अतिथि शिक्षकों ने बड़वारा भाजपा कार्यसमिति से पधारे पदाधिकारियों से बताई अपनी पीड़ा भाजपा जिला अध्यक्ष को मुख्यमंत्री के नाम सौपा ज्ञापन
अतिथि शिक्षकों ने बड़वारा भाजपा कार्यसमिति से पधारे पदाधिकारियों से बताई अपनी पीड़ा
भाजपा जिला अध्यक्ष को मुख्यमंत्री के नाम सौपा ज्ञापन
ढीमरखेड़ा - विधानसभा का चुनावी दौर चल रहा हैं, जिसको लेकर समस्त विभाग के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को अपनी पीड़ा से अवगत करा रहे हैं। बहरहाल प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान कर्मचारियों की पीड़ा को समझते हुए महापंचायत बुलाकर कर्मचारियों की पीड़ा को अवसर में बदल रहे हैं। इसी तारतम्य में श्री चौहान के द्वारा घोषणाएं तो अनेको की जाती हैं पर घोषणा, घोषणा बनकर रह जाती हैं।
मुख्यमंत्री का झुनझुना
लाल परेड ग्राउंड में बुलवाकर अतिथि शिक्षकों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनेकों घोषणा की लेकिन जो घोषणा कि गई उनमें से कुछ घोषणा पर अमल किया गया बाकि कि घोषणा, घोषणा रह गई। वही अतिथि शिक्षकों के द्वारा बताया गया कि वेतन वृद्धि के लिए आदेश आ गया है। बहरहाल श्री चौहान के द्वारा यह भी कहां गया था कि जो जहां पदस्थ हैं वह वही पदस्थ रहेगा पर यह घोषणा पर अमल नहीं किया गया बल्कि मुख्यमंत्री ने इसमें झुनझुना दे दिया। वही अतिथि शिक्षकों के पद को रिक्त पद माना जाता हैं जिससे उनका भविष्य अंधकार में समझ में आ रहा हैं।
भविष्य दिख रहा खतरे में
वही अतिथि शिक्षकों के द्वारा बताया गया कि हमारे पद की तुलना रिक्त पद के रूप में की जाती हैं। बहरहाल स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने के कारण अतिथि शिक्षकों को गेस्ट के रूप में रखा जाता है, तो कही वेतन के लिए चार माह का इंतजार करना पड़ता हैं। इन छोटे कर्मचारियों का वेतन अब समय से होना चाहिए ताकि इनका भी मन बच्चों को शिक्षा देने में लगा रहे। समय से वेतन का भुगतान ना होने के कारण अनेकों होनहार युवक घर में बैठे हैं पर अतिथि का पद स्वीकार नहीं कर रहे। बच्चों की शिक्षा को लेकर श्री चौहान जितने भी वादे कर रहे हैं पर अतिथि शिक्षकों के हित में ना सोचना कहीं ना कहीं बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।
चुनाव आते ही मामा को आई भांजों की याद
कुछ अतिथि शिक्षकों की तो उम्र ही बीत गई अतिथि शिक्षक बने पर आज दिनाँक तक उनके हित में ना ही कोई योजना बनाई गई और ना ही कोई आदेश बना। घर - परिवार के लोगों के द्वारा भी ताने - मारे जाते हैं कि अब इस अतिथि शिक्षक के कार्यक्षेत्र को छोड़ दिया जाए, लेकिन बेरोजगारी ने ऐसी कमर जकड़ रखी हैं कि जो जहां पर पदस्थ हों गया मानो उसको वही कार्यक्षेत्र पसंद आ गया। अतिथि शिक्षकों के द्वारा घर के सदस्यों को समझाते हुए कह दिया जाता हैं कि अपनी जरूरतों को सीमित कर लों मामा हैं ना भांजों का कुछ जरूर करेगा लेकिन प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अपने भांजों को ही झुनझुना दे रहे हैं। अगर इसी तरह का रवैया रहा तो भांजे भी अपनी कमर कस लिये हैं चुनावी मैदान में बिगुल बजाने का आर - पार की करेगे लड़ाई।
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