विक्रेता मुकेश तिवारी के द्वारा जमकर की जाती हैं राशन की काला - बाजारी
ढीमरखेड़ा | सहकारी समिति खमतरा के अंतर्गत आने वाली उचित मूल्य दुकान पूर्व में देवरी - मारवाडी में पदस्थ विक्रेता मुकेश तिवारी के द्वारा जमकर काला - बाजारी की गई हैं। जब तक देवरी - मारवाडी में पदस्थ रहे तो ग्रामीणों के द्वारा लगातार शिकायत की जाती थी। लिहाजा अधिकारियों के द्वारा शिकायत को नज़र- अंदाज़ कर दिया जाता था। वहीं ग्रामीणों के द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि इनके द्वारा भेदभाव पूर्ण तरीके से राशन का वितरण किया जाता हैं। जब विक्रेता मुकेश तिवारी को लगा कि माजरा यहां बिगड़ सकता हैं तो तत्काल उचित मूल्य दुकान देवरी - मारवाडी से स्थानांतरण बिचुआ करवा लिया गया। जब मुकेश तिवारी देवरी - मारवाडी में पदस्थ थे तो नमक का वितरण तो किया ही नहीं जाता था और तो और दो माह की जगह पर एक माह का राशन वितरण किया जाता था। साजिश के तहत फिंगर लगवाकर राशन की हेरा - फेरी की जाती थी। सूत्रों की माने तो इनको नौकरी से कोई मतलब नहीं है फोन से इनकी नौकरी का कार्य चलता है।
*ईओडब्ल्यू की हो जांच तो संपत्ति से उठेगा पर्दा*
जब मुकेश तिवारी का मानदेय नौ हजार रुपए हैं तो आखिर इनके पास इतनी संपत्ति आई कहां से जो कि जांच का विषय हैं। सूत्र बताते हैं कि इनका जितना मानदेय हैं उससे ज्यादा की संपत्ति इनके पास है। स्मरण रहे कि मुकेश तिवारी नौ हजार रूपए की नौकरी कर रहा हैं फिर इसके पास इतनी संपत्ति आई कहां से ये जांच का विषय हैं। जमीनी हकीकत से रूबरू अगर हो तो मुकेश तिवारी के पास इतनी संपत्ति नही थी चन्द दिनो के अंदर ये लखपति बन गए जिसमें बड़ा आश्चर्य होता हैं। नौकरी में रहते हुए जिस - जिस चीज को खरीदा गया है, उनकी भी जांच होना चाहिए।अभी बैंक बैलेंस और अन्य गोपनीय जानकारी इनके विषय में नहीं जुटाई गई अगर इनकी उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो इनके कारनामों से पर्दा उठेगा।
*कोरोना काल में गायब करके स्लिक को किया पूरा*
मुकेश तिवारी को पूर्व में अन्य दुकानों की भी कमान सौंपी गई थी तो सहकारिता विभाग में जिसको मौका मिलता है वो राशन आहरित करने से पीछे नहीं हटता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। मुकेश तिवारी जिस - जिस दुकान में रहे जमकर सुर्खियां बटोरी जब एक दुकान की जांच बैठी तो मुकेश तिवारी अपना स्थानांतरण करवाकर दूसरे दुकान की कमान संभाल ली। जहां भी मामला बिगड़ता हैं विभागीय साठ - गांठ से सारा मामला रफा- दफा कर दिया जाता है, ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया अब सोचा जा सकता है कि जो राशन को आहरित किया होगा वही जांच से डरेगा। स्मरण रहे कि जिन दुकानों की कमान संभाली वहां - वहां राशन आहरित कर लिया गया और उसके बाद कोरोना का समय अच्छा मिल गया तो मुकेश तिवारी ने एक - एक माह का राशन आहरित करके स्लिग को पूरा कर लिया और जांच से बच गए। इस तरह की विभागीय महारथ हासिल है मुकेश तिवारी को इन्ही सब विभागीय घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है।
*पूर्व में देवरी - मारवाडी दुकान में भी काला - बाजारी का खेल*
दुकान देवरी - मारवाडी में भी काला बाजारी का खेल किया गया। जो शिकायतकर्ता होता हैं उसको एक कट्टी राशन देकर मना लिया जाता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया। मुकेश तिवारी राशन बाटने के लिए जाते हैं तो उनके पास बात करने का भी लहजा नही हैं गरीब तबके के लोग राशन लेने आते हैं तो मुकेश तिवारी रौब झाड़ते हुए नजर आता हैं। स्मरण रहे कि मुकेश तिवारी के द्वारा राशन तो बाटा ही नही जाता हैं, गरीब तबके के व्यक्तियों के ऊपर रौब झाड़ते हुए नज़र आते हैं। इसी तारतम्य में मुकेश तिवारी के द्वारा ना नमक दिया जाता और ना ही शक्कर का वितरण किया जाता हैं। राशन वितरण के उपरांत अंतिम समय में लोग गेहूं को खरीदने आते हैं तो मुकेश तिवारी के द्वारा राशन को बेच दिया जाता हैं ऐसा सूत्रों के द्वारा बताया गया।
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