लोकसभा चुनाव हों सकता हैं प्रभावित, कलेक्टर के स्थानांतरण आदेश को ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी स्थाईकर्मी दिखा रहे धत्ता, स्थानांतरण आदेश बना मज़ाक बिना चढ़ोत्तरी के नहीं होता काम, तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी का मामला*ढीमरखेड़ा स्थाईकर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाईकर्मी प्रमोद चंपुरिया अंगद के पैर की तरह जमे कलेक्टर के स्थानांतरण आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
लोकसभा चुनाव हों सकता हैं प्रभावित, कलेक्टर के स्थानांतरण आदेश को ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी स्थाईकर्मी दिखा रहे धत्ता, स्थानांतरण आदेश बना मज़ाक
बिना चढ़ोत्तरी के नहीं होता काम, तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी का मामला*ढीमरखेड़ा स्थाईकर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाईकर्मी प्रमोद चंपुरिया अंगद के पैर की तरह जमे कलेक्टर के स्थानांतरण आदेश की उड़ा रहे धज्जियां
ढीमरखेड़ा | नोट ले आओ आपका काम बहुत जल्द कर दिया जाएगा जो नियम में नही हैं वह भी कार्य हों जाएगा बस नोटों का वजन ज्यादा बढ़ा देना ये चंद पक्तियां बयां करती हैं ढीमरखेड़ा स्थाईकर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाईकर्मी प्रमोद चंपुरिया को। तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा में इन दिनों बिना नोट दिए कोई कार्य नहीं किए जाते इसका ताज़ा उदाहरण अभी कुछ दिन पहले का हैं नोटो के कारण इतना विवाद हों गया कि बात उच्च - अधिकारियों तक पहुंच गई लेकिन इनके ऊपर कार्यवाही नहीं बल्कि अधिकारियों की कृपा बरस रही हैं। किसी भी कर्मचारी पर यदि बड़े साहब का हाथ हो तो उस पर किसी तरह के कोई नियम लागू नहीं होते हैं और जिस कर्मचारी पर यदि साहब की कृपा नहीं बरस रही तो उस पर तत्काल नियम लागू हो जाते हैं। लंबे समय से पदस्थ ढीमरखेड़ा स्थाईकर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाईकर्मी प्रमोद चंपुरिया होने के कारण विभाग की गोपनीय बातों को जानकर विभाग के अंदर जमकर मलाई काट रहे हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। शासन के नियमानुसार 3 वर्ष से अधिक समय होने के बाद स्थानांतरण का प्रावधान हैं लेकिन ऐसा जान पड़ता हैं जैसे स्थाई - कर्मियों के लिए कोई नियम ही नहीं हैं। एक बार पदस्थ होने के बाद अपनी कुर्सी छोड़ी ही नहीं जाती। स्मरण रहे इनका स्थानांतरण हो जाने के बाद भी कलेक्टर के आदेश को धत्ता दिखा रहे हैं। स्थानांतरण आदेश को धत्ता दिखाने का खामियाजा चुनाव आयोग को भुगतना पड़ सकता हैं। विदित हों कि तहसील के विभागीय कामों में स्थाई - कर्मियों का अहम रोल होता हैं। फाइल भी इन्ही की मेहरबानी से उच्च - अधिकारियों तक पहुंचती हैं और अगर उसमें लक्ष्मी का वजन ना हो तो फाइल भी साहब की मेहरबानी से अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती हैं। अगर इसी तरह का कार्य तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी मे चलता रहा तो शांत और सीधे - साधे लोग शिकार होते रहेंगे।
*तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी में बिना लक्ष्मी के नहीं बढ़ती फाइल*
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा में पदस्थ स्थाईकर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाईकर्मी प्रमोद चंपुरिया के द्वारा बिना रिश्वत के काम नहीं किया जाता। कुछ कर्मचारियों के द्वारा बताया गया कि अवधेश सिंह ठाकुर, प्रमोद चंपुरिया के द्वारा बिना रिश्वत के कोई भी काम नहीं किया जाता हैं और तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी में किसान अपना कार्य कराने आते हैं तो स्थाई - कर्मियो अवधेश सिंह ठाकुर, प्रमोद चंपुरिया को पैसा देना पड़ता हैं। आगे सूत्रों ने यह भी बताया कि अवधेश सिंह ठाकुर, प्रमोद चंपुरिया के द्वारा राजस्व के कामों में जमकर लेन - देन किया जाता हैं और जो कर्मचारी अवधेश सिंह ठाकुर, प्रमोद चंपुरिया को रिश्वत नहीं देता तो उनके प्रकरणों का निपटारा नहीं किया जाता हैं और अवधेश सिंह ठाकुर, प्रमोद चंपुरिया के द्वारा नियमों की झड़ी लगा दी जाती हैं जिससे परेशान होकर संबंधित कर्मचारी रिश्वत देने के लिए मजबूर हों जाता हैं।
*लोकसभा चुनाव हों सकता हैं प्रभावित स्थाई - कर्मियो का नहीं हों रहा स्थानांतरण*
सूत्रों ने बताया कि ढीमरखेड़ा स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाई - कर्मी प्रमोद चंपुरिया की पदस्थापना तहसील ऑफिस ढीमरखेड़ा और सिलौड़ी में हुई थीं तब से यहां लम्बे अरसे से स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर और प्रमोद चंपुरिया यही पदस्थ हैं। इस बीच चुनाव आयोग द्वारा कई चुनाव संपन्न करवाये गए और हर चुनाव के पहले इस संबंध में संबंधित विभाग प्रमुख से यह जानकारी मांगी जाती हैं कि कोई भी कर्मचारी या अधिकारी तीन वर्ष से ज्यादा समय से एक ही स्थान पर पदस्थ हों तो इस संबंध में अवगत कराकर उसे अन्यंत्र पदस्थ किया जावे स्मरण रहे कि ढीमरखेड़ा स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाई - कर्मी प्रमोद चंपुरिया लंबे समय से एक स्थान पर पदस्थ ढीमरखेड़ा स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर, सिलौड़ी स्थाई - कर्मी प्रमोद चंपुरिया को अन्यंत्र पदस्थ क्यों नहीं किया जाता हैं क्या इस संबंध में विभाग प्रमुख द्वारा यह जानकारी छिपाई जाती हैं कि लंबे समय से यहां पर पदस्थ हैं या फिर चुनाव आयोग को भी अंधेरे में रखा जाता हैं।
*कलेक्टर का आदेश बना दिखावा*
आदेश क्रमांक 12704 के तहत सिलौड़ी स्थाई - कर्मी प्रमोद चंपुरिया का स्थानांतरण ढीमरखेड़ा तो ढीमरखेड़ा स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर का स्थानांतरण सिलौड़ी कर दिया गया हैं। लिहाज़ा इनको कुर्सी से मोह इतना हैं कि कुर्सी नहीं छोड़ी जा रही हैं। जो कि यह आदेश कलेक्टर अवि प्रसाद के द्वारा 01.12.2023 को आदेशित किया जा चुका हैं जिसमें अनुविभागीय अधिकारी ढीमरखेड़ा के द्वारा 27.02.2024 को स्थानांतरण पर मुहर लगाई गई लेकिन सारे नियमों को ताक में रखकर सिलौड़ी स्थाई - कर्मी प्रमोद चंपुरिया, ढीमरखेड़ा स्थाई - कर्मी अवधेश सिंह ठाकुर के द्वारा कार्य किया जा रहा है।
*किसान और पटवारी इनके कार्यों से बेहद परेशान हैं*
जहां अन्न - दाता मेहनत करके अपना अनाज उगाकर तो कहीं भगवान का डंडा तो कहीं प्रशासन का डंडा चलता रहता हैं। अगर राजस्व का कोई भी कार्य कराना हो तो आपकी पहुंच अगर बहुत उच्च - स्तर की हैं तो कार्य हों पाएंगे नहीं तो आपके कार्य नहीं हो पाएंगे। जल्द कार्य कराने है तो रिश्वत देनी होगी। बिना रिश्वत के कोई कार्य नहीं होता। यहां तक कि पटवारी भी इनकी कार्य - प्रणाली से त्रस्त हैं। अब सोचा जा सकता हैं कि जब इनकी कार्य - प्रणाली से पटवारी त्रस्त हैं तो किसानों के क्या हाल हुए होगे। नोटों के कारण ही एक पटवारी से विवाद इतना हों गया कि लग रहा था कि क्या होने वाला है तब आनन - फानन में दूसरे कर्मचारियों के द्वारा पहुंचकर मामला को संभाला गया अब सोचा जा सकता हैं कि इस तरह का रवैया किस तरह से अच्छा हैं। उच्च - अधिकारियों के ऑफिस में इस तरह के कार्य हों रहे हैं, अधिकारी अपना ध्यान आकर्षित नहीं कर रहे हैं जिसके चलते कर्मचारी और किसान बेहद परेशान हैं।
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