सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

उचित मूल्य दुकान टोला में सेल्समैन सोहन पाण्डेय के द्वारा राशन में की जाती हैं हेरा - फेरी

 उचित मूल्य दुकान टोला में सेल्समैन सोहन पाण्डेय के द्वारा राशन में की जाती हैं हेरा - फेरी



उमरियापान | उचित मूल्य दुकान टोला  में काला बाजारी का खेल किया जाता हैं। जो शिकायतकर्ता होता हैं उसको एक कट्टी राशन देकर मना लिया जाता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। लेखा - जोखा में भी जमकर गड़बड़ी की जाती हैं। जिस बालक को राशन बाटने के लिए भेजा जाता हैं उसको बात करने का भी लहजा नही हैं गरीब तबके के लोग राशन लेने आते हैं तो सोहन पाण्डेय का पुत्र रौब झाड़ते हुए नजर आता हैं। स्मरण रहे कि सोहन पाण्डेय के द्वारा राशन तो बाटा ही नही जाता हैं पुत्र राशन बाटने आता हैं तो सोहन पाण्डेय को टोला दुकान की गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसी तारतम्य में सोहन पाण्डेय के द्वारा ना नमक दिया जाता और ना ही शक्कर का वितरण किया जाता हैं। राशन वितरण के उपरांत अंतिम समय में लोग गेहूं को खरीदने आते हैं तो सोहन पाण्डेय के द्वारा राशन को बेच दिया जाता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया।

*पुत्र के पास बात करने का लहजा नहीं, गरीब तबके के हितग्राही परेशान*

जहां पिता को महारथ हासिल हों वहां पुत्र को पद में पदस्थ करना कोई बड़ी बात नहीं है। यह कोई कहानी नहीं वरन यह हकीकत हैं ऐसा सोहन पाण्डेय के द्वारा किया गया है, सोहन पाण्डेय को विभाग के विषय में समस्त जानकारी हैं इसी विषय को ध्यान में रखते हुए विभागीय अधिकारियों की साठ - गांठ से पुत्र को सहायक के पद में पदस्थ कर दिया गया। कुछ समय उपरांत सेल्समैन के पद में पदस्थ कर दिया जायेगा क्यूंकि विभागीय अनुभव प्रमाण पत्र सेल्समैन का बना दिया जायेगा। बहरहाल सहकारिता विभाग में सोहन पाण्डेय जैसे महारथी हो तो कुछ भी संभव हैं, ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। स्मरण रहे कि जब तक सोहन पाण्डेय अपने पद से रिटायर हों जाएंगे तब तक पुत्र को पद में पदस्थ कर देगे ताकि यह क्रम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे।

*कोरोना काल में गायब करके स्लिक को किया पूरा*

 सहकारिता विभाग में जिसको मौका मिलता है वो राशन आहरित करने से पीछे नहीं हटता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। सोहन पाण्डेय जिस - जिस दुकान में रहे जमकर सुर्खियां बटोरी जब एक दुकान की जांच बैठी तो सोहन पाण्डेय का स्वास्थ्य ज्यादा खराब हो गया तो अधिकारी भी अचंभा में पड़ गया कि जांच के नाम पर सोहन पाण्डेय का स्वास्थ्य खराब हों गया अधिकारी भी डर गया और जांच फिर नहीं की गई विभागीय साठ - गांठ से सारा मामला रफा- दफा कर दिया गया, ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया अब सोचा जा सकता है कि जो राशन को आहरित किया होगा वही जांच से डरेगा। स्मरण रहे कि जिन दुकानों की कमान संभाली वहां - वहां राशन आहरित कर लिया गया और उसके बाद कोरोना का समय अच्छा मिल गया तो सोहन पाण्डेय ने एक - एक माह का राशन आहरित करके स्लिग को पूरा कर लिया और जांच से बच गए। इस तरह की विभागीय महारथ हासिल है सोहन पाण्डेय को इन्ही सब विभागीय घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है।

*नौ हजार के भुगतान वाला बना लखपति*

स्मरण रहे कि सोहन पाण्डेय नौ हजार रूपए की नौकरी कर रहा हैं फिर इसके पास इतनी संपत्ति आई कहां से ये जांच का विषय हैं। जमीनी हकीकत से रूबरू अगर हो तो सोहन पाण्डेय के पास इतनी संपत्ति नही थी चन्द दिनो के अंदर ये लखपति बन गए जिसमें बड़ा आश्चर्य होता हैं। अभी बैंक बैलेंस और अन्य गोपनीय जानकारी इनके विषय में नहीं जुटाई गई अगर इनकी उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो इनके कारनामों से पर्दा उठेगा।

टिप्पणियाँ

popular post

उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं

 उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं ढीमरखेड़ा | उमरियापान क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत हैं लेकिन यहां के लोग अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहरों से गहरे जुड़े हुए हैं। इस विवाह ने न केवल दो परिवारों को एक किया, बल्कि गाँव की सामाजिक स्थिति और सामूहिक उत्सवों की परंपरा को भी उजागर किया। आदित्य और जूही का विवाह एक ऐसे मिलन का प्रतीक था जो भविष्य में गाँव के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया हैं । आदित्य, उमरियापान के सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र हैं। उनके पिता ने गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और आदित्य ने भी उनके आदर्शों का पालन करते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। वह एक मेहनती, ईमानदार, और समर्पित व्यक्ति हैं। वहीं, जूही एक सशक्त और आत्मनिर्भर युवती हैं। उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व ने उन्हें समाज मे...

पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

 पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी ढीमरखेड़ा | पिड़रई की निवासी वकील स्वाति तिवारी का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं। बचपन से लेकर वकालत की शिक्षा पूरी करने तक, स्वाति तिवारी का सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने न केवल उन्हें सफलता दिलाई, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश की है। *संघर्षों से भरा बचपन* स्वाति तिवारी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। उनके पिता जिनकी आय इतनी नहीं थी कि परिवार की सभी जरूरतें पूरी कर सकें। बचपन में स्वाति को पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। किताबो के लिए पैसे जुटाना उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही। लेकिन स्वाति ने कभी हार नहीं मानी। उनके दृढ़ निश्चय और पढ़ाई के प्रति जुनून ने उन्हें अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल रखा। उनके शिक्षकों ने भी उनकी प्रतिभा और मेहनत को पहचाना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की। *शिक्षा और वकालत का सपना* स्वाति को बचप...

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े, बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े,  बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित ढीमरखेड़ा | धीरेंद्र बहादुर सिंह, जो वर्तमान में क्षेत्रीय विधायक हैं, ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने बच्चियों को ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े वितरित किए और उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। उनके इस कदम ने न केवल बच्चियों को सर्दी से राहत दी, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाया। इसके साथ ही, विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने इन बच्चियों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते हुए उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लिया, जो उनके सरल और सच्चे दिल की भावना को दर्शाता है। विधायक ने इस दौरान बच्चियों से कहा कि "मैं विधायक नहीं, बल्कि आपका बड़ा भाई हूं", इस संदेश के साथ उन्होंने बच्चियों को विश्वास दिलाया कि वह हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। उनके इस वक्तव्य ने बच्चियों के दिलों में एक नया आत्मविश्वास भरा और उनके सामने एक नायक का उदाहरण प्रस्तुत किया। व...