रेंजर अजय मिश्रा के सामने सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी बेअसर, अफसर भी नतमस्तक,अंगद के पैर की तरह जमे रेंजर अजय मिश्रा लोकसभा चुनाव में पड़ सकते हैं भारी , कार्यवाही कर स्थानांतरण की लिस्ट करे जारी
रेंजर अजय मिश्रा के सामने सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी बेअसर, अफसर भी नतमस्तक,अंगद के पैर की तरह जमे रेंजर अजय मिश्रा लोकसभा चुनाव में पड़ सकते हैं भारी , कार्यवाही कर स्थानांतरण की लिस्ट करे जारी
ढीमरखेड़ा | सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी का रेंजर अजय मिश्रा पर कोई असर नहीं दिख रहा है। सूत्र बताते हैं कि रेंजर अजय मिश्रा के सामने वन विभाग के सीनियर अफसर नतमस्तक हैं। पिछले कई साल से रेंजर अजय मिश्रा अंगद के पैर की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं। इनका तबादला होता ही नहीं है। ऐसा लगता है जैसे इनके लिए ट्रांसफर पॉलिसी बनी ही नहीं है। लोकसभा चुनाव बहुत नजदीक है जिसके चलते रेंजर अजय मिश्रा का स्थानांतरण बहुत जरूरी हैं लिहाज़ा लम्बे अरसे से पदस्थ होने के कारण क्षेत्र की हर छोटी - बड़ी गतिविधियों के बारे में सारी जानकारी विदित हैं जिसके चलते लोकसभा चुनाव प्रभावित किया जा सकता है। वही नियम के तहत किसी भी कर्मचारी को एक जगह में लम्बे समय तक पदस्थ नही रहना चाहिए प्रशासन की प्रक्रिया इनपे भी लागू होना चाहिए।
*एक कारनामें से रेंजर अजय मिश्रा का उठा पर्दा*
तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम झिन्ना पिपरिया में वन विभाग की टीम ने दबिश देकर घर से भारी मात्रा में सागौन की लकड़ी जब्त की हैं। लिहाज़ा दो लोगों के पास लकड़ी काटने के आधुनिक औजार भी बरामद हुए है। मामले में वन विकास निगम के रेंजर दवेश खडारी के द्वारा सागौन की अवैध लकड़ी की नाप जोख कर मामले की सूचना वन विभाग के रेंजर अजय मिश्रा को दी गई । मामले में वन विकास निगम और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई जारी हैं। क्षेत्र में लंबे अरसे से जंगलों के हरे भरे सागौन के पेड़ों को काटकर अवैध कारोबार लेन देन की दम पर धड़ल्ले से संचालित हो रहा था, जिसमें वनों की सुरक्षा के लिए बनाए गए वन विभाग के साथ रेंजर अजय मिश्रा की भूमिका संदिग्ध हैं।
*वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में अवैध कार्य हों रहे संचालित
स्मरण रहे कि यह कोई पहला मामला नहीं हैं क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर अनेकों ऐसे मामले क्षेत्र से आते रहते हैं। एक मामला तहकीकात में सामने निकल के आ गया बाकि मामलो को ले - देकर दबा लिया जाता हैं। सूत्र बताते हैं कि यह कार्य बहुत लम्बे अरसे से चल रहा था जिसमें वन विभाग की मिलीभगत से सारे कार्य को संचालित किया जा रहा था। लक्ष्मी के आगे रेजर अजय मिश्रा नतमस्तक है हो भी क्यूं नहीं इनको वनों की सुरक्षा को लेकर कोई मतलब नहीं है मतलब केवल लक्ष्मी से हैं। लक्ष्मी का वजन थोड़ा ज्यादा कर दो बाकि कोई भी कार्य करते रहो इनको फिर कोई मतलब नहीं है। कर्मचारी भी क्या कर सकते हैं बड़े कर्मचारी की बात माननी पड़ती हैं नहीं तो छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही करने में माहिर हैं रेंजर अजय मिश्रा।
*रेंजर अजय मिश्रा की आय से अधिक संपत्ति के लिए विजिलेंस जांच तलब होनी चाहिए*
सूत्रों की माने तो रेंजर अजय मिश्रा की विजिलेंस जांच तलब होनी चाहिए ताकि इनकी आय से भी पर्दा उठेगा। जो वन विभाग के माध्यम से रेंजर अजय मिश्रा पैसा संचय किया होगा वह विजिलेंस जांच तलब होने से जानकारी बाहर निकल के आ जाएंगी।विजिलेंस जांच के नियम के तहत जब तक जांच पूरी नहीं हों जाती तब तक तबादला भी नहीं किया जा सकता। क्यूंकि कुछ कर्मचारी अपना तबादला करवा लेते हैं जिसके चलते जांच प्रभावित होती हैं। इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब सक्त कानून बनाएं हैं। बहरहाल देखना यह होगा कि अगर विजिलेंस की जांच रेंजर अजय मिश्रा की ऊपर होती हैं तो क्या तथ्य बाहर निकाल के आते हैं।
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