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न एंबुलेंस मिली न मिला स्ट्रेचर , ठेला-रिक्शा में मजदूर पहुंचा ओपीडी तक, गारंटियों से लदे श्रमिक का फिर शुरू हुआ ईलाज

 न एंबुलेंस मिली न मिला स्ट्रेचर , ठेला-रिक्शा में मजदूर पहुंचा ओपीडी तक, गारंटियों से लदे श्रमिक का फिर शुरू हुआ ईलाज



 कटनी। मोदी भाई की गारंटियों वाला भारत 2047 तक पूर्ण विकसित होने वाले पथ पर बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, इसके साक्षात दर्शन श्री हनुमान जयंती पर्व पर प्रात:काल जिला स्वास्थ्य केन्द्र में मिले जब रथ पर सवार होकर एक मजदूर वहां उपचार कराने पहुंचा। वह ओपीडी तक ठेला रथ पर बिठाकर लाया गया, जहां गारंटी वाला उपचार उसे दिया गया। विश्व की टॉप फाइव आर्थिक महाशक्ति वाले राष्ट्र का प्रतिनिधी मजदूर नागरिक का कहना था कि उसने अस्पताल आने के लिए एंबुलेंस सेवा में डायल किया तो डायर 108 ने बताया कि उसकी तरह के मरीज को इस सेवा का लाभ नहीं मिल पाएगा। खिरहनी फाटक निवासी मरीज श्यामलाल के पैर में तकलीफ थी और आटो रिक्शा में बैठ नहीं पा रहा था इसलिए बेचारा फ्री एंबुलेंस सर्विस से मदद मांग बैठा। लेकिन श्रमिक वर्ग भी बड़ा जुगाडू होता है मजदूर के मोहल्ले में एक श्रमिक सामान ढोने वाला ठेला रिक्शा चलाकर आर्थिक प्रगति कर रहा था। उसने अपना ठेला रिक्शा उठाया और उस पर मरीज नामक जिन्दा-समान को अधलेटा करके रख दिया गया। ठेला-रिक्शा पर लदा मजदूर अस्पताल आ गया। मोदी की गारंटी का दूसरा चरण और अधिक दर्शनीय था। मरीज को ठेले से उतारकर ओपीडी तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर-सर्विस नहीं मिली।स्ट्रेचर-आफिसर की सेवा प्राप्त करने में समय खर्च होने लगा तो मजदूर मरीज के परिजन ठेला पर लदे मजदूर को ओपीडी के सामने तक ले आए, उतारकर मरीज को ओपीडी में ले गए, जहां स्वास्थ्य की गारंटी काम आने लगी, उपचार होने लगा।

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