सेल्समैन हल्के राम सैनी के द्वारा राशन के वितरण में की जाती हैं घोर लापरवाही
उमरियापान | सहकारिता विभाग में नौकरी कर रहे सेल्समैनो की अगर मशीन चैक की जाएं तो कई कारनामों से पर्दा उठेगा। सेल्समैन हल्केराम सैनी की घोर लापरवाही को मशीन बयां कर रही हैं। फिंगर लगवाकर राशन की काला - बाजारी इनके द्वारा जमकर की जाती हैं। इनकी अनेकों बार शिकायत की गई लेकिन अधिकारी इनके ऊपर कार्यवाही नहीं बल्कि अपनी कृपा बरसाते हैं। इनके द्वारा नमक का वितरण नहीं किया जाता जिसका कुछ समय पूर्व वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें हल्केराम सैनी ने जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। दो माह के फिंगर लगवाकर एक माह का राशन इनके द्वारा बाटा जाता हैं। इनकी पहुंच का पता इसी बात से लगाया जाता हैं कि अनेकों जगह में खरीदी प्रभारी के दायित्व में रहे लेकिन कभी ये केंद्र नहीं गए ऐसा लग रहा था मानों जैसे इनको पता ही नहीं हैं कि ये केंद्र प्रभारी हैं। खरीदी की कमान बिचौलियां के हाथ थी। खरीदी केंद्रों में सबसे ज्यादा नज़र अधिकारियों की बनी रहती हैं लेकिन खरीदी प्रभारी हल्केराम सैनी कुछ भी करे अधिकारियों को मतलब नहीं था अब सोचा जा सकता हैं कि किस प्रकार की कृपा हल्केराम सैनी के ऊपर अधिकारियों की बनी हैं।
*घर बना महलों की तरह*
स्मरण रहे कि इनका मानदेय सीमित हैं लेकिन इनके पास इतना पैसा आया कहां से जो कि जांच का विषय हैं। इनका मकान ऐसा बना हैं जैसे कोई ताजमहल हों। जब इनका घर ऐसा बना हैं तो सोचा जा सकता हैं कि इनके पास बैंक और अन्य गोपनीय मुद्राएं होगी। जो कि जांच के बाद पता चलेगा। इनके पास वाहन भी ऐसे हैं जो देखने योग्य हैं।
*खरीदी के पहले बन जाते हैं साहूकार फिर बन जाते हैं प्रभारी*
खरीदी के पहले ये क्षेत्र में घूमकर साहूकारी करने लगते हैं। किसानों का खराब अनाज खरीदकर खरीदी केंद्रों में शासन के समर्थन मूल्य में बेच दिया जाता हैं। अब सोचा जा सकता हैं कि इनके हौसले कितने बुलंद हैं। अच्छा और खराब का तो कोई मतलब ही नहीं हैं क्यूंकि खुद केंद्र प्रभारी रहते हैं तो जब मन चाहे तब सरकार को समर्थन मूल्य में अनाज को बेच देते हैं।
*शिकायत के कारण समूह को मिल गई दुकान*
सेल्समैन हल्के राम सैनी की शिकायत पूर्व में अधिकारियों से की गई तो अधिकारियों ने भोपाल से संज्ञान में लेते हुएं हल्के राम सैनी की जांच तलब करके दुकान को समूह को दे दिया। हल्के राम सैनी ने नेता - गिरी लगाते हुए समूह की दुकान को लेना चाहा लेकिन अधिकारियो ने नहीं सुनी। साजिश के तहत हों सकता हैं समूह को दुकान कुछ दिन बाद चलाने को ना मिले ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। अब सोचा जा सकता हैं कि इनकी कार्यप्रणाली कितनी विवादित हैं अभी तो इनके काले कारनामों की चंद लाइन हैं आगे खुलेगा काले कारनामों का काला चिट्ठा।
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