सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ढीमरखेड़ा क्षेत्र की नेतागिरी शून्य, जनता दर - दर भटक रही

 ढीमरखेड़ा क्षेत्र की नेतागिरी शून्य, जनता दर - दर भटक रही

ढीमरखेड़ा -  तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा में जनता दर - दर भटक रही हैं। जो एक बार जनप्रतिनिधी बन जाता हैं वह केवल अपनी जेब भरता हैं बनने के पहले अनेकों वादे किए जाते हैं, लेकिन बनने के बाद वादे - वादे रह जाते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के समय नेताओं ने फटी कमीज़ पहनकर जनता के हित में अनेकों काम किए लेकिन आज के नेता केवल अपने बारे में सोचते हैं। अगर कोई गरीब व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करके किसी पद में पदस्थ होना चाहता हैं तो उस गरीब को पद में पदस्थ होने के लिए अनेकों जतन करने पड़ते हैं और चाहे पूरी योग्यता रखते हुए भी पद में पदस्थ ना हों पाए। वोट मांगने के लिए जनता के साथ नीचे बैठ जाते हैं लेकिन जनप्रतिनिधी बनते ही  बात करने के लिए अनेकों बार फोन लगाना पड़ता हैं  जिसके कारण जनता परेशान रहती हैं बहरहाल पांच वर्षों तक राजा की तरह जीवन जीते हैं चुनाव आते ही क्षेत्र में भ्रमण करने लगते हैं जनप्रतिनिधी बनते ही क्षेत्र से नदारद हों जाते हैं। 




हर विभाग में भ्रष्टाचार की दीमक लगी हुई हैं 


अगर जनता को अपना काम किसी भी विभाग से करवाना हैं तो पहले भ्रष्टाचार की भेट जनता को चढ़ना पड़ता हैं बाद में जनता का काम होता हैं और अगर नोट नहीं दिए जाते तो काम ही नहीं हों पाता हैं। काली - कमाई से अधिकारी - कर्मचारी अपनी जेब तो गर्म कर सकते हैं लेकिन चंद नोटों के कारण अपने ईमान को बेचना कही ना कहीं फायदे - दायक नहीं नुकसान दायक सिद्ध हों सकता हैं। कई बार तो विभागों में ये भी देखा गया हैं कि गरीब के पास घर जाने के लिए किराया तक नहीं होता और पूरा पैसा विभाग के कर्मचारी खाली कर देते हैं। बेचारा गरीब फटे कपड़े पहनकर विभाग में काम करवाने आता हैं जिसके पास दोनों पैरो में जूता - चप्पल पहनने के लिए तक पैसा नहीं होता हैं उससे पैसा लेकर विभाग के लोग अपनी जेब तो गर्म करते हैं लेकिन दर्पण में जाकर अगर देखे कि मैंने जो कार्य किया वह सही हैं तो उनको खुद ही जवाब मिल जाएगा। जब पद में पदस्थ होते हैं उस गरिमा और याद करना चाहिए ट्रेनिंग के बाद जब आपने सपथ ली थी तो क्या सपथ ली थी उन बातो को भी याद करना चाहिए। 


किसान परेशान जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान


भारत के ज्यादातर किसानों के पास कृषि में निवेश के लिये पूँजी का अभाव एवं कमी है। आज भी देश के ज्यादातर किसानों को व्यावहारिक रूप में संस्थागत ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूँजी नहीं होती कि वे बीज, खाद, सिंचाई जैसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सकें। इसका परिणाम यह होता है कि किसान समय से फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते अथवा अपर्याप्त पोषक तत्वों के कारण फसलें पर्याप्त गुणवत्ता की नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही पूंजी के अभाव में किसान को निजी व्यक्तियों से ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है जिससे उसकी समस्याएँ कम होने की जगह बढ़ जाती हैं। क्षेत्र में बिजली की समस्या बहुत बढ़ गई हैं। जगह - जगह ट्रांसफार्मर खराब पड़े हुए हैं। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं बेचारा अन्नदाता दर - दर  मदद के लिए गुहार लगाता घूम रहा हैं।


ढीमरखेड़ा क्षेत्र के हाल - बेहाल


ढीमरखेड़ा क्षेत्र में कोई भी अधिकारी आना नहीं चाहता लेकिन जब एक बार ढीमरखेड़ा क्षेत्र में आ जाता हैं तो जाना नहीं चाहता क्यूंकि धीरे - धीरे ढीमरखेड़ा क्षेत्र को वह समझ जाता हैं, ढीमरखेड़ा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं। बहुत ही सीधा - शांत क्षेत्र माना जाता हैं बेचारे गरीब यहां के कुछ जानते नहीं हैं बाहर से आकर यहां कोई भी नेता बन जाते हैं। इसी वजह से आज ढीमरखेड़ा क्षेत्र बहुत पीछे हैं। नेताओं के हाथ में अधिकारियों की बागडोर चाहे जिसका स्थानांतरण करवा दे चाहे जिसको अपने स्वार्थ के चलते किसी भी क्षेत्र में पदस्थ कर देते हैं। इसी तारतम्य में नेताओं की स्थिति बिचौलिये जैसे बन गई हैं। जनप्रतिनिधी धड़ल्ले से घर में जुआ खिलवा रहे हैं उनको यह नहीं पता कि उनके साथ पार्टी कि और जन - प्रतिनिधी की गरिमा लगी हुई हैं जो काम आप कर रहे हैं उसका खामियाजा जनप्रतिनिधी को भोगना पड़ सकता हैं। क्षेत्र के नेताओ की लगातार शिकायत होने के बाद भी जन - प्रतिनिधी ध्यान नहीं देते तो छुटभैया नेताओं के हौसलें बुलंद तो होते ही हैं साथ ही छवि भी धूमिल होती है।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

popular post

उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं

 उमरियापान सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र आदित्य, जूही के साथ बंधे सात - फेरो में सुख दुःख में साथ देने का लिया वचन, मंगल भवन उमरियापान में दी गई पार्टी, परिंदों को मंज़िल मिलेगी कभी न कभी यह फैले हुए उनके पंख बोलते हैं,वही लोग रहते हैं ख़ामोश अक्सर,ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं ढीमरखेड़ा | उमरियापान क्षेत्र की सबसे बड़ी पंचायत हैं लेकिन यहां के लोग अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक धरोहरों से गहरे जुड़े हुए हैं। इस विवाह ने न केवल दो परिवारों को एक किया, बल्कि गाँव की सामाजिक स्थिति और सामूहिक उत्सवों की परंपरा को भी उजागर किया। आदित्य और जूही का विवाह एक ऐसे मिलन का प्रतीक था जो भविष्य में गाँव के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया हैं । आदित्य, उमरियापान के सरपंच अटल ब्यौहार के पुत्र हैं। उनके पिता ने गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और आदित्य ने भी उनके आदर्शों का पालन करते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। वह एक मेहनती, ईमानदार, और समर्पित व्यक्ति हैं। वहीं, जूही एक सशक्त और आत्मनिर्भर युवती हैं। उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व ने उन्हें समाज मे...

पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी

 पिड़रई निवासी वकील स्वाति तिवारी की एक प्रेरणादायक संघर्ष की कहानी ढीमरखेड़ा | पिड़रई की निवासी वकील स्वाति तिवारी का जीवन उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं। बचपन से लेकर वकालत की शिक्षा पूरी करने तक, स्वाति तिवारी का सफर कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास ने न केवल उन्हें सफलता दिलाई, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश की है। *संघर्षों से भरा बचपन* स्वाति तिवारी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। उनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। उनके पिता जिनकी आय इतनी नहीं थी कि परिवार की सभी जरूरतें पूरी कर सकें। बचपन में स्वाति को पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। किताबो के लिए पैसे जुटाना उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही। लेकिन स्वाति ने कभी हार नहीं मानी। उनके दृढ़ निश्चय और पढ़ाई के प्रति जुनून ने उन्हें अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल रखा। उनके शिक्षकों ने भी उनकी प्रतिभा और मेहनत को पहचाना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की। *शिक्षा और वकालत का सपना* स्वाति को बचप...

क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े, बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित

 क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में बच्चियों को वितरित किए ठंड वाले कपड़े,  बच्चियों को पढ़ाई के लिए किया प्रेरित ढीमरखेड़ा | धीरेंद्र बहादुर सिंह, जो वर्तमान में क्षेत्रीय विधायक हैं, ने अनुसूचित जनजाति सीनियर कन्या छात्रावास ढीमरखेड़ा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने बच्चियों को ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े वितरित किए और उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। उनके इस कदम ने न केवल बच्चियों को सर्दी से राहत दी, बल्कि उनके मनोबल को भी बढ़ाया। इसके साथ ही, विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह ने इन बच्चियों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करते हुए उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लिया, जो उनके सरल और सच्चे दिल की भावना को दर्शाता है। विधायक ने इस दौरान बच्चियों से कहा कि "मैं विधायक नहीं, बल्कि आपका बड़ा भाई हूं", इस संदेश के साथ उन्होंने बच्चियों को विश्वास दिलाया कि वह हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। उनके इस वक्तव्य ने बच्चियों के दिलों में एक नया आत्मविश्वास भरा और उनके सामने एक नायक का उदाहरण प्रस्तुत किया। व...