जिम्मेदारों ने मूंद रखी है आँख, शायद किसी बड़ी घटना का कर रहे इंतजार, धड़ल्ले से हो रहा प्रतिबंधित दवाइयों का व्यापार
मनमानी
जिम्मेदारों ने मूंद रखी है आँख, शायद किसी बड़ी घटना का कर रहे इंतजार, धड़ल्ले से हो रहा प्रतिबंधित दवाइयों का व्यापार
ढीमरखेड़ा । तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा में कुछ ऐसी दवाइयां है जिसका उपयोग असामाजिक तत्व के लोग नशे के लिए करते हैं, इन दवाइयों को डॉक्टर के प्रिस्किप्शन पर ही लोगों को देना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा मेडिकल स्टोर्स वाले नकली और नशीली दवाइयां भी बेच रहे हैं। ग्रामीण अंचल में भी बेधड़क नशीली दवा एवं मादक पदार्थों का व्यापार धड़ल्ले से हो रहा है। इसकी शिकायत जिम्मेदारों से कई बार ग्रामीणों ने की बावजूद आज तक कोई कार्रवाही नहीं हुई है। इस नशीली दवा एवं मादक पदार्थों के जाल में ग्रामीण फंस गये हैं। इस समस्या की शिकायत कई बार जिम्मेदारों से की गई लेकिन आज तक कोई कार्रवाही नहीं हुई।
*मेडिकल स्टोर्स से होता नशीली दवा का विक्रय*
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्रामीण इलाको में स्थित मेडिकल स्टोर्स से नशीली दवाओं का बेधड़क विक्रय हो रहा है। कई बार जिम्मेदारों से ग्रामीणों ने शिकायत की बावजूद आज तक कोई कार्रवाही नहीं हुई। आरोप है कि मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप कोरेक्स के अलावा नशीली टेबलेट का भी व्यापार धड़ल्ले से हो रहा है। मेडिकल स्टोर्स से नशीली दवाओं को गांव तक पहुंचाया जाता है। जिस पर अंकुश लगाने के लिए कई बार जिम्मेदारों से कहा गया लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
*निर्धारित गाइड लाइन का नहीं हो रहा पालन*
तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा में कई मेडिकल स्टोर्स संचालक शासन द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। नियम विरूद्ध तरीके से मेडिकल स्टोर्स संचालित करने वाले संचालकों को जिम्मेदार विभाग का खुला संरक्षण मिला हुआ है। यही कारण है कि धड़ल्ले से अवैध तरीके से काम हो रहा और औषधि प्रशासन विभाग अपने कार्यालय तक ही सिमटा हुआ है। अफसर इस अवैध कारोबार को मौन स्वीकृति दिए हुए हैं, यही कारण है कि अफसर मेडिकल स्टोर्स की ओर झांकते तक नहीं।
*नशीले पदार्थों का हो रहा व्यापार*
ग्रामीणों ने बताया है कि नशीली दवा के साथ मादक पदार्थों का भी बेधड़क विक्रय हो रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र में अनेकों प्रकार की दवाइयों का भी विक्रय हो रहा है लेकिन जिम्मेदार ना जांच कर रहे और ना ही कार्यवाही कर रहे हैं बल्कि इनको अपना संरक्षण जरूर दे रहे हैं।
*ज्यादा कीमतों में मिल रही दवाइयां मरीज परेशान*
जिला मुख्यालय से लेकर तहसील और जिलेभर के हर छोटे-बड़े कस्बों में मेडिकल स्टोर्स की भरमार है ग्रामीण क्षेत्र में संचालित मेडिकल स्टोर्स नियमों का पालन ना करते हुए डॉक्टरों के पर्चे के बिना लोगों को दवाइयां दे रहे हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में मेडिकल स्टोर्स संचालित करने वाले ज्यादातर लोगों के पास बी-फार्मा की डिग्री और रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। गिने-चुने मेडिकल स्टोर्स संचालकों के पास मेडिकल के रजिस्ट्रेशन और बी-फार्मा की डिग्री है।
*अधिकारियों का मौन रवैया संदेह के घेरे में*
उमरियापान, ढीमरखेड़ा, मुरवारी, खमतरा से लेकर ग्रामीण इलाकों में मेडिकल संचालित करने वाले कई दुकानदारों के पास मेडिकल स्टोर्स का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। कुछ ऐसे हैं, जिनके पास फार्मासिस्ट तक नहीं है। ऐसे लोगों को भी औषधि प्रशासन का छूट मिला हुआ है। शिकायत के बाद भी अधिकारी जांच नहीं कर रहे। कार्यालय में बैठकर ही मामले में सेटेलमेंट का खेल चल रहा है। ऐसा कब तक चलता रहेगा, या फिर जिम्मेदारों को किसी बड़ी घटना का इंतजार है।
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