उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं, मैंने फल देख के इन्सानों को पहचाना है, जो बहुत मीठे हों अन्दर से सड़े रहते हैं
उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं, मैंने फल देख के इन्सानों को पहचाना है, जो बहुत मीठे हों अन्दर से सड़े रहते हैं ढीमरखेड़ा | दैनिक ताज़ा खबर के प्रधान संपादक राहुल पाण्डेय कहते हैं, "उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं, क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं।" इस कथन में मिट्टी के घड़ों को एक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। भारतीय समाज में मिट्टी के घड़े सादगी, प्रकृति से जुड़ाव, और विनम्रता के प्रतीक माने जाते हैं। ऐसे घरों में रहने वाले लोग साधारण जीवन जीते हैं, परंतु उनके चरित्र में गहराई और उदारता होती है। मिट्टी के घड़े ठंडा पानी तो रखते ही हैं, साथ ही यह दर्शाते हैं कि जिन लोगों का जीवन सरल और संतुलित होता है, वे समाज में वास्तविक रूप से "बड़े" होते हैं। इसका मतलब यह है कि सादगी और सहृदयता से जीने वाले लोग अपने कर्मों और नैतिक मूल्यों के कारण समाज में उच्च स्थान रखते हैं, न कि अपनी संपत्ति या भौतिक उपलब्धियों के कारण। *फल और इंसान के स्वभाव का तुलनात्मक अध्ययन* "मैंने फल देख के इंसानों को पहचान...