंटरव्यू की रिकार्डिंग पीएमओ के सेट के जरिए हुई है। जिसमें कैमरा, लाइट, साउंड, एडिटिंग, प्रोमो टीजर सब कुछ पीएमओ का था। अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अंजुम ने यहां तक कह दिया कि "DANCE OF DEMOCRACY" को बना दिया गया "भीड़तंत्र का नंगा नाच"।*


*अश्वनी बडगैया अधिवक्ता* 

_स्वतंत्र पत्रकार_

टिप्पणियाँ

popular post

पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को

 पुलिस कर्मचारी अवध दुबे जीता जागता बब्बर शेर, जिसके चलते ही अनेकों अपराधी कांपते हैं, जहां - जहां पदस्थ रहे अवध दुबे अपराधियों को छोड़ा नहीं, किया ऐसी कार्यवाही कि आज भी याद करते हैं अपराधी अवध दुबे को  ढीमरखेड़ा | अवध दुबे, एक पुलिस कर्मचारी, अपने साहस, निष्ठा और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की है, जो कभी भी किसी भी तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं करते हैं। पुलिस बल में उनके कार्यों ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई है, और उनकी उपस्थिति मात्र से अपराधी थर-थर कांपने लगते हैं। अवध दुबे ने जिस भी थाने में अपनी सेवाएँ दी हैं, वहां अपराध की दर में न केवल गिरावट आई है, बल्कि आम लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ी है।अवध दुबे का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, जहाँ से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। बचपन से ही उनमें न्याय और ईमानदारी के प्रति एक विशेष प्रकार का झुकाव था। उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद पुलिस सेवा में भर्ती होने का निर्णय लिया। उनके जीवन का यह फैसला उनके परिवार और समाज के प्रति उनके दायित्व को महसूस कर

ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम

 ढीमरखेड़ा सरपंच फोरम ने डॉक्टर अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण निरस्त करने को लेकर कलेक्टर को लिखा पत्र, अपने नायक के पक्ष में सरपंच फ़ोरम ढीमरखेड़ा |  सरपंच फ़ोरम के अध्यक्ष महेश कुमार यादव, उपाध्यक्ष संकेत लोनी, सचिव दीनू सिंह ठाकुर एवं ढीमरखेड़ा जनपद के समस्त सरपंचों ने मिलकर कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया, जिसमें डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण को तत्काल निरस्त करने की मांग की गई है। सरपंच फ़ोरम का मानना है कि डॉक्टर अजीत सिंह एक ईमानदार, जिम्मेदार और मिलनसार अधिकारी हैं जिन्होंने न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बरती है, बल्कि ग्रामीण जनता के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को सुलझाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। फ़ोरम का कहना है कि डॉक्टर अजीत सिंह के स्थानांतरण से ढीमरखेड़ा क्षेत्र के विकास कार्यों में अवरोध पैदा हो सकता है, क्योंकि उन्होंने अनेक ऐसे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की थी, जिन्हें पूरा करने में समय और प्रशासनिक अनुभव की आवश्यकता है। उनके स्थानांतरण से इन कार्यों की गति धीमी हो सकती है, और साथ ही, क्षेत्र की जनता को भी नुकसान हो सकता है, जो उनकी सेवाओं से काफी संतुष्ट थी। फ़ो

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने जनपद ढीमरखेड़ा के एपीओ अजीत सिंह परिहार के स्थानांतरण को निरस्त करने को लेकर मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला कटनी को लिखा पत्र , विधायक का पत्र नहीं विधायक के पत्र के रुप में भाजपा की प्रतिष्ठा लगी दांव पर ढीमरखेड़ा |  विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा अजीत सिंह परिहार, एपीओ (असिस्टेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर) जनपद ढीमरखेड़ा के स्थानांतरण को निरस्त करने के लिए लिखा गया पत्र, क्षेत्रीय राजनीति और प्रशासनिक कार्यप्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है। विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह का कहना है कि अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण बिना किसी ठोस कारण के ढीमरखेड़ा से कर दिया गया है, जबकि उनकी कार्यप्रणाली अच्छी रही है और उन्हें क्षेत्र के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। इस संदर्भ में, विधायक ने जिला कटनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर यह मांग की है कि स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच संबंध किसी भी क्षेत्र में प्रशासनिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। अजीत सिंह परिहार का स्थानांतरण